गॉल्जीकाय की संरचना एवं कार्य: गॉल्जीकाय एक झिल्लीयुक्त कोशिकांग है जो एक-दूसरे से सटे हुए सपाट थैली समान सिस्टर्नी से बनी होती हैं। एक गॉल्जीकाय में
गॉल्जीकाय की संरचना एवं कार्य (Golgi Body Structure and Function in Hindi)
गॉल्जीकाय की संरचना (Golgi Body Structure in Hindi)
गॉल्जीकाय एक झिल्लीयुक्त कोशिकांग है जो एक-दूसरे से सटे हुए सपाट थैली समान सिस्टर्नी से बनी होती हैं। एक गॉल्जीकाय में सिस्टर्नी 3- 12 तक होती हैं एवं चिकनी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका से समानता रखती हैं। सिस्टर्नी के किनारे पर पुट्टिकाओं एवं नलिकाओं का सघन जाल होता है। इसकी संरचना में ध्रुवीकरण होता है। इसकी निर्माणकारी सतह एवं परिपक्वन सतह की पुट्टिकाएँ भिन्नता प्रदर्शित करती हैं। यह अधिकतर कोशिका के केन्द्रक के पास स्थित होती हैं। पूर्ण गॉल्जीकाय लगभग 5-10 लम्बा चौड़ा भाग घेरता है। इसका आकार परिवर्तनशील होता है। अतः यह बहुरूपिक या पॉलीमॉर्फिक (Polymor- phic) कोशिकांग है।
कैमिलियो गॉल्जी (Camelio Golgi) (1898) ने उल्लू की तंत्रिका कोशिकाओं में इसकी खोज की थी। पादप कोशिकाओं में इनको डिक्टियोसोम ( Dictyosome) नाम से भी जाना जाता है। गॉल्जीकाय के रासायनिक संघटन में प्रोटीन एवं वसा का अनुपात क्रमश: 60 : 40 होता है। कुछ मात्रा में डी. एन. ए. , आर. एन. ए. व पॉलीसेकेराइड्स होते हैं। इसमें थायमीन पायरोफॉस्फेटेज एवं ग्लाइकोसिल ट्रान्सफेरेज एन्जाइम प्रमुख होते हैं।
गॉल्जीकाय के कार्य (Functions of Golgi body in Hindi)
(1) गॉल्जीकाय का मुख्य कार्य स्त्रावण है। इनकी संख्या स्रावी कोशिकाओं में अधिक होती है, जैसे- अग्न्याशय कोशिकाएँ, श्लेष्मिक कोशिकाएँ, स्तन ग्रन्थि कोशिकाएँ, थायरॉइड ग्रन्थि कोशिकाएँ।
(2) लाइसोसोम एवं परऑक्सीसोम का निर्माण करना।
(3) गॉल्जीकाय के वेसीकल में वसा व प्रोटीन का संचय होता है।
(4) कोशिका विभाजन के समय ये कोशिका पट्टी बनाती हैं।
(5) शुक्रजनन के समय शुक्राणु के एक्रोसोम का निर्माण गॉल्जीकाय से होता है।
(6) पुट्टिकाओं के द्वारा कोशिकाओं के उत्सर्जी पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।
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