बहुलवादी सिद्धांत क्या है ? बहुलवादी सिद्धांत का प्रादुर्भाव राज्य की असीम सत्ता के विरुद्ध हुआ। बहुलवादी सिद्धांत के मान्यता है कि शक्ति का एक केन्द्
बहुलवादी सिद्धांत क्या है ?
बहुलवादी सिद्धांत : बहुलवादी सिद्धांत का प्रादुर्भाव राज्य की असीम सत्ता के विरुद्ध हुआ। बहुलवादी सिद्धांत के मान्यता है कि शक्ति का एक केन्द्र बिन्दु नहीं होना चाहिए, समाज में अन्य संस्थाएँ, समुदाय व परिवार भी राज्य के समान ही महत्व रखते हैं, अत: समाज एवं राज्य में सभी संस्थाओं का समान महत्व होना चाहिए। बहुलवादी सभी व्यक्तियों को स्वयं में सम्प्रभु मानते हैं तथा समाज व राज्य की बाध्यताओं व सर्वोच्चता का विरोध करते हैं। बहुलवादी राज्य व समाज के सापेक्ष व्यक्ति, समुदायों, व संस्थाओं के अधिकारों को गौण माने जाने के घोर विरोधी हैं। इनका मानना है कि राज्य व समाज व्यक्ति के सर्वागीण विकास व समान अवसरों की रक्षा हेतु बने हैं, व्यक्ति राज्य व समाज के लिए नहीं बना। अत: किसी भी प्रकार की निरंकुशता सर्वथा निन्दनीय है।
राज्य का बहुलवादी सिद्धांत/दृष्टिकोण मानता है कि लोक नीति अंततः विचारों और हितों के बीच एक स्वतंत्र प्रतियोगिता का परिणाम है। रॉबर्ट डाहल के अनुसार, जिन्होंने अपने लेख, "हू गवर्नेंस" में इस तरह के विचाराें का प्रतिनिधित्व किया, लोकतंत्र के लिए बहुलवादी विचार, जिसमें अधिकारों को व्यापक रूप से वितरित किया गया था, और राजनीतिक प्रणाली को इस प्रकार से आयोजित किया गया कि नीति अनिवार्य रूप से लोक मांगों और विचारों द्वारा प्रेरित थी।
हालांकि, उदारवादी लोकतंत्र के इस दृष्टिकोण को शैटश्निगर द्वारा चुनौती दी गई थी, जब उन्होंने तर्क दियाः ’’यह आवश्यक नहीं है कि सबसे अधिक जरूरतों वाले लोग राजनीति में सबसे अधिक सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। जो भी इस बारे में निर्ण य लेता है कि खेल का विषय क्या है, वह यह भी निर्ण य लेगा कि खेल में काैन पहुचेगा। इस प्रकार उनकी टिप्पणी से पता चलता है कि एक झूठा व्यक्ति था, जो कुछ के पक्ष में और दूसरों के विरूद्ध कार्य करता था। लिंडब्लॉम ;स्पदकइसवउद्ध जो बहुलवादी थे, उन्होनें राजनीति और बाजार में मौलिक रूप से यह तर्क दिया है कि नीति-निर्मा ण का कार्य पूंजीवाद के कामकाज, विशेषरूप से व्यापार और बाजार के प्रभावाें से अवरूद्ध होता था। डाहल ने भी इस दिशा में अपने विचार से संशोधन किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि निर्णय-निर्माण/निर्णय लेना, एक तटस्थ मामला नहीं है; व्यावसायिक हितों की मांग अन्य समूहों की मांगों से सबसे अधिक होती है।
बहुलवादी दृष्टिकोण ने नए मॉडल भी विकसित किए हैं, जिनका उद्दे“य नीति-निर्माण प्रक्रियाओं और संरचनाओं के विकास को ध्यान में रखना है, जो हाल के दशकों में हुए हैं। इनमें से महत्वपूर्ण धारणा नीति नेटवर्क और समुदायों की धारणा है। स्मिथने तर्क दिया है कि नीति नेटवर्क/समुदायों का विचार बहु-सिद्धांतवादी है और इसे बहुलवाद के अतिरिक्त अन्य तरीकों से लागू किया जा सकता है। नए विकास के संदर्भ में, बहुलवाद मॉडल एक सामान्य रूपरेखा प्रदान कर सकता है जिसके अंतर्गत लाेक नीति के लिए एक गुणक दृष्टिकोण विकसित हो सकता है। यह निश्चित रूप से नई दिशा है।
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