बच्चों के स्वास्थ्य प्रोत्साहन हेतु किये जाने वाले उपाय बताइए: स्वास्थ्य प्रोत्साहन WHO (1986) ने स्वास्थ्य प्रोत्साहन के सम्बन्ध में कहा है, यह एक प्
बच्चों के स्वास्थ्य प्रोत्साहन हेतु किये जाने वाले उपाय बताइए।
स्वास्थ्य प्रोत्साहन WHO (1986) ने स्वास्थ्य प्रोत्साहन के सम्बन्ध में कहा है, यह एक प्रक्रिया है व्यक्तियों की योग्यता अपने स्वास्थ्य पर नियन्त्रण बढ़ाने की और इसमें सुधार लाने की। एक व्यक्ति या समूह को पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की अवस्था की ओर पहुँचने के लिए अपनी कामनाओं की पहचान करने और उन्हें प्राप्त करने, अपनी आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करने, अपने वातावरण को परिवर्तित करने अथवा सामना करने की योग्यता होनी चाहिए।
भारतवर्ष में बालकों के स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रोत्साहन के उपाय: भारत में बच्चों के स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रोत्साहन हेतु निम्न कार्यक्रम चलाये जा रहे है -
1. पूर्ण प्रतिरक्षा कार्यक्रम (Full Immunisation Programme) - बच्चों के लिए पूर्ण प्रतिरक्षा कार्यक्रम अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत पोलियो अभियान इस समय पूरे जोर के साथ चल रहा है ताकि प्रत्येक बालक इस रोग से बच सके।
2. भारत सरकार का चाइल्ड सरवाइवल एण्ड सेफ मदरहुड (Child Survival and Safe Motherhood, CSSM) - यह कार्यक्रम सार्वभौमिक प्रतिरक्षा से आगे बढ़कर एक समूचा पैकेज प्राथमिक स्वास्थ्य कल्याण का ग्राम स्तर पर देने की चेष्टा कर रहा है। इस पैकेज में बच्चों के लिए प्रतिरक्षा कार्यक्रम के अतिरिक्त दस्त जैसे रोगों से बचाव एवं उपचार, विटामिन A की पूर्ति, श्वास के रोगों का निदान तथा उपचार इत्यादि शामिल है।
3. भारत सरकार (Integrated Child Development Services) - ICDS द्वारा भी अपोषण की समस्या का हल निकालने की चेष्टा कर रही है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत जो सेवाओं का पैकेज है उसमें शामिल है - पूरक आहार का प्रावधान, प्रतिरक्षा कार्यक्रम, स्वास्थ्य का मुआयना, अनौपचारिक विद्यालय पूर्व शिक्षा एवं पोषण तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा।
4. UNICEF ऐसे कार्यक्रमों को सहायता देता है जो अच्छे पोषण को बढ़ावा देते है। यह कार्यक्रम माताओं द्वारा बालकों को स्तनपान कराना जो चार से छः माह तक के बालकों के लिए आवश्यक होता है साफ वातावरण और शुद्ध पीने के पानी का प्रावधान करना, शौचालय की और व्यक्तिगत स्वच्छता तथा बीमारियों से प्रतिरक्षा करना।
5. NNP इस बात की ओर बल देता है कि अपोषण केवल पर्याप्त भोजन नहीं होने का मामला नहीं है। वरन् इसमें अनेक तत्वों का योग सम्मिलित होता है जैसे बालक की देखभाल की ओर कम ध्यान देना, उसे अपर्याप्त भोजन देना, खराब स्वास्थ्य, सफाई एवं स्वच्छता की कमी तथा दरिद्रता इत्यादि।
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