आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत के पतन के कारण बताइए। राजनीति विज्ञान में राजनीतिज्ञ रुचि लेते हुए नहीं देखे जाते हैं। इस क्षेत्र में वैज्ञानिक रूप से राजनीत
आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत के पतन के कारण बताइए।
- आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत की असफलता का वर्णन कीजिये
आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत के पतन के कारण
- विद्वानों के पास वैज्ञानिक ज्ञान का अभाव है। अतः औपचारिक संस्थाओं, अमूर्त धारणाओं तथा मूल्यों के सुधार की ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
- राजनीति विज्ञान में राजनीतिज्ञ रुचि लेते हुए नहीं देखे जाते हैं।
- इस क्षेत्र में वैज्ञानिक रूप से राजनीतिक सिद्धांत की संकल्पना को स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं किया गया है।
- परम्परागत राजनीतिक सिद्धांतों के जितने भी विचारक हैं वे आधुनिक युग की परिवर्तित परिस्थिति के अनुसार नवीन सिद्धांत के निर्माण के प्रति किसी प्रकार की रुचि का प्रदर्शन नहीं कर पाये हैं।
- राजनीतिक वैज्ञानिकों को इस दृष्टि से भी प्रोत्साहित नहीं किया गया है कि वे सत्ताधारी तन्त्र को किसी प्रकार का निर्देश दे सकें।
- राजनीति से सम्बन्धित प्रत्यक्ष ज्ञान से वे सम्बन्ध जोड़ना नहीं चाहते हैं।
- राजनीति विज्ञान के वैज्ञानिकों का विषय-वस्तु से कोई सम्बन्ध नहीं है और न वे उसके सम्बन्ध में कोई खोज करते हैं।
- इस प्रकार के कुछ विचारकों की भी कमी नहीं है जिन्होंने यह भविष्यवाणी की कि सिद्धांत-निर्माण सम्भव ही नहीं हैं। उदाहरणार्थ - ये विचारक कहते हैं कि वर्तमान में जितने भी सिद्धांत प्रचलित हैं वे वास्तव में सिद्धांत नहीं हैं वरन् वे एक प्रकार की विचारधाराएँ हैं।
- सिद्धांत-निर्माण का विरोध करने वाले भी राजनीतिक विचारक कम नहीं हैं। एमण्ड बर्क तथा डनिंग के शब्दों में, "सिद्धांत-निर्माण तथा उसका अनुकरण करने की प्रवृति राजनीति व्यवस्था के लिये हानिकारक है। सिद्धांत अनिश्चित व अविश्वसनीय होता है। इस कारण सिद्धांत किसी भी समस्या का समुचित समाधान करने में असमर्थ है। सिद्धांत में कमी यह है कि यह प्रायः एकपक्षीय होता है।" यही कारण है कि जब सिद्धांत-निर्माण का विरोध होने लगा तो इस दिशा में विशेष प्रगति नहीं हो सकी।
उपरोक्त कारणों से यह स्पष्ट है कि राजनीति विज्ञान में सिद्धांत-निर्माण की प्रक्रिया का विकास बहुत धीमा है।
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