रक्त का अर्थ संरचना एवं कार्य (Composition and function of Blood in Hindi) - रक्त मानव शरीर में बहने वाला जीवनदायी द्रव है। इसके बिना हम जिंदा नहीं रह
रक्त का अर्थ संरचना एवं कार्य (Composition and function of Blood in Hindi)
रक्त का अर्थ (Meaning of blood) - रक्त मानव शरीर में बहने वाला जीवनदायी द्रव है। इसके बिना हम जिंदा नहीं रह पाते हैं। शरीर की सभी कोशिकाओं को रक्त हमारा दिल देता है इसके जरिये उन्हें आक्सीजन व भोजन पहुँचाता है। इसके साथ रक्त कार्बनडाई आक्साइड व अवशोधक पदार्थ बाहर निकालता है। ये रोगाणुओं से लड़ता है, हमारा तापमान ठीक रखता है। 80 कि.ग्रा. वजन के एक वयस्क में लगभग 5 लीटर खून होता है। जो लोग ऊँचे स्थानों पहाड़ों पर रहते हैं उनमें नीचे रहने वाले लोगों की अपेक्षा दो लीटर खून अधिक होता है क्योंकि वहाँ आक्सीजन की मात्रा हवा में कम होती है।
रक्त की संरचना (Composition of blood in Hindi)
रक्त एक संयुक्त ऊतक है जिसमें कोशिकाएँ और पानी जैसा तरल पदार्थ विद्यमान है जिसे प्लाज्मा कहते हैं। इसमें तीन तरह की कोशिकाएँ हैं।
- लाल रक्त कोशिकाएँ (Red blood cells)
- सफेद रक्त कोशिकाएँ (White blood cells)
- प्लेटेट्स (Platetets)
एक माइक्रोलीटर रक्त में लगभग 4 मिलियन से 6 मिलियन रक्त कोशिकाएँ, 5000 से 10,000 सफेद रक्त कोशिकाएँ तथा 1,50,000 से 5,00,000 प्लेटलेट्स होती हैं। लाल और सफेद कोशिकाओं को कण भी कहते हैं। रक्त का कुल आयतन लगभग 5 लीटर होता है।
प्लाज्मा (Plasma)- प्लाज्मा स्ट्रॉ कलर का द्रव होता है जो रक्त का एक भाग है। यह कुल रक्त का 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक होता है। इसमें 90 प्रतिशत पानी तथा 9 प्रतिशत लटके हुए या घुले हुए पदार्थ होते हैं। इन पदार्थों में ऐसे भी प्रोटीन होते हैं जो थक्के बनाते हैं तथा संक्रमण से लड़ते हैं। इसमें घुले हुए भोज्य पदार्थ तथा अवशिष्ट पदार्थ भी होते हैं। प्लाज्मा हारमोन्स का वाहक भी है जो विकास तथा अन्य शारीरिक गतिविधियों में सहायक है।
1. लाल रक्त कोशिकाएँ ( Erythrocytes) - लाल रक्त कोशिकाओं को एरथ्रोसाईट भी कहते हैं। यह शरीर के उत्तकों को आक्सीजन पहुँचाती है तथा कार्बन-डाई-आक्साईड हटाती हैं। लाल रक्त कोशिका समतल, डिस्क की तरह होती है। यह किनारों के बजाए बीच में पतली होती है। जैसे रिंग जिसके मध्य में छेद न हो। इनमें मुख्यतः हिमोग्लोबिन होता है जो आक्सीजन ले जाने वाला प्रोटीन होता है तथा कोशिका को लाल रंग प्रदान करता है। लाल रक्त कोशिका के बाहर लचकदार झिल्ली होती है। यह झिल्ली इतनी लचकदार होती है कि ये कोशिकाएँ किसी भी पतली रक्त नलिकाओं में घुस सकती है। वयस्क कोशिकाओं में नाभिका नहीं होता।
2. सफेद रक्त कोशिकाएँ (leukocytes) - सफेद रक्त कोशिकाएँ जिन्हें ल्यूकोसाईट कहते हैं संक्रमण से तथा शरीर में घुसने वाले अन्य हानिकारक तत्वों से लड़ती हैं। ज्यादातर कोशिकाएँ गोल तथा रंगहीन होती हैं। उनके भिन्न आकार तथा नाभिकाएं होती हैं। कुछ कोशिकाएँ बैक्टीरियों को घेर कर उन्हें चट कर जाती हैं। दूसरी तरह की कोशिकाएं एंटीबाडिज बनाती हैं- ऐसे प्रोटीन जो बैक्टीरिया वायरस तथा अन्य हमलावरों को खत्म करते हैं जो शरीर में प्रवेश करते हैं।
3. प्लेटलेट्स (Platelets) - प्लेटलेट्स जिन्हें थ्रोम्बोसाईट भी कहते हैं डिस्क के आकार के पदार्थ होते हैं जो खून बहने से रोकते हैं। जब कोई रक्त नलिका कट जाती है तो वे कटी हुई नलिका के किनारे से एक-दूसरे से जुड़कर प्लग बनाते हैं। वे ऐसे रसायन छोड़ते हैं जो फाइब्रोजन के साथ क्रिया करके अन्य प्लाज्मा प्रोटीन बनाते हैं जिससे खून के थक्के बनते हैं।
रक्त के कार्य (Functions of Blood in Hindi)
रक्त के मुख्य कार्य | ||
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आक्सीजन और कार्बनडाइआक्साइड का परिवहन | आक्सीजन और कार्बनडाइआक्साइड का परिवहन फेफड़ों से आक्सीजन लेकर उत्तकों को पहुँचाना अतः रक्त सांस प्रक्रिया में योगदान देता है। | |
भोजन ले जाना | रक्त आंतों से घुलनशील भोजन पहले जिगर (लीवर) के पास ले जाता है फिर शरीर के हर उस हिस्से में ले जाता है जहाँ कोशिकीय गतिविधियों के लिए उसकी आवश्यकता होती है। | |
अवशेष पदार्थों का उत्सर्जन | कोशिका के अवशेष पदार्थ जो शरीर के लिए हानिकारक हैं रक्त उन्हें गुर्दों, फेफड़ों, त्वचा और आंत तक लाता है ताकि वे हटाये जा सके। | |
जल संतुलन बनाना | संचालित रक्त और उतकीय साइटोप्लाज्म में पानी के लगातार आदान-प्रदान द्वारा शरीर में जल संतुलन बनाये रखता है। | |
पी. एच. बनाए रखना | पी. एच. बनाए रखना- रक्त प्लाज्मा इस कार्य को करता है। | |
रसायनिक समन्वय | एंडोक्राइन ग्रंथि हारमोन रसायन सीधे रक्त में छोड़ते हैं। ये सीधे प्लाज्मा में प्रवेश करते हैं व रासायनिक दूत का कार्य करते हैं। यह हमारे शरीर की विकास एवं प्रजनन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। | |
| रक्त हमारे शरीर की उष्मा को संवितरित करता है। फालतू उष्मा त्वचा के रास्ते बाहर निकल जाती है। यदि रक्त उष्मा का संवितरण न करे तो कुछ हिस्से बहुत अधिक गर्म व कुछ पूरी तरह ठण्डे रह जाते। यह हमारे शरीर का तापमान नियमित करता है। | |
संक्रमण से बचाव | हमारे प्रतिरोध तंत्र में सफेद रक्त कणिकाएँ बहुत महत्वपूर्ण योगदान देती हैं जिससे बीमारी फैलाने वाले पदार्थों से शरीर का बचाव होता है। | |
रक्त के थक्के बनना | चोट के दौरान रक्त के नुकसान को रोकता है क्योंकि इसमें थक्के बनाने की क्षमता है। | |
स्थिर वातावरण को बनाना व उसे बल देना | शरीर की चुस्त कोशिकाओं के लिए स्थिर वातावरण की स्थापना पर बल देता है। |
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