मनरेगा पर निबंध तथा भाषण। Speech on MNREGA in Hindi : भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘नरेगा’ का शुभारम्भ 2 फरवरी 2006 में आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से हुआ। प्रारंभिक चरण (2006-07) में यह देश के 27 राज्यों के 200 जनपदों को इसमें शामिल किया गया। वस्तुत: यह योजना भारत सरकार की उस लोक कल्याणकारी वचनबद्धता को दर्शाती है जो नीति निर्देशक तत्वों के माध्यम से भारतीय संविधान में निहित है। सर्वविदित है कि भारत एक ग्राम प्रधान देश है और इस नाते महात्मा गांधी की हृदयांक्षा थी कि प्रथमत: ग्रामीण विकास व कल्याण हो। अत: वर्ष 2009 में बापू का नाम इसके साथ जोड़कर इस योजना का नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया। कृषि प्रधान देश होते हुए भी ग्रामीण बेरोजगारी (यथा-प्रछन्न बेरोजगारी), भूख और गरीबी, गांव से शहर की ओर पलायन, मानव तस्करी, निम्न ग्रामीण जीवन स्तर आदि जैसा समसयाएं निंरतर विकराल रूप धारण करती जा रही थीं। अत: इन समस्याओं से उबरने के लिए ब्रहमात्र के रूप में ‘मनरेगा’ की शुरूआत इुई। हालांकि पूर्व में भी देश में ‘काम के बदले अनाज’ तथा ‘संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना’ जैसी योजनाएं सक्रिय थी, परन्तु अब इन्हें भी मनरेगा के अंतर्गत शामिल करके इस महाअभियान को व्यापकता देने की पहल की गई है।
मनरेगा पर निबंध तथा भाषण। Speech on MNREGA in Hindi
- ग्रामीण क्षेत्र के वयस्क और मुख्यत: अकुशल वयस्क को आवेदन के 15 दिनों के अंदर रोजगार का प्रावधान है और कार्य के आवंटन में लाभान्वितों में महिलाओं को प्राथमिकता (कम से कम 1/3) दी गई है।
- प्रतिवर्ष अधिकतम 100 दिनों के रोजगार का प्रावधान है और फरवरी 2014 में मनरेगा में संशोधन करके जनजातियों के लिए कार्य दिवसों की संख्या बढ़ाकर 100 से 150 कर दी है, जो अप्रैल 2014 से लागू है।
- आवेदक को स्वनिवास के 5 किमी. के दायरे या ब्लॉक के अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान है और बाहर जाने पर यात्रा भत्ता देय है।
- इस कानून के अंतर्गत मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी (60रू./दिन) निर्धारित है, परन्तु एक अन्य परन्तु एक अन्य प्रावधान द्वारा राज्यों को अपनी-अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार मजदूरी निर्धारित करने का अधिकार है। मजदूरी का भूगतान 15 दिनों में करना अनिवार्य है।
- 15 दिनों में रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का प्रावधान है जो प्रथम 30 दिनों के लिए मजदूरी दर का एक-तिहाई और उसके बाद आधा होता है।
- कार्यस्थल पर स्वच्छ पेयजल, आराम करने के लिए छाया, आपातकालीन चिकित्सा सेवा और बच्चों की देखभाल जैसी सुविधाएं मजदूरों का कानूनी अधिकार हैं।
- केंद्र सरकार की फ्लैगशिप प्रोग्राम ‘मनरेगा’ की कार्ययोजना केंद्र से लेकर ग्राम पंचायत तक एक चैन के रूप में ‘ग्रामीण रोजगार गारंटी’ (REGS) लागू करने का प्रावधान है। वहीं ब्लॉक स्तर पर ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का समन्वयन ‘कार्यक्रम अधिकारी’ के नियंत्रण में है। ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत कार्यो का निष्पादन ‘क्रियान्वयन अधिकारी’ की देख-रेख में किया जाएगा। इनमें ग्राम पंचायत सर्वप्रथम और सर्वोपरि है। हालांकि पंचायती राजसंस्था, लोक निर्माण विभाग, धन विभाग या गैर सरकारी संगठन भी क्रियान्वयन अभिकरण हो सकते हैं।
- नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़ों (2012-13) के अनुसार इस अवधि में जहां 3.78 करोड़ परिवारों को रोजगार मिला वही सृजित रोजगार के श्रम दिवस 119.76 रहे और नवंबर 2012 तक 0.08 करोड़ कार्य संपन्न किये गये। अत: स्पष्ट है कि मजदूरों को रोजगार का अवसर हुआ है और साथ ही उनकी साख भी बढ़ी है। क्योंकि कृषि मजदूरी दर में मनरेगा की वजह से 5.3प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, कृषि विकास, रेनवॉटर हारवेस्टिंग, लघु सिचांई, जल संरक्षण, भूमि विकास, ग्रामीण सड़क प्रबंधन आदि पर विशेष ध्यान दिया गया है जिससे गांवों की काया पलटती दिखाई दे रही है।
- मनरेगा से भारत ने विश्व फलक पर जहां अपनी एक अलग पहचान बनायी है, वहीं काम का अधिकार देकर बेरोजगारी पर नियंत्रण करने का सार्थक प्रयास किया है।
- जहाँ गरीबी में नई आशा और चेतना का संचार हुआ है, वहीं अकुशल ग्रामीणों, महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजातियों को आत्मविश्वास के साथ जीनेका अवसर प्राप्त हुआ है।
- निजी ठेकेदारों पर पूर्ण प्रतिबंध है जिससे निसहायों को उत्पीड़न व तस्करी से मुक्ति मिली है।
- इस कानून के प्रावधानों की अवमानना करने वालों को आरोप तय होने पर दण्ड स्वरूप 1000 रू. देने का प्रावधान है।
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete