पंच परमेश्वर कहानी की संवाद योजना - Panch Parmeshwar Kahani ka Samvad Yojana
पंच परमेश्वर कहानी की संवाद योजना - संवाद योजना भी कहानी का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। पात्रों के वार्तालाप को संवाद या कथोपकथन कहा जाता है । संवादों से कथावस्तु को गति प्रदान होती है तथा पात्रों की चारित्रिक विशेषताओं का उद्घाटन होता है। कहानी के संवाद सरल, सहज, सजीव एवं स्वाभाविक होने चाहिए। पंचपरमेश्वर' कहानी के संवाद सरल, सहज, सटीक, स्वाभाविक तथा पात्रानुकूल है। उदाहरण –
अलगू – मुझे बुलाकर क्या करोगी? कई गाँव के आदमी तो आवेंगे ही।
खाला - अपनी विपद तो सबके सामने रो आई । अब आने न आने का अखितयार उनको है।
अलगू – यों आने को आ जाऊँगा, मगर पंचायत में मुँह न खोलूँगा ।
खाला - क्यों बेटा ?
अलगू – अब इसका क्या जवाब दूँ? अपनी खुशी । ... जुम्मन मेरा पुराना मित्र है
खाला - बेटा, क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे ?
कहानी के संवाद दीर्घ एवं लघु दोनों प्रकार के हैं। इसलिए संवाद योजना की दृष्टि से पांच परमेश्वर एक सफल कहानी है।