नीड़ का निर्माण फिर-फिर' कविता की व्याख्या: प्रस्तुत कविता नीड़ का निर्माण फिर-फिर' में बच्चन जी कहते हैं कि व्यक्ति के जीवन मे बहुत से उतार चढ़ाव आते
नीड़ का निर्माण फिर-फिर' कविता की व्याख्या अपने शब्दों में कीजिये।
नीड़ का निर्माण फिर-फिर' कविता की व्याख्या: प्रस्तुत कविता नीड़ का निर्माण फिर-फिर' में बच्चन जी कहते हैं कि व्यक्ति के जीवन मे बहुत से उतार चढ़ाव आते है क्योंकि जीवन एक जैसा नही रहता है। जीवन को श्रेष्ठ बनाना चाहिए। यदि किसी कारण से घर उजड़ भी जाये तो उसका पुनः निर्माण करना चाहिए क्योंकि निर्माण का सुख जीवन में ज्यादा महत्व रखता है। कवि कहता है कि आँधी के आने पर चारो तरफ अन्धेरा छा जाता है। चारो तरफ धूल के बादल मंडराने लगते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे यह रात कभी जायेगी ही नहीं। प्रत्येक मनुष्य इस रात के अन्धकार डर जाता है। पूर्व की दिशा से जब सूर्य का उदय होता है तो ऐसा लगता है जैसे जीवन में नई गति उत्पन्न हो गयी हो।
कवि मानता है कि जब आँधी के झांके चलते हैं तो बड़े-बड़े पहाड़ भी काँप उठते हैं। पेड़ जड़ समेत उखड़ कर गिर जाते हैं। इस भँवर में भला घोसले की क्या हस्ती ? वह तो केवल छोटे-छोटे तिनकों से जो बना है। ऐसी स्थिति में भला पक्षी कहाँ जाते परन्तु उन्होंने भी हार नहीं मानी तथा आकाश में उड़-उड़ कर फिर दुबारा से तिनके इकट्ठे कर दुबारा घोसला बनाने की दौड़ में चल पड़े। कवि कहता है कि मानव के जीवन में आशा ही एक मात्र सहारा है। आकाश भी हमेशा साफ नहीं रहता आकाश में काले बादल छा जाते हैं परन्तु थोड़े समय पश्चात् प्रातः कालीन उषा मुस्कराती हुई प्रतीत होती है। फिर आकाश में पक्षियों की पंक्ति गीत गाती हुई उड़ती जाती है। तेज हवा आकाश में बह रही है फिर भी एक चिड़िया अपना घोसला बनाने के लिए मुँह में तिनका दबाए उड़ती जाती है। वह तेज हवा की परवाह किए बिना अपने घोसले के निर्माण में लगी है । कवि मानता है कि विनाश का दुःख तो मानव को होता है परन्तु उसके कारण हार मानकर नहीं बैठना चाहिए। यदि जीवन में उम्मीद का पल भी दिखाई दे तो वह भी विनाश के अधियारे को मिटा सकता है। जब जगत में प्रलय आती है तो सभी कुछ नष्ट हो जाता है परन्तु थोड़े समय बाद दुबारा नये जीवन का संचार होता हैं। इसी तरह से मनुष्य को भी जीवन के उतार चढ़ाव को एक समान भाव से लेना चाहिए।
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