हिंदी कहानी - सबसे बड़ा धन : एक गांव में तीन भाई रहते थे। वह बहुत बुद्धिमान थे। एक दिन उनके बूढ़े पिताजी ने उन्हें बुलाया और कहा, "बच्चों तुम्हें देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। ना जेवर, ना जमीन और ना ही भेड़-बकरी। मगर मैंने तुम्हें सबसे कीमती दौलत दे दी है।" तुम्हारा चातुर्य ! अब मैं निश्चिंत होकर मर सकता हूं। पिताजी की मौत के बाद तीनों भाइयों ने अपना ज्ञान बढ़ाने की सोची। वह एक लंबी यात्रा पर निकल पड़े। कई देश घूमे। एक दिन उन्हें एक सिपाही नजर आया। वह कुछ ढूंढ रहा था। तीनो भाई उस सिपाही से बात करने के लिए रुक गए।
हिंदी कहानी - सबसे बड़ा धन
एक गांव में तीन भाई रहते थे। वह बहुत बुद्धिमान थे। एक दिन उनके बूढ़े पिताजी ने उन्हें बुलाया और कहा, "बच्चों तुम्हें देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। ना जेवर, ना जमीन और ना ही भेड़-बकरी। मगर मैंने तुम्हें सबसे कीमती दौलत दे दी है।" तुम्हारा चातुर्य ! अब मैं निश्चिंत होकर मर सकता हूं।
पिताजी की मौत के बाद तीनों भाइयों ने अपना ज्ञान बढ़ाने की सोची। वह एक लंबी यात्रा पर निकल पड़े। कई देश घूमे। एक दिन उन्हें एक सिपाही नजर आया। वह कुछ ढूंढ रहा था। तीनो भाई उस सिपाही से बात करने के लिए रुक गए।
पहला भाई : भाई साहब आप क्या किसी ऊंट को ढूढ़ रहे हो?
सिपाही : हां।
दूसरा भाई : उसे क्या बाई आंख से दिखाई नहीं देता ?
तीसरा भाई : क्या उस पर एक महिला सवारी कर रही थी ?
सिपाही : बिल्कुल ! तो आपको मेरा ऊंट मिल गया है ? कहां है वो ?
पहला भाई : पर हमने तो आपके ऊंट को देखा ही नहीं।
सिपाही : क्या ? फिर आपको मेरे ऊंट के बारे में इतना सब कैसे पता चला ? जरूर आप कुछ छुपा रहे हैं।
यह कहकर सिपाही उन्हें अपने राजा के पास ले गया और सारी बात बताई। तब तीनों भाइयों ने राजा से कहा कि उन्होंने ऊंट को कभी नहीं देखा। राजा चकित रह गए।
राजा : मेरे सिपाही ने आपको कुछ नहीं बताया स्वयं आपने उसके बारे में सब कुछ बता दिया। यह कैसे संभव है?
तीनो भाई : हमने अपनी चतुराई से समझ लिया।
राजा : जिसे देखा ही नहीं उसके बारे में आप कैसे अंदाजा लगा सकते हैं। चलो हम आपकी बुद्धि की परीक्षा लेते हैं।
राजा ने अपने सेवकों के कान में कुछ फुसफुसाया। सेवक बाहर जाकर एक पेटी लेकर आए। तीनो भाई सेवकों के हर कदम को बहुत ध्यान से देख रहे थे।
राजा : क्या तुम बता सकते हो इस पेटी में क्या है?
पहला भाई : इसमें कोई हल्की सी चीज है।
दूसरा भाई : वह गोलाकार है।
तीसरा भाई : वह अनार है।
राजा ने बेटी खुलवाई। आश्चर्य कि पेटी के अंदर सचमुच एक अनार था।
राजा : शाबाश ! आपको कैसे पता चला कि पेटी के अंदर अनार ही है ?
पहला भाई : आपके सेवक पेटी को जिस तरीके से ला रहे थे, हमने उसे गौर से देखा। मुझे ऐसे लगा की पेटी के अंदर कोई भारी चीज नहीं हो सकती। हमारी परीक्षा लेने के लिए सिर्फ एक चीज रखी गई है।
दूसरा भाई : पेटी में एक वस्तु लुढ़क रही थी। उससे मैंने अनुमान लगाया कि वह चीज गोलाकार है।
तीसरा भाई : मैंने आप के बगीचे में अनार लगे हुए देखे। पेटी में एक ही चीज रखी गई थी और वह गोल थी। मैंने अंदाजा लगाया कि वह अनार की होगा।
राजा : आप लोग सचमुच बहुत चतुर हैं। अब आप यह भी बता दीजिए कि ऊंट के बारे में आपने कैसे पता लगाया ?
पहला भाई : ऊंट के पैरों के निशान से मैंने समझ लिया कि वह उसी रास्ते से गया होगा।
दूसरा भाई : सड़क पर दांये ओर घास और पौधे रौंदे हुए थे। बांयी ओर के पौधे वैसे के वैसे थे। इससे मैंने अंदाजा लगाया कि उसको बांयी आँख से नहीं दिखता।
तीसरा भाई : सड़क पर एक ही स्थान पर ऊंट के पैर मोड़कर बैठने के निशान थे। पास में एक महिला की चप्पल के निशान भी थे। इससे मैंने अंदाजा लगाया कि उसके साथ में एक महिला भी थी।
राजा : वाह भाई !आपकी होशियारी तो सच में तारीफ के काबिल है। आप लोगों ने ऊंट की चोरी नहीं की है। वह कहीं और गया होगा। मुझे बहुत खुशी होगी अगर आज से आप इसी प्रदेश में रहें और बेहतर शासन करने में मेरी मदद करें।
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