दो कलाकार कहानी की कथावस्तु: दो कलाकार कहानी के शुरू में छात्रावास में रहने वाली चित्रा और अरुणा की रुचियों, उपहास-वृत्ति और प्रगाढ़ मैत्री को संवादों
दो कलाकार कहानी की कथावस्तु - Do Kalakar Kahani ki Kathavastu
दो कलाकार कहानी की कथावस्तु: दो कलाकार कहानी के शुरू में छात्रावास में रहने वाली चित्रा और अरुणा की रुचियों, उपहास-वृत्ति और प्रगाढ़ मैत्री को संवादों, हरकतों और कार्यों से रेखांकित किया गया है। इस घटना से न केवल अरुणा की सेवाभावना का पता चलता है बल्कि छात्रावास की छात्रा सविता की ईर्ष्या और आरामपरस्ती की व त्ति का भी पता चलता है। इस प्रकार कहानी के पहले अंश में संवादों और घटनाओं के माध्यम से कहानी को आगे बढ़ाया गया है। कहानीकार ने अपने कथ्य को संवादों के जरिए स्पष्ट किया है। अरुणा कागज़ पर चित्र बनाने की बजाए लोगों की जिंदगी बनाना ज्यादा श्रेयस्कर समझती है। अरुणा का यह संवाद कि 'किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दे' ही कहानी का मूल संदेश है। इसी को स्पष्ट करने के लिए दोनों सखियों की भिन्न-भिन्न रुचियों और मनोव त्तियों को संवादों के माध्यम से विस्तार दिया गया है। बाढ़ पीड़ितों की सेवा वाली घटना और भिखारिन के रोते हुए दोनों बच्चों वाली घटना से दोनों सखियाँ जुड़ी हुई हैं। चित्रा इन घटनाओं के चित्र बनाती है। किंतु अरुणा उनकी सेवा करके उन्हें जीवनदान देती है। पूरा कथानक रंगों और लकीरों की बजाए मानवसेवा को महत्त्व देने के लिए गढ़ा गया। है।
कहानी का अंतिम भाग भी संवादों और घटना से ही विस्तार पाता है। यह खंड दोनों सखियों में चली आ रही उस बहस का भी अंत कर देता है जो अपने-अपने कामों को उत्तम सिद्ध करना चाहती थीं। अपनी चित्र प्रदर्शनी में अरुणा के साथ आए दोनों बच्चों को देखकर चित्रा चकित होती है। और जब उसे यह पता चलता है कि वे दोनों मत भिखारिन के बच्चे हैं, जिसका उसने स्केच बनाकर प्रसिद्धि पाई है, तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता। वह स्वयं को छोटा महसूस करती है और अरुणा को महान कलाकार समझती है। इस प्रकार पूरी कहानी घटना और संवादों के माध्यम से सहज रूप से आगे बढ़ती है। कहीं से भी कथानक न तो अनगढ़ लगता है और न ही कृत्रिम। ऐसा लगता है कि जीवन का एक टुकड़ा पूरी सच्चाई, ईमानदारी और जीवंतता के साथ मूर्त कर दिया गया है।
COMMENTS