आनुवंशिक इंजीनियरिंग क्या है? इसके महत्व को लिखिए— जीवों में वॉहित लक्षण प्रारूप प्राप्त करने के लिए आनुवंशिक पदार्थ (जीन अथवा DNA खण्ड) को जोड़ा, घटा
आनुवंशिक इंजीनियरिंग क्या है? इसके महत्व को लिखिए
आनुवंशिक इंजीनियरिंग— जीवों में वॉहित लक्षण प्रारूप प्राप्त करने के लिए आनुवंशिक पदार्थ (जीन अथवा DNA खण्ड) को जोड़ा, घटाया या ठीक किया जाता है, यह प्रक्रिया आनुवंशिक अभियान्त्रिकी कहलाती है। इसे जेनेटिक इंजीनियरिंग, आनुवंशिक संशोधन, या आनुवंशिक हेरफेर भी कहा जाता है। संक्षेप में किसी जीव के जीन (genome, जीनोम) में हस्तक्षेप कर के उसे परिवर्तित करने की तकनीकों, प्रणालियों तथा उनके अध्ययन का सामूहिक नाम आनुवंशिक इंजीनियरिंग है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में जीनी चिकित्सा (In Health Field Gene Therapy)
बायोटैक्नोलॉजी का सर्वाधिक योगदान स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में है। इसमें रोग की रोकथाम, रोग निदान, रोग नियंत्रण, चिकित्सीय कारक, जेनेटिक रोगों का सुधार तथा जनन नियंत्रण आते हैं। इनमें से कुछ का वर्णन नीचे दिया जा रहा है:
1. रिकॉम्बिनेन्ट वैक्सीन का संश्लेषण (Synthesis of Recombinant Vaccines)
वैक्सीन का उपयोग मनुष्य को संक्रामक रोगों से प्रतिरक्षा प्रदान करे के लिए किया जाता है । आजकल hepatitis B तथा Herpes वाइरस के लिए जेनेटिकली इन्जीनियरी से बने सूक्ष्मजीवों द्वारा जेनेटिकली इन्जीनियरी वैक्सीन संश्लेषित किए जा रहे हैं। प्रतिनिषेचन (antifertility) वैक्सीन तथा सुअर व रेबीस आदि के वैक्सीन भी इसी प्रकार विकसित किए जा रहे हैं। इस प्रकार के वैक्सीन अधिक स्वच्छ, सुरक्षित तथा अधिक सख्त होते हैं। कुछ रिकॉम्बिनेन्ट वैक्सीन के नाम दिये गये है:
(i) Anti-hepatitis Vaccine— सन 1980 में पाश्चर इन्स्टीट्यूट के कुछ वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया व चूहे की कोशिकाओं को जेनेटिक इन्जीनियरी द्वारा हेपेटाइटिस B वाइरस के एण्टीजन के निर्माण के लिए प्रेरित किया। यह एण्टीजन हेपेटाइटिस - B के संक्रमण के प्रतिरोध क्षमता या प्रतिरक्षा प्रदान करता है ।
(ii) Anti-rabies Vaccine— सन् 1981-82 में फ्रांस की एक कम्पनी, ट्रांसजीन के वैज्ञानिकों ने जेनेटिक इन्जीनियरी द्वारा E. coli की कोशिकाओं से रेबीज वाइरस के लिए एक वैक्सीन तैयार की।
(iii) Anti-foot and Mouth Disease Vaccine for cattle— अकाजो (Akzo) नामक कम्पनी ने सन् 1982 में मवेशियों में होने वाले (Anti-food and mouth) रोग के वाइरस के लिए वैक्सीन तैयार की।
(iv) Cholera Vaccine— यह वैक्सीन (Vibrio cholerae) नामक वैक्टीरिया द्वारा होने वाले हैजा रोग से सुरक्षा प्रदान करती है।
(v) Malaria Vaccine— New York University के मेडिकल विभाग में मलेरिया के लिए वैक्सीन बनाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं।
(vi) Vaccine for Smallpox Virus— पुनर्योगज तकनीकी की सहायता से वैक्सीनिया वाइरस (cowpox virus) को चेचक की वैक्सीन बनाने का आधार माना जाता है।
2. मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज (Monoclonal Antibodies)
नयी प्रकार की दवाइयों का संश्लेषण, रोगों को पहचानने (diagnosis) के लिए मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज का संश्लेषण (synthesis of monoclonal antibodies: MAB), आनुवंशिक रोगों की पहचान आदि में भी जेनेटिक इन्जीनियरिंग का उपयोग किया जा रहा है।
मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज को हाइब्रिडोमा तकनीकी द्वारा तैयार किया जाता है। Georges Kohler ने 1975 ई. में इस तकनीकी का विकास किया था Greever (1981) ने जेनेटिक इन्जीनियरिंग तकनीकी द्वारा सिकल सेल एनीमिया के लिये जिम्मेदार जीन की पहचान की। मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज रुधिर वर्गों को पहचानने, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने, वैक्सीन उत्पादन एवं प्रतिरक्षा चिकित्सा में प्रयोग में आती है।
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