पक्ष्माभी तथा कशाभिका की संरचना तथा गति को स्पष्ट कीजिये: पक्ष्माभ तथा कशाभ या उसके विभिन्न व्युत्पाद सभी प्राणी फाइलमों में पाए जाते हैं ये अनेक प्रो
पक्ष्माभी तथा कशाभिका की संरचना तथा गति को स्पष्ट कीजिये
पक्ष्माभ तथा कशाभ या उसके विभिन्न व्युत्पाद सभी प्राणी फाइलमों में पाए जाते हैं ये अनेक प्रोटोजोआ एवं अनेक मेटाज़ोआ कोशिकाओं की आधारभूत संचलनी संरचनाएं हैं उद्धारण के लिये शुक्राणुओं तथा अकशेरुकियों एवं कशेरुकियों की पक्ष्माभ एपिथीलियमों की कोशिकाएँ। पक्ष्माभ के व्युत्पाद विभिन्न प्रकार के प्रकाशग्राही (photoreceptor), यांत्रिकग्राही (mechanoreceptors) तथा रसायनग्राही ( chemoreceptors) कोशिकाओं में पाए जाते हैं।
पक्ष्माभ तथा कशाभ में एक समान भीतरी संरचना पायी जाती है। इन दोनों का अंतर इनकी भिन्न विस्पंदन व्यवस्था ( beating pattern) में पाया जाता है। कशाभी विस्पंदन, एक सममित उर्मिलन (लहराने) की तरह होता है, जैसा कि शुक्राणु की पूंछ में होता है, इस व्यवस्था में विस्पंदन एक लहर की तरह कशाभ के आधार से शुरू होकर अंतिम सिरे तक चलाता है। इसके विपरीत पक्ष्माभी गति असमयित होती है; इसमें वह तेजी से अथवा झटके के साथ एक ओर प्रहार करता है, जिसके बाद वह थोड़ी धीमी गति से मुड़ी दशा से पलट कर मूल सीधी स्थिति में आ जाता है कशाभी गति में जल का नोदन कशाभ के लम्बे अक्ष के समानांतर होता है, और पक्ष्माभी गति में जल का नोदन पक्ष्माभचारी सतह के समानांतर होता है।
पक्ष्माभ तथा कशाभ / कशाभिका की संरचना
पक्ष्माभ तथा कशाभ बाल जैसे कोशिकांगक होते हैं, इनका व्यास (0.2 pum) तथा भीतरी संरचना समान होती है, किंतु इनकी लम्बाई भिन्न होती है। पक्ष्माभ सामान्यतः 15 pm से कम लम्बी होती है जब कि कशाभ 200 pm तक लम्बे होते हैं। पक्ष्माभ तथा कशाभ की भीतरी संरचना तथा इनकी आणविक संघटना का इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी तथा जैव रसायन तकनीकों से भली-भाँति अध्ययन किया जा चुका है। पक्ष्माभ तथा कशाभ की आवरक झिल्ली कोशिका की प्लाज्मा झिल्ली में बनी हुई है। यह वास्तव में प्लाज़्मा झिल्ली का ही बहिर्वलन होती है। पक्ष्माभ जीवधारी के शरीर से एक आधारीय पिंड (basal body) अथवा काइनेटोसोम (kinetosome ) द्वारा जुड़ा होता है।
पक्ष्माभ की मुख्य भीतरी संरचनाएं सूक्ष्मनलिकाएँ (microtubules) होती है, जो आधार से लेकर अंतिम छोर तक चलती रहती हैं। सूक्ष्म नलिकाएं 9+2 की समाकृति में व्यवस्थित होती हैं, इनमें नौ बाहरी दोहरी नलिकाएँ होती हैं, जो दो एकहरी केंद्रीय सूक्ष्मनलिकाओं को घेरे रहती हैं।
प्रत्येक सूक्ष्मनलिका खोखली एवं सिलिंडराकार होती है यह ट्यूबिलिन ( tubulin) नामक गोलाकार प्रोटीनों के बहुलकों (पौलीमरों) की बनी होती है। बाहरी द्वयकों (doublets) में से प्रत्येक द्वयक दो प्रकार की नलिकाओं का बना होता है एक तो सम्पूर्ण नलिका (A नलिका) जिसमें 13 उप-इकाइयाँ होती हैं और दूसरी उससे लगी हुई अपूर्ण नलिका ( B नलिका) जिसमें केवल 10 या 11 उप इकाइयाँ होती हैं। प्रत्येक नलिका में दो पार्श्व भुजाएँ होती हैं जो अगले इयक की B नलिका की ओर को निकली होती हैं। इन भुजाओं को डाइनीइन (dynein) कहते हैं। उपनलिका से निकल कर केंद्र की ओर सूक्ष्मनलिकाओं के केंद्रीय जोड़े तक जाने वाली एक अर (spoke) होती है, इन सभी अरों को मिलाकर एक पहिए जैसी व्यवस्था दिखाई पड़ती है। बाहरी इयक परिधीय रूप में आपस में नेक्सिन कड़ियों (nexin links) द्वारा जुड़े होते है। सभी सूक्ष्मनलिकाओं एवं संबंधित भुजाओं तथा कड़ियों को एक साथ मिलाकर ऐक्सोनीम (axoneme) कहते हैं। नौ परिधीय द्वयक आधार की ओर आपस में जुड़कर एक खोखली नली बनाते हैं, जो आधारीय पिंड (basal body) का स्वरूप ले लेती हैं।
पक्ष्माम तथा कशाभ की गति की क्रियाविधि
पक्ष्माभ तथा कशाभ की गति की क्रियाविधि के स्पष्टीकरण की दिशा में तीन प्रकार की क्रियाविधियों का सुझाव दिया गया है जो इस प्रकार है
- कशाभ निष्क्रिय रूप में बहुत कुछ एक कोड़े की तरह गति करता है, जिसमें बल आधार पर लगाया जाता है;
- संचरित तरंग के भीतरी वक्र के तत्व विपरीत दिशाओं में एकांतर क्रम में संकुचित होते हैं, जिससे पक्ष्माभ अथवा कशाभ एक से दूसरे पाश्र्व की ओर मुड़ते रहते हैं; तथा
- पक्ष्माभ के पतले सूत्रों की आकृति नहीं बदलती बल्कि वे एक दूसरे के ऊपर आगे उसी तरह निकल जाते हैं, जिस तरह पेशी संकुचन में फिलैमेंटों (सूत्रों) का सर्पण होता है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा किए गए अध्ययनों से यह पता चलता है कि कशाभ का मुड़ना तब होता है, जब प्रसृत डाइनीइन भुजाएँ सहवर्ती B नलिकाओं के साथ चिपक जाती हैं, जिससे सर्पण गति (sliding movement) प्रेरित होती है। डाइनीइन भुजाएँ पक्ष्माभ में आगे-आगे को "चलती" हुई सी जान पड़ती है, ऐसा अनुमानतः अरीय तीलियों का केंद्रीय सूक्ष्मनलिका के साथ चिपक जाने से होता है, जिससे सर्पण में बाधा पड़ती है। सर्पण गति को पक्ष्माभ अथवा कशाभ के प्रतिरूपी मुड़ने की गति में बदलने के लिये अरीय तीलियों तथा नेक्सिन कड़ियों की आवश्यकता होती है। सर्पण गति के लिए ऊर्जा की उपलब्धता ATP के जलापघटन (hydrolysis) द्वारा होती है।
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