एकात्मक शासन से क्या तात्पर्य है?
एकात्मक शासन किसी भी शासन का एकात्मक या संघात्मक होना शक्ति के केन्द्रीकरण या विकेन्द्रीकरण के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
एकात्मक शासन व्यवस्था से तात्पर्य शक्तियों के केन्द्रीकरण से है। शक्तियों का यह केन्द्रीकरण केन्द्रीय सरकार के पास होता है। शासन संचालन के समस्त कार्य केन्द्रीय सरकार से ही सम्पादित होते हैं। अपनी इसी प्रकृति के कारण ही इस शासन व्यवस्था को एकात्मक शासन व्यवस्था या केन्द्रीय शासन व्यवस्था भी कहा जाता है। एकात्मक शासन व्यवस्था में स्थानीय स्वशासन मात्र उतना ही होता है जितना कि केन्द्रीय सरकार उसे प्रदान करती है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि स्थानीय स्वशासन के लिए उत्तरदायी अंग अपनी समस्त शक्तियाँ एवं अधिकार केन्द्रीय सरकार से प्राप्त करते हैं और इसे वे केन्द्रीय सरकार के प्रसाद पर्यन्त तक ही प्रयुक्त करते हैं। गार्नर के अनुसार 'एकात्मक शासन वह प्रणाली है जिसमें राज्य के शासन की सर्वोच्च शक्ति केन्द्र में स्थित तथा क्रियाशील किसी एक अंग या अगों के समूह के हाथ में केन्द्रित रहती है।' फाइनर के अनुसार 'एकात्मक राज्य में समस्त सत्ता केन्द्र को प्राप्त होती है। इस सत्तावान की इच्छाओं और केन्द्र के अधिकारियों को राज्य सर्वत्र श्रेष्ठता मिलती है। विलोबी के अनुसार 'एकात्मक शासन व्यवस्था वह व्यवस्था है जिसमें केन्द्रीय सरकार में समस्त सत्ता केन्द्रित रहती है और सत्ताधारी केन्द्र को शक्तियों का बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग करने की स्वतन्त्रता रहती है।