भारत की मानसूनी जलवायु की प्रादेशिक विविधताओं का उल्लेख कीजिए: भारत की स्थिति उष्ण कटिबंध में होने के कारण अधिकतर वर्षा मानसूनी पवनों से होती है। तापम
भारत की मानसूनी जलवायु की प्रादेशिक विविधताओं का उल्लेख कीजिए।
भारत की जलवायु को सामान्यतः मानसूनी जलवायु कहा जाता है। मानसून शब्द अरबी भाषा के मौसिम से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है मौसम। भारत की स्थिति उष्ण कटिबंध में होने के कारण अधिकतर वर्षा मानसूनी पवनों से होती है। तापमान, वर्षा और समुद्र तट से दूरी भारत के विभिन्न प्रदेशों में जलवायु विविधता देखी जाती है। उदाहरण के लिए जून के महीने में उत्तर पश्चिमी मैदानों में 45° सेग्रे. तापमान महसूस किया जाता है; जबकि राजस्थान के मरूस्थलीय भागों में दिन का तापमान 55° सेग्रे. तक हो जाता है। वहीं, कश्मीर में गुलमर्ग तथा पहलगांव में ये मुश्किल से 20व से. तक ही पाया जाता है। इसी प्रकार, दिसम्बर के महीने में, कारगिल या द्रास (जम्मू और कश्मीर) में रहने वाले लोग चुभन भरी ठण्ड का अनुभव करते हैं, क्योंकि यहां रात के तापमान-40व से. तक गिर जाता है, जबकि थिरूवनन्तपुरम के निवासी 27° सेग्रे. तापमान का आनन्द उठाते हैं।
भारत की मानूसनी जलवायु की प्रादेशिक विविधताओं का उल्लेख निम्न प्रकार है-
- राजस्थान के चुरू जनपद में जून माह का दैनिक तापमान 50° सेग्रे. अथवा उससे अधिक हो जाता है जबकि अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में जून माह का औसत दैनिक तापमान 19° सेग्रे. के आसपास रहता है।
- जम्मू-कश्मीर राज्य के द्रास क्षेत्र में दिसम्बर का रात्रिकालीन तापमान - 45° सेंग्रे तक गिर जाता है जबकि उसी रात को दक्षिणी भाग के तिरुवनन्तपुरम् अथवा चेन्नई का रात्रिकालीन तापमान 20° से 22° सेग्रे. के मध्य मिलता है।
- केरल में दैनिक तापान्तर 7° या 8° सेग्रे. के मध्य रहता है जबकि थार मरुस्थल में दैनिक तापान्तर 30° से 35° सेग्रे तक मिलता है।
- मेघालय की खासी पहाड़ियों में औसत वार्षिक वर्षा 400 सेमी. से अधिक है, वहीं जैसलमेर में यह 10 सेमी. से भी कम है।
- देश के अधिकांश भागों में वर्षा जून से सितम्बर माह के मध्य होती है लेकिन तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में वर्षा उक्त अवधि के साथ-साथ लौटते मानसून से अक्टूबर व नवम्बर माह में भी प्राप्त होती है।
- जुलाई-अगस्त माह में गंगा के डेल्टाई भाग तथा ओडिशा के तटीय भागों में प्रचण्ड सागरीय तूफान मूसलाधार वर्षा करते हैं जबकि इन्हीं महीनों में तमिलनाडु का कोरोमण्डल तट शुष्क व शान्त रहता है।
- जून के महीने में पश्चिमी मरुस्थल के अधिकतम तापमान 55° सेग्रे. तक पहुँच जाते हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश में यह 20° सेग्रे. से अधिक नहीं हो पाते हैं।
जलवायु की उक्त सभी प्रादेशिक भिन्नताओं के बावजूद भारत में मानसूनी पवनों की व्यवस्था भारत की जलवायु को एकरूपता प्रदान करती है। भारत की मानसूनी जलवायु की प्रादेशिक विविधताओं को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है:
- तटीय क्षेत्र: तटीय क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा अधिक होती है। यहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेमी से अधिक होती है। इन क्षेत्रों में मानसून की शुरुआत जून के पहले सप्ताह में होती है और सितंबर के अंत तक होती है।
- मैदानी क्षेत्र: मैदानी क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा कम होती है। यहाँ वार्षिक वर्षा 100 से 200 सेमी के बीच होती है। इन क्षेत्रों में मानसून की शुरुआत जून के मध्य में होती है और सितंबर के मध्य तक होती है।
- पहाड़ी क्षेत्र: पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा अधिक होती है। यहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेमी से अधिक होती है। इन क्षेत्रों में मानसून की शुरुआत जून के अंत में होती है और सितंबर के अंत तक होती है।
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