व्यवस्थापिका के कोई पांच कार्य
- विधियों का निर्माण करना
- कार्यपालिका के कार्यों पर नियन्त्रण
- बजट पर चर्चा व स्वीकारोक्ति देना
- प्रशासन पर नियन्त्रण
- संविधान संशोधन करना
1. विधियों का निर्माण - संसदीय व्यवस्था वाले राज्यों में विधियों का निर्माण करना व्यवस्थापिका का सर्वप्रमुख कार्य होता है। इसी कारण इसे 'विधायिका' भी कहते हैं। किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार केवल व्यवस्थापिका को ही होता है।
2. कार्यपालिका के कार्यों पर नियन्त्रण - व्यवस्थापिका एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य कार्यपालिका के कार्यों पर नियन्त्रण रखना भी होता है। कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति जवाबदेह होती है। व्यवस्थापिका विभिन्न समितियों के द्वारा भी कार्यपालिका के विविध कार्यों का पर्यवेक्षण करती है।
3. बजट पर चर्चा व स्वीकारोक्ति देना - कार्यपालिका द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए सरकारी कार्यों व योजनाओं पर किये जाने वाले सम्भावित व्यय को विधायिका के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। विधायिका द्वारा इस पर व्यापक चर्चा व विश्लेषण के उपरान्त स्वीकृति दी जाती है। इस प्रकार व्यवस्थापिका का यह महत्त्वपूर्ण वित्तीय कार्य है।
4. प्रशासन पर नियन्त्रण - व्यवस्थापिका द्वारा प्रशासन पर भी नियन्त्रण रखने का कार्य किया जाता है। इस हेतु व्यवस्थापिका प्रश्न काल, कार्य स्थगन प्रस्ताव इत्यादि प्रावधानों का प्रयोग करती है।
5. संविधान संशोधन करना - आवश्यकतानुसार संविधान में अगर परिवर्तन करना आवश्यक होता है, तो यह कार्य संविधान द्वारा व्यवस्थापिका को दिया गया है। व्यवस्थापिका आवश्यक संशोधन करने का कार्य करती है।