जाति तथा वर्ण में अंतर (Difference between Caste and Varna in Hindi)
वर्ण और जाति में क्या अंतर है ?
जाति और वर्ण में निम्नलिखित अंतर पाये जाते हैं -
1. जाति का आधार जन्म है जबकि वर्ण का गुण एवं कर्म हैं - जाति जन्म से निश्चित होती है अतएव उसमें जन्मजात अधिकारों का विशेष महत्व है। इसी के आधार पर विशेषाधिकार व निर्योग्यता मिलती हैं। जाति में परिवर्तन के अवसर न के बराबर हैं। वर्ण व्यक्ति के गुणों व कर्म के आधार पर निश्चित होती है। व्यक्ति अपने गुणों एवं कर्मों के आधार पर वर्ण परिवर्तन कर सकता है।
2. वर्ण तथा जाति की संख्या में अंतर - देश में जातियों व उपजातियों के सर्वेक्षण से यह पता चलता है कि उनकी संख्या हजारों तक पहँच गई है और यह संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है, लेकिन वर्ण केवल चार हैं - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र।
3. वर्ण जाति की अपेक्षा लचीली एवं परिवर्तनशील है - जाति में परिवर्तन का विधान नहीं है जो व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है वह उसी जाति का माना जाता है तथा वह अपनी जाति में परिवर्तन नहीं कर सकता। यह एक बन्द व्यवस्था है। इसी तरह विभिन्न जातियों में परस्पर विवाह का निषेध है साथ ही जाति अपने अनेक नियमों व निषेधों को कठोरता से पालन करने पर बल देती है। इसके विपरीत वर्ण-व्यवस्था में परिवर्तन, विभिन्न वर्गों में विवाह आदि की सुविधा होती है साथ ही जाति की तरह वर्ण व्यवस्था में कठोर नियमों व निषेधों का अभाव है।