स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध: स्वास्थ्य मानव जीवन का सबसे अनमोल रत्न है। यह वह धन है, जिसके बिना जीवन की सारी सुख-सुविधाएँ और उपलब्धियाँ फीकी पड़ जाती
स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध - Health is Wealth Essay in Hindi
स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध: स्वास्थ्य मानव जीवन का सबसे अनमोल रत्न है। यह वह धन है, जिसके बिना जीवन की सारी सुख-सुविधाएँ और उपलब्धियाँ फीकी पड़ जाती हैं। स्वस्थ शरीर और मन के बिना न तो कोई कार्य पूर्ण हो सकता है, न ही जीवन का वास्तविक आनंद प्राप्त किया जा सकता है। यह सत्य है कि धन से भौतिक सुख खरीदे जा सकते हैं, परंतु स्वास्थ्य ऐसा धन है, जो धन से नहीं खरीदा जा सकता। एक स्वस्थ व्यक्ति ही अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकता है। इसलिए यह कहा जाता है कि स्वास्थ्य ही वास्तविक धन है।
स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए संतुलित जीवनशैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है। सुबह जल्दी उठकर योग, प्राणायाम या व्यायाम करने से शरीर में स्फूर्ति आती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। नियमित रूप से खुली हवा में टहलना या खेलकूद में भाग लेना शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखता है। इसके साथ ही, पौष्टिक और संतुलित आहार का सेवन भी उतना ही जरूरी है। हरी सब्जियाँ, ताजे फल, दालें और अनाज शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। दूसरी ओर, तले-भुने भोजन, जंक फूड और अत्यधिक मिठाइयों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है।
स्वास्थ्य केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक भी होना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है। तनाव, चिंता और नकारात्मक विचार मन को कमजोर करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए ध्यान, योग और प्रार्थना जैसे अभ्यास लाभकारी होते हैं। इसके अलावा, परिवार और मित्रों के साथ समय बिताना, हँसी-मजाक करना और अपनी रुचि के कार्यों में व्यस्त रहना भी मन को प्रसन्न रखता है। पर्याप्त नींद लेना भी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, क्योंकि नींद की कमी से थकान, चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा करते हैं। आधुनिक जीवनशैली में लोग देर रात तक जागते हैं, असमय भोजन करते हैं और शारीरिक श्रम से दूर रहते हैं। बच्चे और युवा भी मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन पर घंटों बिताते हैं, जिससे उनकी आँखें कमजोर होती हैं और शारीरिक गतिविधियाँ कम हो जाती हैं। ऐसी आदतें मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देती हैं। पर्यावरण प्रदूषण, अशुद्ध जल और अस्वच्छ वातावरण भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इसलिए, स्वस्थ रहने के लिए न केवल व्यक्तिगत प्रयास, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय सुधार भी आवश्यक हैं।
स्वास्थ्य के महत्व को समझने की आवश्यकता आज पहले से कहीं अधिक है। सरकार और सामाजिक संस्थाएँ स्वच्छता, पोषण और व्यायाम के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अनेक अभियान चला रही हैं। स्कूलों में भी बच्चों को स्वास्थ्य शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे बचपन से ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ। एक स्वस्थ समाज ही एक समृद्ध और सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। अंत में, यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य ही वह आधार है, जिस पर जीवन की सारी खुशियाँ और सफलताएँ टिकी हैं। इसे संरक्षित और संवर्धित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को सचेत और सक्रिय रहना चाहिए, क्योंकि सच्चा धन वही है, जो जीवन को सार्थक बनाए।
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