विकास में होने वाले मुख्य परिवर्तन क्या हैं ? विकास की प्रक्रिया में मुख्य रूप से चार प्रकार के परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं -(1) कार में परिवर्तन,
विकास में होने वाले मुख्य परिवर्तन क्या हैं ?
विकास की प्रक्रिया में मुख्य रूप से चार प्रकार के परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं -(1) कार में परिवर्तन, (2) अनुपात में परिवर्तन, (3) पुरानी रूपरेखा में परिवर्तन, (4) नये गुणों की प्राप्ति
1. आकार में परिवर्तन: शारीरिक विकास क्रम में निरन्तर शरीर के आकार में परिवर्तन होता रहता है। आकार में होने वाले परिवर्तनों को आसानी से देखा जा सकता है। शारीरिक विकास क्रम में आयु वृद्धि के साथ साथ शरीर के आकार एवं भार में निरन्तर परिवर्तन देखा जा सकता है। ब्राह्य अंगों में ही नहीं समस्त आन्तरिक अंगों जैसे हृदय, फेफड़ों तथा पाचन अंगों आदि का भी आकार बढ़ता रहता है। केवल असामान्य परिस्थितियों में ही यह परिवर्तन रुक जाता हैं।
2. अनुपात में परिवर्तन: विकास क्रम में पहले आकारों में परिवर्तन होता है लेकिन यह परिवर्तन आनुपातिक होता है। प्राणी के शरीर के सभी अंग एक ही गति से विकसित नहीं होते और न ही उनमें एक साथ परिपक्वता आती है। अतः सभी अंगों के विकास का एक निश्चित अनुपात नहीं होता है क्योंकि विकास क्रम में शारीरिक अंगों के अनुपात में अन्तर आ जाता है। जैसे जैसे आनुपातिक परिवर्तन होते जाते हैं। प्राणी की क्रियायें परिष्कृत होती जाती है।
3. पुरानी रूपरेखा में परिवर्तन: प्राणी के विकास क्रम में नवीन विशेषताओं का उदय होने से पूर्व पुरानी विशेषताओं का लोप होता रहता है। उदाहरणार्थ बचपन के बालों तथा दाँतों का समाप्त होना, इसी प्रकार बचपन की अस्पष्ट ध्वनियाँ, खिसकना, घुटनों के बल चलना, रोना, चिल्लाना आदि गुण समाप्त हो जाते हैं। परन्तु सामान्यतया यह देखा जाता है कि बचपन में जो मनोवृत्तियाँ बन जाती है उनकी समाप्ति आसानी से नहीं होती।
4. नये गुणों की प्राप्ति: विकास क्रम में जहाँ एक ओर पुरानी रूपरेखा में परिवर्तन होता है वहीं उसका स्थान नये गुण प्राप्त कर लेते हैं। नये गुणों की प्राप्ति परिपक्वता तथा शिक्षण द्वारा प्रभावित होती है। विकास क्रम में मानसिक स्तर पर भी निरन्तर नये गुणों की प्राप्ति होती रहती है। नैतिकता, धार्मिक विश्वास, सहनशीलता एवं जिज्ञासा आदि नये गुणों की प्राप्ति अदि विकास की प्रक्रिया के ही परिणाम हैं।
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