जाति एक बंद वर्ग है व्याख्या कीजिए
जाति एक बंद वर्ग है मजूमदार एवं मदान ने जाति को एक बन्द वर्ग कहा है। यह कथन पूर्णतः सत्य है क्योंकि वर्ग व्यवस्था में जो खुलापन व लचीलापन पाया जाता है, यदि उसे समाप्त कर दिया जाये तो उसमें जाति की विशेषताएँ आ जायेंगी। खुलेपन के अभाव में वर्ग की सदस्यता योग्यता पर आधारित न रहकर जन्म पर आधारित हो जायेगी जोकि जाति व्यवस्था का एक प्रमुख लक्षण है। साथ ही खुलापन बंद हो जाने पर विभिन्न वर्गों में निषेध भी विकसित हो जायेंगे। कोई भी व्यक्ति न तो अपने वर्ग को बदल सकेगा और न ही विशेष गतिशीलता न होगी, जिससे वह अपनी स्थिति में परिवर्तन कर पायेगा। अन्य शब्दों में, वर्ग को पूर्णतः बन्द कर देने से वह जाति बन जायेगा।
इस प्रकार, मजूमदार एवं मदन ने अपने इस कथन से जाति को वर्ग की दृष्टि से परिभाषित करने का प्रयास किया है। क्योंकि वर्ग को स्तरीकरण के खुले रूप में देखा जाता है और जाति को बन्द रूप में इसलिए उन्हें एक-दूसरे के विपरीत परिभाषित करने के लिए दोनों का अर्थ व प्रकृति का पता होना चाहिए। इसी प्रकार की परिभाषा सी. एच. कूले ने दी है -"जब कोई भी वर्ग पूर्णतः वंशानुक्रम पर आधारित हो जाता है, तो वह जाति कहलाता है"
उपरोक्त विवेचन के आधार पर यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि "जाति एक बंद वर्ग है।