भारतीय संविधान संशोधन प्रक्रिया की विशेषताएं लिखिए। इस लेख में संविधान के अनुच्छेद 368, भाग XX में दिया गया है के अंतर्गत संविधान संशोधन की प्रक्रिया
भारतीय संविधान संशोधन प्रक्रिया की विशेषताएं लिखिए।
भारतीय संविधान संशोधन प्रक्रिया की विशेषताएँ
भारतीय संविधान में संविधान संशोधन की प्रक्रिया का भी प्रबन्ध वैज्ञानिक तरीके से किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 368 में इस बात की स्पष्ट व्यवस्था है कि संविधान में संशोधन करने का अधिकार संसद को है इसके लिए किसी अन्य संस्था के गठन की कोई आवश्यकता नहीं है! राज्यों के विधानमंडल संशोधन सम्बन्धी विधेयक का प्रस्तुतीकरण नहीं कर सकते। संशोधन का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। संशोधन सम्बन्धी विधेयकों का जनता के द्वारा पुष्टीकरण नहीं होता है तथा संशोधन विधेयक सदन में प्रस्तुत करने के लिए पूर्व स्वीकृति अनिवार्य नहीं है। संविधान का कोई भी भाग ऐसा नहीं है जिसमें संशोधन न किया जा सके।
भारतीय संविधान संशोधन की प्रक्रिया पर अपने विचार व्यक्त करते हुए के. सी. शेयर का कहना है कि "भारत में संविधान संशोधन की प्रक्रिया सन्तुलित है यह न तो अधिक जटिल है और न ही पूरी तरह लचीली है।" कुछ ऐसा ही विचार ऐलेक्जेण्डरोविच ने भी व्यक्त किया है इनके अनसार. "भारतीय संविधान में संशोधन की सुन्दर प्रक्रिया है क्योंकि इसे लचीलेपन एवं जटिलता की अति से बचा गया है।" डॉ सुभाष कश्यप के विचारों पर गौर करने से भारतीय संविधान संशोधन की प्रक्रिया और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। डॉ. कश्यप के अनुसार “इस प्रकार आवश्यकता पड़ने पर संविधान में संशोधन होते रहेंगे क्योंकि हमारा संशोधन कोई निजीव प्रलेख मात्र नहीं है" - किसी भी जीवित संविधान के लिए यह आवश्यक है कि वह समय के साथ कदम मिलाकर.चले भारतीय संविधान की एक और विशेषता का उल्लेख पापली ने निम्न केन्द्रों में किया है कि, “ऐसा कोई अन्य संघात्मक सविधान नहीं है जो इस प्रकार नम्य तथा अनम्य दोनों ही प्रकार की संशोधन प्रक्रिया का प्रयोग करे। यह विशेषता केवल भारतीय संविधान में ही है।
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