हर्षे चेस के प्रयोग का वर्णन करते हुए निष्कर्ष बताइये (Hershey and Chase Experiment in Hindi) - हर्षे तथा चेज के पारगमन प्रयोग को निम्नवत् समझाया जा स
हर्षे चेस के प्रयोग का वर्णन करते हुए निष्कर्ष बताइये (Hershey and Chase Experiment in Hindi)
हर्षे तथा चेस का पारगमन प्रयोग - हर्षे तथा चेज के पारगमन प्रयोग को निम्नवत् समझाया जा सकता है-
(1) जीवाणुभोजी (Bacteriophage) - ये जीवाणुओं के विषाणु हैं। T2 एक जीवाणुभोजी है, जो ई. कोलाई को प्रभावित करता है।
(2) हर्षे एवं चेज (1952) ने ई. कोलाई को दो भिन्न संवर्धन माध्यमों में संवर्धित किया। एक संवर्धन माध्यम में रेडियोएक्टिव सल्फर (S 35 ) व दूसरे संवर्धन माध्यम में रेडियोएक्टिव फॉस्फोरस (P 32 ) डाला । रेडियोएक्टिव सल्फर ने सल्फरयुक्त अमीनों अम्लों से सम्बद्ध होकर जीवाणुवीय प्रोटीन का निर्माण किया, जबकि रेडियोएक्टिव फॉस्फोरस, न्यूक्लियोटाइड से सम्बद्ध हुई, जिससे न्यूक्लिक अम्ल (मुख्यतया DNA) का निर्माण हुआ ।
(3) हर्षे एवं चेज ने फिर T2 जीवाणुभोजी को दोनों संवर्धन माध्यमों में प्रविष्ट कराया। दोनों ही स्थिति में प्राप्त विषाणु सन्ततियों का परीक्षण किया गया।
विषाणु के जीवाणु में गुणन करने के कारण दो प्रकार के विषाणु प्राप्त हुए। एक जिनमें रेडियोएक्टिव प्रोटीन थी, दूसरे जिनमें रेडियोएक्टिव DNA था।
(4) प्रत्येक प्रकार के जीवणुभोजियों को फिर सामान्य जीवाणुयुक्त संवर्धन माध्यम में प्रविष्ट कराया गया। कुछ समय पश्चात इस निलम्बन को सेन्ट्रीफ्यूज में 1000 rpm पर मथकर खाली प्रोटीन खोल (Capsid) को पृथक कर दिया गया।
अपकेन्द्रण या सेन्टीफ्यूज (Centrifuge) करने पर भारी व संक्रमित जीवाणु नीचे बैठ गए व ऊपर के द्रव में हल्के प्रोटीन खोल रह गए।
(v) दोनों के परीक्षण पर उन्होंने पाया कि चिन्हित प्रोटीनयुक् विषाणु, जीवाणु को चिन्हित करने में असमर्थ थे । चिन्हित DNA युक्त विषाणु, जीवाणु को चिन्हित करने में सक्षम थे । इससे यह सिद्ध हो गया कि आनुवंशिक पदार्थ DNA है न कि प्रोटीन ।
निष्कर्ष – जो जीवाणु रेडियोएक्टिव DNA वाले विषाणु से संक्रमित रेडियोएक्टिव थे, तथा जो विषाणु रेडियोएक्टिव प्रोटीन से संक्रमित थे, रेडियोएक्टिव नहीं थे। इस तरह यह सिद्ध हुआ कि DNA ही आनुवांशिक पदार्थ है, जिनका स्थानान्तरण विषाणुओं से जीवाणुओं हुआ ।
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