काश मैं उड़ पाता पर रचनात्मक लेख: आसमान में पंछियों की तरह उड़ना हमेशा से ही मनुष्यों का सपना रहा है। कभी-कभी सोचता हूँ कि कैसा होता अगर मैं उड़ सकता? श
काश मैं उड़ पाता पर रचनात्मक लेख / निबंध (Kash Main Ud Pata Par Rachnatmak Lekh)
काश मैं उड़ पाता पर रचनात्मक लेख: आसमान में पंछियों की तरह उड़ना हमेशा से ही मनुष्यों का सपना रहा है। कभी-कभी सोचता हूँ कि कैसा होता अगर मैं उड़ सकता? शायद मैं भी पक्षियों के साथ उड़ान भरता। ऊपर से देखने में सारी गाड़ियाँ चींटी जैसी और इमारतें छोटे डिब्बों जैसी दिखती। काश मैं उड़ पाता।
सोचो, अगर मैं उड़ पाता तो स्कूल जाने के लिए बस या रिक्शे की कोई ज़रूरत न होती! बस थोड़ा सा दौड़ लगाता और झट से हवा में उड़ जाता, सीधा क्लास रूम की खिड़की से अंदर! टीचर शायद थोड़े नाराज़ होते, लेकिन बाकी बच्चे तो मुझसे बहुत जलते! काश मैं उड़ पाता।
यदि मैं सचमुच उड़ पाता, तो ये दुनिया मेरे लिए खेल का मैदान बन जाती! एक पल में मैं आसमान छू लेता, दूसरे पल समुद्र की गहराईयों में चला जाता! हर रोज़ एक नया रोमांच, हर पल एक नया कारनामा! ये सचमुच जादुई ज़िंदगी होती!
अगर मैं उड़ पाता, तो हर कोई मेरा फैन हो जाता! अखबारों में मेरी फोटो छपती, "उड़ने वाला लड़का - राहुल!" शायद मेरा नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी चला जाता! जब भी शहर पर कोई मुसीबत आती तो लोग पुलिस की जगह मुझे यानि फ्लाइंग राहुल को बुलाते।
शायद उड़ने की शक्ति पाकर, मैं सुपरहीरो बन जाता! अगर किसी को मदद की ज़रूरत होती, तो फौरन पहुंच जाता। आग लगी हो या कोई नदी में डूब रहा हो, मैं उन्हें बचा लेता हूँ। बाढ़ या भूकंप के बाद फंसे लोगों को बचाने के लिए हेलिकॉप्टरों का इंतज़ार नहीं करना पड़ता। मैं सीधे उन तक पहुंच सकता था. दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले मरीजों के लिए दवाइयां पहुंचाने का काम भी आसान हो जाता। लोग मुझे प्यार से कहते "फ्लाइंग राहुल"
अगर मैं उड़ सकता, तो दूर देशों की सैर भी मुफ्त में हो जाती! कभी मिस्र के पिरामिडों पर चढ़ता तो कभी ताजमहल की खूबसूरती को करीब से निहारता! शायद मैं अंतरिक्ष की सैर भी कर लेता! अगर कोई एलियन मिलता, तो उससे दोस्ती कर लेता और उसे धरती की खूबसूरती दिखाता!
अगर सचमुच उड़ना सीख लेता, तो ये ज़िंदगी कितनी कमाल की हो जाती! फिलहाल तो ये सिर्फ एक ख्वाब है। लेकिन विज्ञान लगातार तरक्की कर रहा है। हो सकता है आने वाले समय में उड़ना उतना ही आम हो जाए जितना आज पैदल चलना है।
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