वृक्ष की आत्मकथा हिंदी निबंध: मैं वृक्षों का राजा पीपल हूँ! अनगिनत पत्तियों और शाखाओं वाला। आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ, वृक्षों की एक आत्मकथा।
वृक्ष की आत्मकथा हिंदी निबंध - Vriksh ki Atmakatha Hindi Nibandh
वृक्ष की आत्मकथा हिंदी निबंध: मैं वृक्षों का राजा पीपल हूँ! अनगिनत पत्तियों और शाखाओं वाला। आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ, वृक्षों की एक आत्मकथा। मेरा जन्म एक छोटे से बीज से हुआ। बड़े-बड़े पेड़ों ने मुझे बताया कि मैं पीपल का पेड़ हूँ। साल दर साल मैं बढ़ता गया। पहले मेरी जड़ें मजबूत हुईं, फिर तना मोटा हुआ और शाखाएँ फैलने लगीं। गांव के बीच चौक पर खड़ा होकर, मैंने गाँव के लोगों की खुशियाँ, गम, त्योहारों की रौनक - सब कुछ देखा है। कभी-कभी लगता है, मैं हूँ गाँव का मूक दर्शक हूँ ।
हर सुबह पक्षी आकर मेरी टहनियों पर बैठते, गाना गाते। कभी-कभी गिलहरी मेरी शाखाओं पर इधर-उधर छलांगें लगाती। शाम ढलते ही, बूढ़े लोग मेरी जड़ों के पास बैठकर आपस में कहानियां सुनाते थे।
मैंने वसंत में खिलने वाले फूलों की खुशबू, गर्मी की तेज धूप, बरसात की रिमझिम और सर्दी की कड़ाके की ठंड सब महसूस की है। हर मौसम में मेरा रूप बदलता रहता था। बसंत में मैं हरे-हरे पत्तों से लद जाता हूँ तो पतझड़ में कभी पीले पत्तों की चादर ओढ़ लेता हूँ। बरसात में, मैं बारिश की बूंदों को अपने पत्तों पर सहता हूँ तो सर्दियों में, मैं स्थिर खड़ा रहता हूँ, मानो प्रकृति के साथ गहरी समाधि में हूँ।
कुछ लोग कहते हैं पीपल का पेड़ भगवान का वास होता है। शायद इसीलिए लोग मेरी पूजा करते हैं, लाल धागा बांधते हैं। मुझे अच्छा लगता है कि मैं लोगों की आस्था का केंद्र हूँ। त्योहारों पर मेरी टहनियों पर रंग-बिरंगी झालरें सजतीं और दीपों की रोशनी से मैं जगमगा उठता।
जानता हूँ एक दिन शायद मैं भी बूढ़ा हो जाऊंगा, शायद मुझे काट दिया जाएगा। पर मुझे गम नहीं है। मेरी टहनियों से नए पौधे निकलेंगे, वो भी पेड़ बनेंगे और मेरी तरह से लोगों को छाया, पक्षियों को आशियाना देंगे। ये सिलसिला चलता रहेगा, यही मेरा जीवन का सार है। मैं हूँ पीपल का पेड़, धरती का पहरेदार और प्रकृति का रक्षक।
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