कफ़न कहानी के शीर्षक को स्पष्ट कीजिये।
कफ़न कहानी का शीर्षक: कफ़न कहानी का शीर्षक इतिवृतात्मक न होकर सूक्ष्म भावों को अभिव्यक्त करने वाला है। इसमें केवल बुधिया के कफ़न पर ही व्यंग्य नहीं है बल्कि मानव की मूल प्रवृत्ति की असहायता पर भी व्यंग्य है। बुधिया घर पर मृत पड़ी है, उसके कफ़न के लिए एकत्र किये गए पैसे की शराब पी ली जाती है। क्योंकि दुःख सहते-सहते घीसू और माधव में उचित-अनुचित का विवेक नष्ट हो गया है। कफ़न अपने गहन अर्थों में बुधिया के कफ़न की कहानी नहीं बल्कि मानवता और मृत नैतिक बोध के कफ़न की कहानी है।
यह उस हताशा की कहानी है जो मनुष्य की संवेदना को आदिम स्तर पर ले जाती है और जहाँ पर अच्छे-बुरे का लोप हो जाता है। इसलिए समस्त कहानी का शीर्षक कफ़न सर्वथा उपयुक्त है।