हिंदी कहानी एक दाना चावल : बहुत समय पहले की बात है। एक देश में जनता अपने खेत में उगे धान का अधिकांश हिस्सा सरकार को दे देती थी। यह क्रम कई सालों तक चलता रहा। एक बार देश में घोर अकाल पड़ा। लोगों के पास खाने के लिए चावल भी नहीं बचा। मंत्रियों ने राजा को सलाह दी -" सरकार ! भंडार खोल दीजिए। लोगों के बीच चावल बांट दीजिए।" अकाल कितने दिन तक बना रहेगा, हमें पता नहीं है। राजमहल में हमेशा चावल होना चाहिए। हमें अक्सर दावत भी देनी पड़ती है, कहकर राजा ने चावल देने से इंकार कर दिया। एक दिन राजमहल में दावत के लिए गोदाम से चावल के बोरे निकाले गए। बोरों को हाथियों पर लाद कर राजमहल की ओर ले जाया जा रहा था। एक बोरे में छेद से चावल जमीन पर गिरने लगे। इसे सीमा नाम की बच्ची ने देख लिया। वह गिरते हुए चावलों को अपने लहंगे में इकट्ठा करके हाथी के साथ-साथ चल पड़ी।
अकाल कितने दिन तक बना रहेगा, हमें पता नहीं है। राजमहल में हमेशा चावल होना चाहिए। हमें अक्सर दावत भी देनी पड़ती है, कहकर राजा ने चावल देने से इंकार कर दिया।
एक दिन राजमहल में दावत के लिए गोदाम से चावल के बोरे निकाले गए। बोरों को हाथियों पर लाद कर राजमहल की ओर ले जाया जा रहा था। एक बोरे में छेद से चावल जमीन पर गिरने लगे। इसे सीमा नाम की बच्ची ने देख लिया। वह गिरते हुए चावलों को अपने लहंगे में इकट्ठा करके हाथी के साथ-साथ चल पड़ी।
राजमहल के द्वार पर पहुंचते ही सिपाहियों ने उससे पूछताछ की। सीमा ने कहा बोरे से चावल जमीन पर गिर रहे थे। मैं उन्हें इकट्ठा करके राजा को देना चाहती हूं। सीमा की ईमानदारी के बारे में सुनकर राजा ने उसे बुलाया और कहा मैं तुम्हें कुछ इनाम देना चाहता हूं। तुम्हें जो चाहिए मांग लो। सीमा ने कहा मुझे कोई इनाम नहीं चाहिए। फिर भी आप चाहें तो मुझे एक दाना चावल दे दीजिए इतना काफी है।
राजा आश्चर्यचकित रह गया बोला, "मैं राजा हूं। अपनी हैसियत के अनुसार इनाम देता देता हूं। तुम कुछ और मांगो। " सीमा ने सोच कर कहा ठीक है ! आज मुझे एक दाना चावल दे दीजिए। कल दो दाने, परसों चार दाने, इस तरह हर रोज पहले दिन दिए हुए चावल से दुगना चावल दीजिए। ऐसे 30 दिन तक दीजिए।
राजा को सीमा की यह मांग बहुत ज्यादा नहीं लगी। उसने सीमा की बात तुरंत मान ली। सीमा को उस दिन एक दाना चावल दिया गया। दूसरे दिन 2 दाने चावल, तीसरे दिन चार दाने, दसवे दिन 512 दाने चावल दिए गए। यह एक मुट्ठी भर के बराबर थे।
16वें दिन उसे दो टोकरी चावल दिए गए। उनमें 32768 चावल के दाने थे। राजा ने सोचा इस दोगुना वाले तरीके से तो जो मैंने सोचा था उससे कहीं ज्यादा चावल देने पड़ रहे हैं। फिर भी कोई बात नहीं।
24वें दिन सीमा को आठ टोकरियों में 8388608 दाने चावल दिए गए। 27वें दिन 64 टोकरियों 32 हाथियों पर लादकर सीमा के घर भेजी गयी जिनमे 67108864 दाने चावल थे। एक दाना चावल से शुरू होकर चावल की मात्रा इतनी बढ़ गई अब राजा परेशान होने लगा। तीसवें दिन राजा का गोदाम खाली हो गया। 256 हाथियों पर चावल के 536870912 दाने चावल सीमा के घर भेजे गए। राजा ने बच्ची से पूछा, "तुम इतने चावल लेकर क्या करोगी?"
मैं भूख से पीड़ित लोगों में इन्हें बांट दूंगी। आपको भी एक टोकरी चावल दूंगी। क्या आप मुझसे वादा करेंगे कि भविष्य में आप केवल जरूरत भर के ही चावल रखेंगे? सीमा ने पूछा। राजा ने हामी भर दी, "ठीक है। मैं वैसा ही करूंगा। "
Admin


100+ Social Counters
WEEK TRENDING
Loading...
YEAR POPULAR
गम् धातु के रूप संस्कृत में – Gam Dhatu Roop In Sanskrit यहां पढ़ें गम् धातु रूप के पांचो लकार संस्कृत भाषा में। गम् धातु का अर्थ होता है जा...
Riddles in Malayalam Language : In this article, you will get കടങ്കഥകൾ മലയാളം . kadamkathakal malayalam with answer are provided below. T...
अस् धातु के रूप संस्कृत में – As Dhatu Roop In Sanskrit यहां पढ़ें अस् धातु रूप के पांचो लकार संस्कृत भाषा में। अस् धातु का अर्थ होता...
पूस की रात कहानी का सारांश - Poos ki Raat Kahani ka Saransh पूस की रात कहानी का सारांश - 'पूस की रात' कहानी ग्रामीण जीवन से संबंधित ...
COMMENTS