हिंदी कहानी : मुसाफिर और नारियल
मार्कोस नाम का एक यात्री अपने घोड़े पर ढेर सारे नारियल लेकर सफ़र कर रहा था। चलते-चलते वह रास्ता भूल गया। कुछ दूरी पर उसे एक बालक मिला। उसे रोक कर मारकोस ने रास्ता पूछा। यह भी पूछा कि उसे गांव तक पहुंचने में कितना समय लगेगा। बालक ने घोड़े को घूरते हुए देखा और कहा आप धीरे-धीरे जाएंगे तो जल्दी गांव पहुंच जाएंगे मगर तेजी से चलेंगे तो बहुत देर हो जाएगी।
मारकोस ने बालक को आश्चर्य से देखा। यह कुछ अंट-शंट बोल रहा है, सोचकर उसने घोड़े को तेजी से दौड़ाया। थोड़ी दूर चलते ही घोड़े पर लगे नारियल एक-एक करके गिरने लगे। घोड़े को रोक पर उसने सभी नारियल इकट्ठे किए। बाप रे ! देर हो रही है, गाँव जल्दी पहुंचना है। इस बार घोड़े को और तेजी से दौड़या। दोबारा से नारियल चारों तरफ बिखर कर गिर गए। घोड़े को रोककर उसने फिर से नारियल इकट्ठे किए। इस तरह रास्ते में जगह-जगह घोड़े को रोक कर नारियल इकट्ठे करते हुए जब वह गाँव पहुंचा, तब तक अंधेरा हो चुका था।
बालक की बात मारकोस अब समझा। सोचने लगा शायद इसीलिए बालक ने कहा था कि धीरे-धीरे चलने पर गांव जल्दी पहुंच जाऊंगा।
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