यदि जल न होता तो क्या होता हिंदी निबंध: यदि पृथ्वी पर जल न होता: तो पृथ्वी एक निर्जीव ग्रह बनकर रह जाती। जल जीवन का मूल आधार है। सभी जीवधारियों को जीव
यदि जल न होता तो क्या होता हिंदी निबंध - Yadi Jal Na Hota To Kya Hota Hindi Nibandh
पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व जल पर टिका हुआ है। किंतु कल्पना कीजिए, यदि पृथ्वी पर जल न होता तो क्या होता? यदि नदियां, झीलें, महासागर, बर्फ के टुकड़े - सभी अदृश्य हो जाएं, तो हमारी पृथ्वी कैसी दिखेगी और उस पर जीवन का अस्तित्व कैसा होगा? विज्ञान हमें बताता है कि जल जीवन का पर्याय है। यह पृथ्वी पर जैविक प्रक्रियाओं का आधार है। लेकिन कल्पना कीजिए, यदि ये सभी जल न होता, तो क्या होता? क्या धरती पर जीवन होता?
यदि पृथ्वी पर जल न होता: तो पृथ्वी एक निर्जीव ग्रह बनकर रह जाती। जल जीवन का मूल आधार है। सभी जीवधारियों को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता होती है। जल ही वह तत्व है जो पेड़-पौधों को जीवन देता है। बिना जल के, सभी जीव जंतुओं और वनस्पति का अस्तित्व मिट जाता। जल के अभाव में हरे-भरे जंगल, सुंदर घाटियां और लहराते खेत - ये सभी स्मृति बनकर रह जाते। पक्षियों का मधुर कलरव और कीटों का भनभनाहट खामोशी में खो जाती। धरती एक मृत ग्रह बन जाती, जहां केवल सन्नाटा और मृत्यु का साम्राज्य होता।
यदि पृथ्वी पर जल न होता: तो धरती नीला ग्रह न कहलाता। विशाल महासागर, जो पृथ्वी के दो-तिहाई से अधिक भाग को आच्छादित करते हैं, सूखे रेगिस्तानों में बदल जाते। मीठे जल की नदियां और झीलें, जो जीवन का रस बहाती हैं, उनके सूखे निशान ही रह जाते। पृथ्वी एक विशाल रेगिस्तान बन जाती, जहां धूल के बवंडर निरंतर घूमते रहते और सूरज की तेज किरणें निर्ममता से चट्टानों को तपाती रहतीं। पृथ्वी एक विशाल, निर्जल मरुस्थल में बदल जाती।
यदि पृथ्वी पर जलस्रोत न होते: तो जीवन का अस्तित्व असंभव हो जाता। हम जानते हैं कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवों में जल का एक महत्वपूर्ण अंश होता है। मनुष्य शरीर का लगभग 60% जल से बना है, और पौधों में तो यह मात्रा और भी अधिक होती है। जल कोशिकाओं के भीतर होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है, जो जीवन को बनाए रखती हैं। बिना जल के, ये प्रतिक्रियाएं रुक जाती, और सभी जीव मर जाते।
पहाड़, नदियों और घाटियों आदि के निर्माण में भी जल की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बारिश का पानी चट्टानों को तोड़ता है और मिट्टी को बहा ले जाता है। ये प्रक्रिया ही पहाड़ों, घाटियों, और दूसरी धरती की आकृतियों को बनाती है। पानी के बिना, ये आकृतियां जस की तस रहेंगी, इनमें कोई बदलाव नहीं आएगा। ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं से लेकर गहरी घाटियों तक, जो कुछ भी आज हम देखते हैं, वो सब समतल, बेजान मैदानों में बदल जाएगा।
यदि पृथ्वी पर जल न होता: तो मानव सभ्यता का अस्तित्व मिट जाता। सभ्यता का इतिहास जल के किनारे ही लिखा गया है। सिंधु घाटी और मेसोपोटामिया जैसी प्राचीन सभ्यताएं नदियों के किनारे ही विकसित हुई थीं। बिना जल के, कृषि असंभव हो जाती। खेत सूख जाते और अन्न का एक दाना भी नहीं उगता। जल न केवल पीने और सिंचाई के लिए आवश्यक है, बल्कि परिवहन, ऊर्जा उत्पादन और उद्योगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, जल के अभाव में, मनुष्य का भविष्य अंधकारमय हो जाता।
संक्षेप में, एक निर्जल पृथ्वी एक मृत पृथ्वी होती। यह एक ऐसा ग्रह होगा जहां चट्टानें सूरज की तेज किरणों के नीचे झुलसती रहती और जीवन का कोई संकेत नहीं होता। जल न केवल जीवन का स्रोत है, बल्कि यह पृथ्वी के प्राकृतिक चक्रों और प्रकृति का आधार भी है। यह जल ही है जो पृथ्वी को गतिशील रखता है और निरंतर बदलता रहता है। जल के बिना, पृथ्वी एक स्थिर, निर्जीव चट्टान बनकर रह जाती।
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