अलगू चौधरी का चरित्र चित्रण - पंच परमेश्वर कहानी में मुख्य पात्र की भूमिका निभाने वाले अलगू चौधरी के चरित्र को लेखक ने ‘पंच परमेश्वर' कहानी में जुम्मन
अलगू चौधरी का चरित्र चित्रण - Algu Chaudhary Ka Charitra Chitran
अलगू चौधरी का चरित्र चित्रण - पंच परमेश्वर कहानी में मुख्य पात्र की भूमिका निभाने वाले अलगू चौधरी के चरित्र को लेखक ने ‘पंच परमेश्वर' कहानी में जुम्मन शेख के बाद वर्णित किया है। 'पंच परमेश्वर' कहानी के स्थिर पात्र अलगू चौधरी के चरित्र को लेखक ने बड़ी कुशलता पूर्वक वर्णित किया है। कथानक पर दृष्टिपात करते हुए अलगू के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :-
सच्चा मित्र :- सच्ची मित्रता का प्रमाण स्वरूप अलगू चौधरी के मन में धर्म का कोई भेद नहीं। जुम्मन उसके मैत्री भाव का आदर मन से करता है परन्तु यह मैत्री भाव जुम्मन से अधिक अलगू के मन में दिखता है । मैत्री भाव का स्पष्ट प्रमाण और उनके घनिष्ठ सम्बन्ध का पता हमें तब चलता है जब जुम्मन शेख की बूढ़ी खाला उसे पंचायत में बुलाती है तब अलगू उसे यह उत्तर देता हुआ कहता है कि :-
अलगू - मुझे बुलाकर क्या करोगी? कई गाँव के आदमी तो आवेंगे ही।
खाला - अपनी विपद तो सबके सामने रो आई । ....
अलगू – यों आने को आ जाऊँगा, मगर पंचायत में मुँह न खोलूँगा ।
खाला - क्यों बेटा ?
अलगू – अब इसका क्या जवाब दूँ? अपनी खुशी । .... जुम्मन मेरा पुराना मित्र है। उससेबिगाड़ नहीं कर सकता ।
उक्त वाक्य उनकी मित्रता का साक्षात् प्रमाण है ।
अधिकारों के प्रति सचेत :- अलगू चौधरी अपने अधिकारों को किसी प्रकार की भी हानि बर्दाशत न करने वाला, अपने कर्तव्य के प्रति जागरुक और पूर्णतया सचेत पात्र है। बैलों का सौदा उसकी कर्तव्य परायणता का स्पष्ट प्रमाण है। जब समझू साहू बैल खरीद कर उसे पैसे नहीं देता तो अलगू इस निर्णय के लिए पंचायत बिठाता है अपने अधिकार को पाने तथा समझू साहू के दुर्व्यवहार का वह पूरी पंचायत के सामने भाण्डा फोड़ता है।
गुरूभक्त :- अलगू के विचार गुरु भक्ति में दृढ़ हैं वह गुरू को कल्याण मार्ग में सर्वश्रेष्ठ साधन मानता है और तन-मन-धन से उनके आदेशों और उपदेशों का पालन करता है। गुरू के प्रति आस्था अलगू के हृदय में पारिवारिक संस्कार से अर्थात पिता की प्रेरणा से जागृत हुई। गुरू का हर दृष्टि से सम्मान हो इसके लिए अलगू का गुरू के जूते साफ करना, बर्तन धोना और एक पल के लिए भी हुक्का बन्द न होने देना सब कार्य आदर-सम्मान के परिचायक हैं यहां तक कि अध्ययन करते समय भी वह गुरू का पूर्ण ध्यान रखता था ।
सत्यप्रिय :- अलगू सात्विक वृत्ति वाला व्यक्ति है उसकी सात्विक वृत्ति और घनिष्ठ मैत्री सम्बन्ध समाज के लिए उदाहरण हैं। परन्तु जितना अधिक वह अपनी मित्रता पर गर्व करता था उससे भी कहीं और अधिक उसे सत्य पर अटल रहना पसन्द था । सत्य का पक्ष लेना और उसमें जीवन व्यतीत करना उसके लिए सर्वश्रेष्ठ था तथा व्यर्थ के कार्यों का बोझ अपने मन न बनने देना ही उसकी शुद्धता का प्रतीक है।
स्पष्टवादी :- अलगू एक स्पष्ट विचारों वाला व्यक्ति है उसे जो बात सटीक लगती है उससे परहेज न कर वह खुले मन से बोलता है क्योंकि अलगू जब जुम्मन से पंचायत में प्रश्न करता है तो अलगू का एकाएक सवाल उसकी छाती पर हथौड़े की तरह प्रहार करता है परन्तु सत्य पर अटल रहने वाला अलगू मित्रता को छोड़ न्याय को अधिक मान्यता देता है। यही उसकी स्पष्टवादिता का प्रमाण है ।
निष्कर्ष :- अतः हम यह कह सकते हैं कि अलगू में हर वो गुण विद्यमान है जो एक सात्विक पुरुष में होना चाहिए। अपने गुणों के आधार पर ही अलगू और जुम्मन समाज के लिए स्पष्ट प्रमाण अर्थात् उदाहरण है ।
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