राज्यपाल की स्वविवेक शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। अनेक परिस्थितियाँ हैं जब राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर नहीं अपितु स्वविवेक के अनुसार कार्य
राज्यपाल की स्वविवेक शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
राज्यपाल की स्वविवेक शक्तियां
राज्य का संवैधानिक अध्यक्ष होने के कारण राज्यपाल अपनी अधिकांश शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह से करता है, किन्तु अनेक परिस्थितियाँ हैं जब राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर नहीं अपितु स्वविवेक के अनुसार कार्य करता है।
- राष्ट्रपति को संवैधानिक संकट के बारे में रिपोर्ट भेजते समय (अनुच्छेद 356),
- राज्य विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ रखने का निर्णय (अनुच्छेद 200),
- केन्द्र एवं राज्य सरकार के मध्य किसी मामले पर विरोध होने पर अनुच्छेद 213 के अंतर्गत
- अध्यादेश जारी करते समय तथा
असम और नागालैण्ड के राज्यपाल आदिवासी क्षेत्र का प्रशासन चलाने व नागा विद्रोहियों की हिंसक गतिविधियों पर नियंत्रण संबंधी मामलों पर राज्यपाल अपने स्वविवेक का प्रयोग करता है। उपरोक्त संवैधानिक स्थितियों के अतिरिक्त कुछ पारिस्थितिक स्थितियाँ भी हैं। मुख्यमंत्री की नियुक्ति, मंत्रिमंडल की बर्खास्तगी, विधानसभा भंग करना इत्यादि स्थितियों में भी राज्यपाल अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करता
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