परिवार नियोजन का शाब्दिक अर्थ है परिवार को नियोजित करना। भारत में परिवार कल्याण कार्यक्रम की शुरूआत आधिकारिक तौर पर वर्ष 1952 में हुई, जिसका उद्देश्य
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परिवार नियोजन का अर्थ (Parivar Niyojan In Hindi)
परिवार नियोजन का शाब्दिक अर्थ है परिवार को नियोजित करना। भारत में परिवार कल्याण कार्यक्रम की शुरूआत आधिकारिक तौर पर वर्ष 1952 में हुई, जिसका उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था की आवश्यकता के अनुरूप स्तर पर जनसंख्या नियंत्रित करने हेतु आवश्यक सीमा तक जन्म दर में कमी लाना है।
परिवार नियोजन की वास्तविक शुरूआत प्रथम पंचवर्षीय योजना से शुरू हुई। इस योजनाकाल में परिवार नियोजन पर स्वीकृत धन राशि 65 लाख रुपये थी और व्यय धन 14.5 लाख रुपये था। सर्वप्रथम 1930 में मद्रास में एक परिवार नियोजन केन्द्र की स्थापना हुई। इसी वर्ष सुभाषचंद्र बोस ने कांग्रेस अध्यक्षीय भाषण में परिवार नियोजन को समर्थन प्रदान किया। पं. जवाहरलाल नेहरू एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे अनेक राष्ट्रीय नेताओं द्वारा परिवार नियोजन के महत्व को समर्थन प्रदान किया गया। परिवार नियोजन अनुसंधान कार्यक्रम समिति का गठन 1953 में किया गया।
पंचवर्षीय योजनाओं में परिवार नियोजन - आर्थिक विकास को गति और क्षमता प्रदान करने के लिए परिवार नियोजन आवश्यक है। परिवार नियोजन में ही आर्थिक नियोजन की सफलता निहित है। परिवार नियोजन की असफलता पर आर्थिक नियोजन भी असफल होगा। प्रत्येक पंचवर्षीय योजनाओं में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है।
परिवार नियोजन की कमियाँ तथा कठिनाइयां
- उन भ्रान्तियों का खंडन किया जाना चाहिए जो परिवार नियोजन पर प्रभाव डालती हैं।
- गर्भ निरोधक स्वास्थ्यप्रद औषधियों आदि के विकास में पर्याप्त कार्य नहीं किया गया तथा जन सहयोग की प्राप्ति हेतु महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाये गये।
- आपरेशन तथा लूप में अधिक ध्यान केन्द्रित किया गया और परिवार नियोजन की अधिक सुगम व आसान रीतियों का विकास नहीं किया गया।
- ग्रामीण तथा अशिक्षित वर्गों में इन कार्यक्रमों को अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास नहीं किये गये।
- अनेक सामाजिक ऐच्छिक संगठनों का सहयोग प्राप्त नहीं किया गया।
परिवार नियोजन की सफलता हेतु सुझाव
- 1. परिवार नियोजन को आर्थिक नियोजन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए।
- 2. परिवार नियोजन प्रशासन को भ्रष्टाचार मुक्त तथा कुशल बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
- 3. परिवार नियोजन में कल्याण तथा स्वास्थ्य सुधार पक्षों पर सन्तुलित ध्यान देना चाहिए।
- 4. परिवार नियोजन के सम्बन्ध में जो भ्रान्तियाँ विद्यमान हैं उन्हें दूर करने का पूर्ण प्रयास करना चाहिए।
जनसंख्या नीति में जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण के उपाय
जनसंख्या नीति 1976 में जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण के अनेकों उपायों का उल्लेख किया गया है. जोकि निम्नलिखित हैं
1. योजना अनुदान का आधार 1971 की गणना - राष्ट्रीय योजना द्वारा यह घोषणा की गई कि वर्ष 2001 तक सभी सहायता धनराशि केन्द्रीय अनुदान तथा करों के बंटवारे आदि का आधार 1971 की जनगणना होगी। वर्ष 2001 तक का आधार वर्ष 1971 ही होगा तथा 1981 व 1991 की जनगणनाओं में वृद्धि का कोई लाभ राज्यों को न प्राप्त होगा।
2. विवाह योग्य उम्र में वृद्धि - राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 1976 में इस बात की घोषणा की गई कि बालकों की वैवाहिक उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष तथा बालिकाओं की वैवाहिक उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी जाये।
3. परिवार नियोजन के आधार पर विशेष केन्द्रीय सहायता - राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 1976 में यह घोषणा की गई कि राज्यों को परिवार नियोजन क्रियान्वयन हेतु केन्द्रीय सहायता राशि का दिया जायेगा।
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