स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना इन हिंदी / Swarna Jayanti Shahari Rozgar Yojana in hindi स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना उद्देश्य संघट...
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना इन हिंदी / Swarna Jayanti Shahari Rozgar Yojana in hindi
- स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना
- उद्देश्य
- संघटक
- संशोधित स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना
- संघटक शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यूएसईपी)
- शहरी महिला स्व-सहायता कार्यक्रम (यूडब्ल्यूएसपी)
- शहरी गरीबों के लिए कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार प्रोत्साहन
- शहरी रोजगार आधारित रोजगार कार्यक्रम (यूडब्ल्यूईपी)
- शहरी सामुदायिक विकास नेटवर्क (यूसीडीएन)
- कार्यान्वयन और निगरानी
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना इन हिंदी
शहरों में रहने वाले बेरोजगारों और अल्पकालिक रोजगार करने वालों को स्व-रोजगार
उद्यम लगाने या वेतन आधारित रोजगार के प्रावधान के माध्यम से प्रोत्साहित करते
हुए लाभकारी रोजगार मुहैया कराने के लिए भारत सरकार ने एक दिसम्बर 1997 का स्वर्ण
जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) नामक एक नया शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
आरम्भ किया। इस योजना में प्रारम्भिक तीन शहरी गरीबी उन्मूलन
कार्यक्रमों-गरीबों के लिए बुनियादी शहरी सेवाएं (यूबीएसपी), नेहरू
रोजगार योजना (एनआरवाई) और प्रधानमंत्री का एकीकृत शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
(पीएमआईयूपीईपी) को शामिल किया गया।
शहरों में रहने वाले गरीबों की स्थितियों में सुधार लाने की दिशा में
इस योजना के प्रभाव का आकलन करने के लिए आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की
ओर से 2006 में एसजेएसआरवाई का निष्पक्ष मूल्यांकन किया गया। इस अध्ययन के
नतीजों, कार्यान्वयन के दौरान मिले सबक और राज्य सरकारों, शहरी स्थानीय
निकायों और अन्य हितधारकों से मिली प्रतिक्रियाओं के आधार पर वर्ष 2009-10 से
एसजेएसआरवाई के दिशा-निर्देशों को संशोधित किया गया।
उद्देश्य
- नई संशोधित एसजेएसआरवाई के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- शहरों में रहने वाले बेरोजगारों और अल्पकालिक रोजगार करने वालों को स्व-रोजगार उद्यम (व्यक्तिगत या समूह) लगाने, उनकी निरंतरता के लिए सहायता प्रदान करने अथवा वेतन आधारित रोजगार से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए लाभकारी रोजगार मुहैया कराते हुए शहरी गरीबी का उन्मूलन करना।
- कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहायता करते हुए शहरों में रहने वाले गरीबों को बाजार की ओर से मिलने वाले रोजगार के अवसरोंतक पहुंच बनाने अथवा स्वरोजगार लगाने में सक्षम बनाना।
- पड़ोसी समहों (एनएचजी), पड़ोसी समितियां (एनएचसी), समुदाय विकास सोसायटी (सीडीएस) आदि जैसे टिकाऊ स्वप्रबंधित सामुदायिक ढांचों के माध्यमसे समुदायों को शहरी गरीबी से जुड़े मसलों का समाधान करने के लिए सशक्त बनाना।
संघटक
एसजेएसआरवाई में पांच प्रमुख संघटक होंगे, जो निम्नलिखित
हैं:
- शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यूएसईपी)
- शहरी महिला स्व-सहायता कार्यक्रम (यूडब्ल्यूएसपी)
- शहरी गरीबों के लिए कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार प्रोत्साहन (एसटीईपी-यूपी)
- शहरी वेतन आधारित रोजगार कार्यक्रम (यूडब्ल्यूईपी)
- शहरी सामुदायिक विकास नेटवर्क (यूसीडीएन)
संशोधित स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना
इस योजना में किए गए प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित हैं:
- विशेष श्रेणी वाले राज्यों(8 पूर्वोत्तर राज्य और 3 अन्य पर्वतीय राज्य अर्थात अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, त्रिपुरा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड) के लिए केंद्र और राज्यों का अनुदान का स्वरूप 75 : 25 से बढ़ाकर 90 : 10 कर दिया गया है।
- योजना के शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यूएसईपी) संघटक के तहत लाभान्वित होने वालोंके लिए ‘नौंवी के बाद की पढ़ाई नहीं करने वालों’ के लिए शैक्षिक सीमा का मानदंड हटा दिया गया है और अब सहायता की पात्रता के लिए कोई न्यूनतम या अधिकतम शैक्षिक योग्यता स्तर निर्धारित नहीं किया गया है।
- स्व-रोजगार (व्यक्तिगत श्रेणी) के लिए, परियोजना की लागत सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 2.00 लाख रुपये कर दी गई है और सब्सिडी बढ़ाकर परियोजना की लागत का 25 प्रतिशत (अधिकतम 50,000 रुपये तक) कर दी गई है। पहले परियोजना लागत का 15 प्रतिशत (अधिकतम 7500 रुपये तक) थी।
- शहरों में रहने वाली गरीब महिलाओं द्वारा लगाए सामूहिक उद्यमों के लिए परियोजना की लागत का 35 प्रतिशत 300,000 रुपये, या समूह की प्रति सदस्य 60,000 रुपये, या जो भी कम हो सब्सीडी के रूप में दिया गया है। महिला समूह गठित करने के लिए आवश्यक सदस्यों की न्यूनतम संख्या 10 से घटाकर 5 कर दी गई है। नियमित अंतराल पर मिलने वाले प्रति सदस्य अनुदान की पात्रता भी मौजूदा 100 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दी गई है।
- शहरी वेतन आधारित रोजगार कार्यक्रम (यूडब्ल्यूईपी) संघटक, जो 1991 की जनगणना के मुताबिक पांच लाख से कम की आबादी वाले शहरों में लागू है, इसके तहत यूडब्ल्यूईपी के अधीन कार्यों के लिए सामग्री श्रम अनुपात 60 :40 है, अब राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 10 प्रतिशत लचीलापन (दोनों में से एक) प्रदान किया गया है।
- शहरी गरीबों के लिए कौशल प्रशिक्षण के संघटक का पुनगर्ठन किया गया है और शहरों में रहने वाले गरीबों को प्रमाणीकरण, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) प्रणाली को प्राथमिकता प्रदान करते हुए, आईआईटी, एनआईटी, बहुकला संस्थानों, आईटीआई और अन्य प्रतिष्ठित एजेंसियों को शामिल करते हुए गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण मुहैया प्रशिक्षण कराया जाएगा। प्रत्येक प्रशिक्षु पर औसत खर्च सीमा 2,600 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है।
- गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले कुछ परिवारों को स्वरोजगार अथवा कौशल विकास के माध्यम से गरीबी रेखा से ऊपर लाने के लक्ष्य वाली समयबद्ध ढंग से लागू की जाने वाली विशेष/नवीन परियोजनाओं के लिए कुल योजना आवंटन का तीन प्रतिशत हिस्सा केंद्रीय स्तर पर रोककर रखा जाएगा।
संशोधित एसजेएसआरवाई के तहत संघटक शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यूएसईपी)
- यूएसईपी में वैयक्तिक शहरी गरीब लाभार्थियों को लाभकारी स्व-रोजगार उद्यम लगाने में सहायता देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- एक ढांचागत संघटक सूक्ष्म व्यापार केंद्र (एमबीसी), आवासीय सामान्य सुविधाएं और औपचारिक सेक्टर मार्केट्स के गठन में समर्थ बनाएगा, जिनका प्रबंधन स्वयं लाभार्थियों द्वारा अन्य हितधारकों के सहयोग से किया जाएगा।
- यूएसईपी का लक्ष्य गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली शहरी आबादी है, जिसे समय पर योजना आयोग द्वारा परिभाषित किया जाता है। एसटीईप-यूपी के अधीन लाभान्वित होने वाली महिलाओं की तादाद 30 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियां कम से कम शहर/टउन में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली आबादी के अनुपात की सीमा तक लाभान्वित होनी चाहिए। अक्षम लोगों के लिए इस कार्यक्रम के तहत तीन प्रतिशत आरक्षण का विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए।
- स्व-रोजगार के लिए वैयक्तिक उद्यमों की परियोजना की लागत सीमा दो लाख रुपये है और परियोजना लागत का 25 प्रतिशत हिस्सा या 50,000 रुपये, जो भी कम हो, बतौर सब्सीडी दिया जाता है।
- ढांचागत संघटक में एमबीसी के लिए (60 लाख रुपये का एकमुश्त पूंजी अनुदान और संचालन की लागत के रूप में तीन साल के लिए 20 लाख रुपये, धीरे-धीरे कमी करने के पैमाने पर) औसत 80 लाख रुपये उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
शहरी महिला स्व-सहायता कार्यक्रम (यूडब्ल्यूएसपी)
- महिला स्व–सहायता समूह में महिलाओं की न्यूनतम संख्या पांच होनी चाहिए।
- यूडब्ल्यूएसपी का लक्ष्य शहरों में रहने वाली गरीब महिलाओं को एसएचजी-बैंक के संयोजन से लाभकारी समूह उद्यम लगाने के लिए सब्सीडी के रूप में सहायता मुहैया कराना होगा।
- समूह उद्यम लगाने के लिए, यूडब्ल्यूएसपी समूह बतौर सब्सीडी 300,000 रुपये अथवा परियोजना लागत का 35 प्रतिशत भाग अथवा समूह के प्रति सदस्य 60,000 रुपये, जो भी कम हो, पाने के हकदार होगा। शेष राशि बैंक ऋण और अतिरिक्त राशि के रूप में तैयार रखी जाएगी।
- नियमित अंतराल पर मिलने वाली राशि की सहायता शहरी करीब महिलाओं द्वारा बनाई गई थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट सोसायटीज (टी एंड सीएम) को प्रति सदस्य 2,000 रुपये की दर पर 25,000 रुपये की सीमा के साथ प्रति टी एंड सीएम को मुहैया कराई जाएगी।
- समूहों को सदस्यों के लाभ के लिए सामाजिक सुरक्षा एवं अन्य उपाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
शहरी गरीबों के लिए कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार प्रोत्साहन (एसटीईप-यूपी)
- एसजेएसआरवाई का यह एंघटक शहरी गरीबों को स्व-रोजगार और साथ ही साथ वेतन वाले रोजगार तक बेहतर पहुंच बनाने के लिए उनकी क्षमता बढ़ाने के वास्ते कौशल निर्माण/सुधार सहायता प्रदान करने पर ध्यान देगा।
- सूएसईपी की तरह, एसटीईप-यूपी में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाली शहरी आबादी को लक्षित किया जाएगा, जिसे समय पर योजना आयोग द्वारा परिभाषित किया जाता है। एसटीईप-यूपी के अधीन लाभान्वित होने वाली महिलाओं की संख्या, 30 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियां कम से कम शहर/टाउन में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाली आबादी के अनुपात की सीमा तक लाभान्वित होनी चाहिए। अक्षम लोगोंके लिए इस कार्यक्रम के तहत तीन प्रतिशत आरक्षण का विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए। अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम के मद्देनजर, अल्पसंख्यक समुदायों के वास्ते शहरी गरीबों में रोजगार प्रोत्साहन के लिए कौशल प्रशिक्षण (एसटीईपी-यूपी) के तहत राष्ट्रीय स्तर पर वास्तविक एवं वित्तीय लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे।
- एसटीईपी-यूपी का उद्देश्य शहरों में रहने वाले गरीबों को विविध सेवाओं, कारोबार और विनिर्माण गतिविधियों के साथ ही साथ स्थानीय कौशलों और शिल्पों में प्रशिक्षण मुहैया कराना, ताकि वे स्व-रोजगार उद्यम अथवा बढ़े हुए पारिश्रमिक के साथ वेतन आधारित रोजगार से जुड़ सके। निर्माण संबंधी उद्योग और बढ़ईगिरी, प्लम्बिंग, इलेक्ट्रिकल जैसी सहायक सेवाओं और बेहतर अथवा स्थानीय उत्पादों के इस्तेमाल वाली किफायती कम लागत वाली भवन निर्माण सामग्री जैसे सेवा क्षेत्र के महत्वपूर्ण संघटकों में भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
- कौशल प्रशिक्षण को प्रत्यायन, प्रमाणीकरण, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) प्रणाली को प्राथमिकता प्रदान करते हुए, आईआईटी, एनआईटी, उद्योग संगठनों, प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कालेजों, प्रबंधन संस्थानों संघों और अन्य प्रतिष्ठित एजेंसियों से सम्बद्व किया जा सकता है। आईटीआई/बहुकला संस्थानों/श्रमिक विद्यापीठों, इंजीनियरिंग कालेजों और सरकार, निजी अथवा स्वयंसेवी संगठनों द्वारा संचालित उचित संस्थानों जैसे प्रशिक्षण संस्थानों को उपयोग में लाया जा सकता है और शहरी गरीबों के कौशल प्रशिक्षण में उनकी ब्रांड इमेज की पुष्टि और प्रदान किए जाने वाले निर्देशों की गुणवत्ता के आधार पर उचित सहायता प्रदान की जा सकती है।
- प्रशिक्षण के स्वीकृत औसत इकाई लागत प्रति प्रशिक्षु 10,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगी। इसमें प्रशिक्षण संस्थान द्वारा व्यय की जाने वाली सामग्री लागत, प्रशिक्षु का शुल्क, टूलकिट लागत, अन्य फुटकर खर्चे और प्रशिक्षु को दिया जाने वाला मासिक मानदेय शामिल होगा।
शहरी रोजगार आधारित रोजगार कार्यक्रम (यूडब्ल्यूईपी)
- यूडब्ल्यूईपी में शहरी स्थानीय निकायों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लाभार्थियों को सामाजिक और आर्थिक रूप से उपयोग सार्वजनिक परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए उनके श्रम को उपयोग में लाते हुए वेतन आधारित रोजगार प्रदान किया जाएगा।
- शहरी रोजगार आधारित रोजगार कार्यक्रम (यूडब्ल्यूईपी) 1991 की जनगणना के अनुसार सिर्फ पांच लाख तक की आबादी वाले कस्बों/शहरों में लागू होगा।
- यूडब्ल्यूईपी विशेषकर अकुशल और अर्धकुशल प्रवासियों/स्थानीय निवासियोंको सामुदायिक परिसंपत्तियों की रचना करते हुए वेतन आधारित रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। निम्न आय वाले इलाकों में स्थानीय समुदायों को सशक्त रूप से सम्मिलित करते हुए और उनकी भागीदारी सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण पर विशेष बल दिया जाएगा।
- इस कार्यक्रम के अधीन कार्यो में सामग्री : श्रम अनुपात 60:40 रखा जाना चाहिए। हालांकि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इस सामग्री : श्रम अनुपात में 10 प्रतिशत (दोनों में से एक) जो नितांत आवश्यक हो, तक छूट दी जा सकती है।
- इस कार्यक्रम के तहत लाभार्थियों को प्रत्येक क्षेत्र के लिए समय पर अधिसूचित मौजूदा न्यूनतम वेतन की दर का भूगतान किया जाना चाहिए।
शहरी सामुदायिक विकास नेटवर्क (यूसीडीएन)
- यूएसडीएन टिकाऊ स्थानीय विकास को सुगम बनाने के लिए पड़ोसी समूह (एनएचजी), पड़ोसी समितियों (एनएचसी) और सामुदायिक विकास सोसायटियों (सीडीएस) जैसे सामुदायिक संगठनों और ढांचों को सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करना।
- सीडीएस लाभार्थियों की पहचान, आवेदन पत्रों की तैयारी, वसूली की निगरानी और कार्यक्रम के लिए जो भी सहायता जरूरी हो उसे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण बिंदू होंगी। सीडीएम उस क्षेत्र-विशेष के लिए उपयुक्त परियोजनाओं की भी पहचान करेंगी।
कार्यान्वयन और निगरानी
- आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर एसजेएसआरवाई के क्रियान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय होगा।
- केंद्रीय स्तर पर सचिव (एचयूपीए) की अध्यक्षता वाली और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य हित धारकों के सदस्यों वाली एक संचालन समिति योजना की निगरानी करेगी। इस समिति की प्रत्येक तीन महीने में कम-से-कम एक बार बैठक होगी।
- राज्य स्तर पर भी इस योजना की कारगर निगरानी के लिए एक राज्य स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया जाएगा। इसमें बैंकों, सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों, सामाजिक संगठनों और अन्य हितधारकों के सदस्य होंगे। इस समिति की प्रत्येक तीन महीने में कम से कम एक बार बैठक होगी।
- शहरी स्थानीय निकाय स्तर पर एक शहरी गरीबी उन्मूलन एवं आजीविका विकास प्रकोष्ठ इस योजना का उपयूक्त निगरानी प्रणाली के साथ समन्वयन और कार्यान्वयन करेगा।
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