छत्रपति शिवजी पर निबंध :वीर शिवाजी का जन्म 1627 ई में महाराष्ट्र के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिताजी शाहजी भोंसले बीजापुर के मुग़ल शासक के यहाँ उच्च पद पर नियुक्त थे। उनकी माता का का नाम जीजाबाई था। वह एक बिद्धिमान धार्मिक एवं देशभक्त महिला थी। उन्होंने बालक शिवा जी का लालन-पालन इस प्रकार से किया की आगे चलकर वह एक सितारे की तरह चमके। बालक शिवा के अंदर स्वाभिमान एवं
भारत वर्ष का इतिहास अनगिनत वीरों और देशभक्तों से भरा पड़ा है। ऐसे ही वीरों में से एक वीर छत्रपति शिवाजी थे। उनकी वीरता पराक्रम एवं शौर्य अद्वितीय था।
वीर शिवाजी का जन्म 1627 ई में महाराष्ट्र के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिताजी शाहजी भोंसले बीजापुर के मुग़ल शासक के यहाँ उच्च पद पर नियुक्त थे। उनकी माता का का नाम जीजाबाई था। वह एक बुद्धिमान धार्मिक एवं देशभक्त महिला थी। उन्होंने बालक शिवा जी का लालन-पालन इस प्रकार से किया की आगे चलकर वह एक सितारे की तरह चमके। बालक शिवा के अंदर स्वाभिमान एवं शौर्य भावनाएं कूट-कूटकर भर दी गई थीं। बाल्यकाल से ही शिवाजी ने युद्धविद्या सीखना प्रारम्भ कर दिया। किशोरावस्था आते-आते वह युद्ध की कला में पूरी तरह से निपुण हो गए थे।
शिवा ने 19 वर्ष की अल्पायु में ही अपनी शक्ति को बढ़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने छोटे-छोटे जागीरदारों को संगठित करना शुरू कर दिया। और बीजापुर के किलों पर हमला करना शुरू कर दिया। थोड़े ही समय में तोरण, सिंह गढ़ और पुरंदर आदि दुर्गों पर अधिकार कर मुगलों को टक्कर देनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे उनकी ख्याति दिल्ली के सम्राट औरंगजेब तक भी पहुँच गई। बीजापुर के शाह ने अफ़ज़ल खान को भेजा पर शिवाजी ने चतुराई से उसको मार गिराया। इसके बाद औरंगजेब ने अपने मां शाइस्ता खां को एक बड़ी सेना दे कर भेजा। उसने मराठा प्रदेशों को रौंद डाला। शिवाजी ने अपने सैनिकों को बरात के रूप में छिपाकर रात को उस पर आक्रमण कर दिया। इससे डरकर वह भाग गया। अंततः औरंगजेब ने जयसिंह द्वारा शिवाजी को अपने दिल्ली के दरबार बुलवाया और छल से बंदी बना लिया। शिवाजी यहाँ से भी बड़ी चतुराई से मिठाई की टोकरी में छिपकर बाहर निकल गए।
कुछ वर्षों बाद मुगलों से पुनः युद्ध छिड़ा। शिवाजी ने इस अवसर पर संधि कर ली और औरंगजेब ने आप को राजा घोषित कर दिया। पर थोड़े समय बाद दोनों में फिर ठान गई। अब तक शिवाजी शक्तिशाली हो चुके थे। उन्होंने सूरत और कई नगरों को अपने राज्य में मिला लिया तथा रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। 53 वर्ष की आयु में सन 1680 में इनका निधन हो गया।
शिवाजी राज्य प्रबंधन में विशेष योग्यता रखते थे। उनके शौर्य और साहस ने लाखों युवाओं को देशभक्ति के लिए प्रेरित किया।
औरंगजेब के क्रूर शासन के खिलाफ शिवाजी ने शक्तिशाली मराठा राज्य को तो खड़ा किया ही साथ ही वे बुंदेलखंड के यशस्वी राजकुमार छत्रसाल के भी सहायक हुए। छत्रसाल बुंदेला के नाम से विख्यात इस नायक को मुगलिया सल्तनत के खिलाफ खड़ा करके उन्होंने औरंगजेब के साम्राज्य की जड़ें हिला दी।
शिवाजी की राजनीतिक सूझ-बूझ तथा सुरक्षा की समझ बड़ी पैनी थी। मिर्जा राजा जयसिंह - जो औरंगजेब द्वारा मराठों को कुचलने की खातिर विशाल सेना लेकर शिवाजी के राज्य पर चढ़ आया था -से जीत ना सकने पर उन्होंने फ़ौरन संधि कर ली। लेकिन बाद में औरंगजेब ने जब उन्हें दिल्ली में कैद कर लिया यो वे कैद से अपने बेटे संभाजी के साथ निकल भागे और फिर से औरंगजेब के खिलाफ खड़े हो गए।
अन्य शासकों के विपरीत शिवाजी की सुरक्षा की समझ और जागरूकता का परिचय इस बात से मिलता है की मराठा नौसेना की नींव रखी सिंधु दुर्ग का निर्माण भी करवाया।
वीर शिवाजी का जन्म 1627 ई में महाराष्ट्र के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिताजी शाहजी भोंसले बीजापुर के मुग़ल शासक के यहाँ उच्च पद पर नियुक्त थे। उनकी माता का का नाम जीजाबाई था। वह एक बुद्धिमान धार्मिक एवं देशभक्त महिला थी। उन्होंने बालक शिवा जी का लालन-पालन इस प्रकार से किया की आगे चलकर वह एक सितारे की तरह चमके। बालक शिवा के अंदर स्वाभिमान एवं शौर्य भावनाएं कूट-कूटकर भर दी गई थीं। बाल्यकाल से ही शिवाजी ने युद्धविद्या सीखना प्रारम्भ कर दिया। किशोरावस्था आते-आते वह युद्ध की कला में पूरी तरह से निपुण हो गए थे।
शिवा ने 19 वर्ष की अल्पायु में ही अपनी शक्ति को बढ़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने छोटे-छोटे जागीरदारों को संगठित करना शुरू कर दिया। और बीजापुर के किलों पर हमला करना शुरू कर दिया। थोड़े ही समय में तोरण, सिंह गढ़ और पुरंदर आदि दुर्गों पर अधिकार कर मुगलों को टक्कर देनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे उनकी ख्याति दिल्ली के सम्राट औरंगजेब तक भी पहुँच गई। बीजापुर के शाह ने अफ़ज़ल खान को भेजा पर शिवाजी ने चतुराई से उसको मार गिराया। इसके बाद औरंगजेब ने अपने मां शाइस्ता खां को एक बड़ी सेना दे कर भेजा। उसने मराठा प्रदेशों को रौंद डाला। शिवाजी ने अपने सैनिकों को बरात के रूप में छिपाकर रात को उस पर आक्रमण कर दिया। इससे डरकर वह भाग गया। अंततः औरंगजेब ने जयसिंह द्वारा शिवाजी को अपने दिल्ली के दरबार बुलवाया और छल से बंदी बना लिया। शिवाजी यहाँ से भी बड़ी चतुराई से मिठाई की टोकरी में छिपकर बाहर निकल गए।
कुछ वर्षों बाद मुगलों से पुनः युद्ध छिड़ा। शिवाजी ने इस अवसर पर संधि कर ली और औरंगजेब ने आप को राजा घोषित कर दिया। पर थोड़े समय बाद दोनों में फिर ठान गई। अब तक शिवाजी शक्तिशाली हो चुके थे। उन्होंने सूरत और कई नगरों को अपने राज्य में मिला लिया तथा रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। 53 वर्ष की आयु में सन 1680 में इनका निधन हो गया।
शिवाजी राज्य प्रबंधन में विशेष योग्यता रखते थे। उनके शौर्य और साहस ने लाखों युवाओं को देशभक्ति के लिए प्रेरित किया।
औरंगजेब के क्रूर शासन के खिलाफ शिवाजी ने शक्तिशाली मराठा राज्य को तो खड़ा किया ही साथ ही वे बुंदेलखंड के यशस्वी राजकुमार छत्रसाल के भी सहायक हुए। छत्रसाल बुंदेला के नाम से विख्यात इस नायक को मुगलिया सल्तनत के खिलाफ खड़ा करके उन्होंने औरंगजेब के साम्राज्य की जड़ें हिला दी।
शिवाजी की राजनीतिक सूझ-बूझ तथा सुरक्षा की समझ बड़ी पैनी थी। मिर्जा राजा जयसिंह - जो औरंगजेब द्वारा मराठों को कुचलने की खातिर विशाल सेना लेकर शिवाजी के राज्य पर चढ़ आया था -से जीत ना सकने पर उन्होंने फ़ौरन संधि कर ली। लेकिन बाद में औरंगजेब ने जब उन्हें दिल्ली में कैद कर लिया यो वे कैद से अपने बेटे संभाजी के साथ निकल भागे और फिर से औरंगजेब के खिलाफ खड़े हो गए।
अन्य शासकों के विपरीत शिवाजी की सुरक्षा की समझ और जागरूकता का परिचय इस बात से मिलता है की मराठा नौसेना की नींव रखी सिंधु दुर्ग का निर्माण भी करवाया।
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