ग्रामीण विकास में ई-प्रशासन पर निबंध
भारत गाँवों का देश है और देश की आत्मा गाँवों
में निवास करती है। हमारे देश की अधिसंख्या जनसंख्या (72.2%) गांवों में निवास करती है। आज इस वैज्ञानिक युग में भारत में सूचना
प्रौद्योगिकी (I.T.) की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति हुई है।
21वीं सदी में संसार में वैश्वीकरण, उदारीकरण एवं निजीकरण (L.P.G) का दौर है और ऐसे में हम ग्रामीण विकास (आधा स्तर पर) की कार्य प्रणाली
में पूराने तौर-तरीकों को अपनाएंगे तो हमारा विकास की मुख्य धारा में पिछड़ाना स्वाभाविक
होगा। ग्रामीण विकास की परिवर्तित परिस्थितियों में राज्य के उभरते स्वरूप एवं
आवश्यकता के अनुसार पारदर्शी, उत्तरदायी एवं जवाबदेह शासन
एवं प्रशासन होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश विगत 6 दशकों
में ऐसा हो नहीं सका है। राजनीति-नौकरशाही-माफिया तंत्र के गठजोड़ ने येन-केन-प्रकारणे
आम नागरिकों को उनकी आवश्यकात और अपेक्षाओं के अनुरूप प्रशासन उपलब्ध नहीं
कराया। लालफीताशाही और इंस्पेक्टर राज ने लोकल्याणकारी राज्य के लक्ष्य को
प्राप्त करने में बाधाएं ही खड़ी की हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असाधारण
विकास ने जहाँ एक ओर संपूर्ण विश्व को वैश्विक गांव (Global
village) का रूप दिया है, वहीं शासन की शैली
भी परिवर्तित हुई हैं। ऐसे में ई-प्रशासन प्रशासन को जनता के लिए अनुकूल, पारदर्शी एवं जवाबदेही बनाता है और यह लोकतांत्रिक सरकार की कार्य
प्रणाली के प्रत्येक स्तर पर जनता और प्रशासन केबीच आने वाली समस्याओं को दूर
करने की दिशा में एक श्रेष्ठ विकल्प है।
ई-प्रशासन अंग्रेजी के Electronic
Governance का लघु रूप है, जिसको शासन की ऐसी
प्रणाली से जोड़ा गया है, जिसमें तक सरकारी सेवाएं और
सूचनाएं पहुंचाने में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक विधियों और उपकरणों को काम में लाया
जाता है। ई-प्रशासन की सहायता से सरकारी कामकाज में इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों का
उपयोग करके शासन को सरल, पारदर्शी,
संवेदनशील, उत्तरदायी, जवाबदेही और
नैतिकपूर्ण बनाया जा सकता है। ई-प्रशासन सरकारी कामकाजी में पारदर्शिता, दक्षता और नागरिकों के साथ निकटता सुनिश्चित करने के उद्देश्य की
पूर्ति करता है। साधारण अर्थ में यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकसित तकनीकी है, जिसके माध्यम के शासन संबंधी कामकाज को सरल,
पारदर्शी, दक्षता एवं नागरिकोन्मुख बनाया जा सकता है।
जैसे-कम्प्यूटर, इंटरनेट, सीडी, ई-मेल, स्कैनिंग आदि।
भारत एक लोककन्याणकारी राज्य है तथा यहाँ
प्रजातंत्र की संघात्मक प्रणाली को अपनाया गया है। लोककल्याणकारी राज्य का
प्राथमिक लक्ष्य उसमें रह रहे लोगों को अधिकतम हित और सेवा करना होता है। समाज के
प्रत्येक व्यक्ति/वर्ग तक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए ये सकारात्मक राज्य स्थानीय
संस्थाओं का सहयोग लेते हैं और ग्रामीण जनता को ये सेवाएं पंचायती राज की त्रिस्तरीय
व्यवस्था (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषद)
के माध्यम से प्रदान की जाती हैं,क्योंकि ग्रामीण जनता की
समस्याओं से ये संस्थाएं भली प्रकार परिचित होती हैं। वास्तव में गांव ही
लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रथम सीढ़ी हैं। ग्रामीण विकास के इस आधार स्तर पर
लोगों को स्वच्छ, पारदर्शी,
दक्षतायुक्त, सरल, ईमानदारीपूर्वक, व्वरित गति से न्याय मिले इस हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग आवश्यक
एवं महत्वपूर्ण हो गया है।
ग्रामीण जनता के अशिक्षित, अज्ञान एवं भोलेपन का फायदा उठाकर कार्मिक एवं अधिकारी वर्ग भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, कार्य में देरी, गलत कार्यों में लिप्तता आदि के माध्यम से सुशासन से वंचित रखता है।
ग्रमीण जनता को भूमि, सड़के, निर्माण
कार्यों, वित्तीय व्यय, योजनाओं एवं
कार्यक्रमों के माध्यम से कल्याणकारी कार्य, मानवीय विकास
के पहलूओं, नीति-निर्माण एवं क्रियान्वयन से संबंधित
कार्यों में सरलता, खुलापन,
संवेदनशीलता एवं उत्तरदायित्व का होना नितान्त आवश्यक है।
ई-प्रशासन के माध्यम से ग्रामीण जन न केवल नियम
कानून एवं कार्य प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, वरन संरचनात्मक-कार्यात्मक सुधारों में महत्वपूर्ण तरीके से योगदान भी
दे सकते हैं।
ई-प्रशासन की उपयोगिता
भारत में ग्रामीण क्षेत्रके विशाल आकार, भौगोलिक विभिन्नताओं एवं आधारिक अवसंरचना की सीमित उपलब्धता के सन्दर्भ
में ऐसे शासन-प्रशासन की आवश्यकता है, जो विकास कार्यक्रमों
का लाभ शत-प्रतिशत रूप में समाज के सबसे अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक पहंचने
दें। इस दृष्टि से कम्प्यूटरजनित सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित ई-प्रशासन बहुत
अधिक कारगर हो सकता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी किन्हीं आधारभूत सुविधाओं जैसे-भोजन, पानी, आवास, स्वस्थ्य सेवाओं का विकल्प नहीं बन सकती, लेकिन विकास प्रक्रिया को तेज करने में महती भूमिका का निर्वहन कर सकती है। ई-प्रशासन के माध्यम से जनता को भूमि संबंधी दस्तावेज, प्रमाण-पत्र (मूल निवास, आय, जाति) शीघ्र, न्यूनतम लागत से उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
- जहां सूचनाएं इलेक्ट्रॉनिक विधि से उपलब्ध कराई जाती हैं, वहां बिचौलियों का महत्व कम हो जाता है और किसान एक ही स्थान पर देशभर की मंडियों के भाव जान सकता है, जिससे अपनी फसलों का सही एवं पर्याप्त मूल्य प्राप्त कर सकता है।
- ग्रामीण विकास कार्यक्रमों एवं योजनाओं के माध्यम से चलायी जाने वाली लोकल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है और इनमें होने वाली भ्रष्टाचार, अनियमितताओं एवं घोटालों का उजागार किया जा सकता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने सुशासन के सत्य को उजागर करते हुए राजनीतिज्ञों तथा अधिकारी वर्ग को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि ‘केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए एक रुपए में से केवल 15 पैसे ही गांवों तक पहंचते हैं। शेष राशि बीच में ही गायब हो जातीहै’ अत: ई-प्रशासन के माध्यम से सरकार द्वारा स्वीकृत राशि एवं निर्माण या क्रियान्वित कार्य के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा सकती है।
- किसी भी निर्माण कार्य जैसे-सड़क, कुएं एवं भवन निर्माण से संबंधित कार्य के लिए सभी जानकारियां एक निर्धारित आकार एवं रंग के बोर्ड में लिखकर प्रदर्शित कर दी जाती हैं, उससे भी पारदर्शिता एवं ईमानदारी का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
- आज टेलीविजन, इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से भी बड़े-बड़े घोटाले एवं अनियमितताओं का खुलासा किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता, संवेदनशीलता एवं जवाबदेयता में में वृद्धि हो रहा है।
- ई-प्रशासन के माध्यम से सभी प्रकार के आंकड़े आसानी से एवं शीघ्र प्राप्त किए जा सकते हैं। इन अंकड़ो की मदद से कई प्रश्नों एवं समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता हैं।
- विभिन्न ग्रामीण विकास योजनाओं/परियोजनाओं की जानकारी एवं उनकी प्रक्रिया से संबंधित सभी जानकारियां इंटरनेट के माध्यम से शीघ्रता से प्राप्त की जा सकती हैं। इन कार्यक्रमों एवं योजनाओं की ताजा स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- सभी जानकारियों एवं सूचनाओं के आसानी एवं शीघ्र उपलब्ध होने से इनका सामाजिक अंकेक्षण भी संभव है।
- ग्रामीण विकास की पारिस्थितिकी, आवश्यकता एवं जनसहभागिता का पता लगाया जा सकता है। विकास में पिछड़ी जनता में जागरुकता लायी जा सकती है और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है।
- संपूर्ण देश में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’ लागू होने से चाही गई सूचना मांगी जा सकती है। इसके कुछ विशेष प्रावधान समयावधि एवं स्तर दिए गए हैं। प्रत्येक विभाग/संस्थान एवं कार्यकाल में इस हेतु मुख्य जनसूचना अधिकारी एवं सहायक जनसूचना अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। सूचना से संबंधित प्रार्थना पत्रों एवं उनमें मांगी गई सूचना तथा उपलब्ध कराने तक की जिम्मेदारी इन्हीं अधिकारियों की होती है।
- ग्रामीण जनता/किसानों को भू-स्वामित्व संबंधी अभिलेखों की जानकारी/दस्तावेज प्राप्त करने के लिए राजस्व विभाग क कर्मचारियों की उपेक्षा और अफसरशाही का सामना करना पड़ता था और रिश्वत भी देनी पड़ती थी। राजस्व विभाग के प्रशासन तंत्र से कोई काम निकलवाने में लालफीताशाही के कारण जो देरी होती थी, वह अब कम हो गई है। ई-प्रशासन के माध्यम से एक निश्चित शुल्क जमा करवाकर निर्धारित समय में भू-स्वामियों को जमीन के मालिकाना हक, पट्टेदारी और संबंधी प्रमाण पत्र दिए जा सकते हैं।
- ग्रामीण किसानों एवं जनता को कम्प्यूटरों के टच स्क्रीन पर छूते ही अनेक प्रकार की जानकारियां प्राप्त करायी जा सकती हैं। एटीएम से रुपया निकालना, बसों एवं रेलों में आरक्षण की स्थिति जानना एवं टिकट प्राप्त करना इसी के उदाहरण हैं। ई-प्रशासन से दूरदराज के गांवों में रहे लोग विभिन्न परीक्षाओं के लिए आनलाइन आवेदन कर सकते हैं, परीक्षा दे सकते हैं तथा परीक्षा परिणाम की जारकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। इससे जैसी भयंकर समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
- ग्रमीण जनता/किसान देश-विदेशों में हो रही नई-नई खोजों, अनुसंधानों की जानकारी प्राप्त कर सकती है। कृषि से संबंधित नई-नई तकनीकों से कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। कई बीज एवं खाद बनाने वाली कम्पनियों के बीच का संबंध और और मजबूत हुआ है। जिससे किसानों को अच्छी किस्म के खाद, बीज उपलब्ध आसानी से सही दामों में प्राप्त हो जाते हैं।
- कोई भी व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से कृषि संबंधी जानकारी एवं मौसम संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकता है और इस सुचना के अनुसार सतर्क रहकर कार्यवाही की जा सकती है। ई-मेल के जरिए विभिन्न प्रकार के ऑर्डर दे सकते हैं एवं जानकारियां भी प्राप्त की जा सकती हैं।
सुशासन की ओर ई-प्रशासन
ई-प्रशासन के माध्यम से सुशासन स्थापित किया
जाता है। यह अच्छे शासन की ओर बढ़ाता हुआ कदम है। अच्छे अभिशासन में विधि के
शासन की मौजूदगी, मूलभूत मानवाधिकारों का संरक्षण, ईमानदार व कारगर सरकार का होना, उत्तरदायित्व, पारदर्शिता, घटनाओं एवं संभावनाओं का पूर्वनुमान
लगाना और खुलापन शामिल है, जोकि ई-प्रशासन के मूल उद्देश्य
हैं। यह व्यवस्था में दक्षता, वैधता व विश्वसनीय उत्पन्न
करने के लिए शासन के नए मूल्यों को प्रतिष्ठित करने की बात करता है। अच्छे
अभिशासन को नागरिक मित्र व जिम्मेदार शासन के रूप में देखा जा सकता है।
विश्व बैंक ने ‘अच्छे
शासन’ के अनेक घटकों का उल्लेख किया है, जिनमें से प्रमुख हैं राजनीतिक उत्तरदायित्व,
जन-सहभागिता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता व विधि का शासन, प्रशासन की उत्तरदायिता, पारदर्शिता व खुलापन, सूचना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, दक्षता व
प्रभावशीलतायुक्त प्रशासनिक प्रणाली आदि। अच्छा अभिशासन सरकार द्वारा अकेले
प्राप्त नहीं किया जा सकता बल्कि इसके लिए सहयोग तथा नागरिकों व संगठनों की
भागीदारी आवश्यक है। अच्छे अभिशासन हेतु मूलभूत पूर्वापेक्षाओं में से एक
है-जिम्मेदार प्रशासन, जो निर्भर करता है- प्राघिकार व जिम्मेदारी
के प्रत्यायोजन, सुपरिभाषित आचरण मानकों के पालन और नीति
निर्धारण के लोकतंत्रीकरण पर। संपूर्ण विश्व में यदि सही प्रकार की लोक सेवा आचार
संहिता का पालन किया जाए तो शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है
और आम जन में प्रशासन की विश्वसनीयता कायम की जा सकती है।
राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना
भारत सरकार ने मई 2006 में राष्ट्रीय ई-प्रशासन
योजना (छम्ळच्) निम्नलिखत स्वप्न दृष्टि के साथ प्रारंभ की। “आम आदमी को बुनियादी आवश्यकताएं वहनीय एवं लागत प्रभावी ढंग से दक्षता, पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता के साथ आम आदमी के निवास स्थान के आसपास ही
उपलब्ध कराने के लिए सभी सरकारी सेवाओं तक आम आदमी की पहुंच सुनिश्चित करना।” इससे पूर्व का लक्ष्य केवल सरकारी कामकाज के कम्प्यूटरीकरण तक ही
सीमित था, जबकि राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना की पहल नागरिकों
तक सेवाओं को पहुंचाने पर केन्द्रित है।
राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना सरकारी सेवाओं के
वितरण तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाए जाने पर केन्द्रित है। इस योजना के अंतर्गत
शिक्षा, स्वस्थ्य एवं कृषि जैसे क्षेत्रों के विकासात्मक कार्यक्रमों के
क्रियान्वयन से जुड़ी चुनौतियों पर विचार
किया जा रहा है। अब यह स्वीकार कर लिया गया है कि नागरिकों को केन्द्र
में रखते हुए पारदर्शिता और दक्षता को उस समय तक प्राप्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि प्रौद्योगिकी का विस्तृत एवं कारगर उपयोग न कर लिया जाए।
राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना में वर्तमान में 27
मिशन मोड परियोजनाएं तथा 8 सहायता संघटक केन्द्रीय, राज्य
एवं स्थानीय प्रशासन स्तर पर कार्यान्वित किए जा रहे हैं।
ग्रामीण विकास में ई-प्रशासन क्रियान्वयन में
प्रमुख समस्याएँ
किसी भी स्तर पर ई-प्रशासन का क्रियान्वयन एवं
उपयोग भारतीय परिप्रेक्ष्य के दृष्टिकोण से लागू करना सरल कार्य नहीं है, क्योंकि हमारे देश में साक्षरता का प्रतिशत आज भी कम है और विशेषकर
ग्रामीण जनता में तो और भी कम है। ई-प्रशासन सरकार द्वारा समाज को औद्योगिक युग से
सूचना युग तक पहुंचाने हेतु किया जाने वाला प्रयास है। आज चारों और सूचना
प्रौद्योगिकी के चर्चे हैं और देश के विकास में इसका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
परंतु सूचना प्रौद्योगिकी की पहुंच अभी तक शहरी एवं सीमित लोगों तक ही है। जब तक
आम आदमी तक यह नहीं पहुंच जाएगा, सफलता अधूरी ही है।
ई-प्रशासन क्रियान्वयन की मुख्य समस्याएं निम्नलिखित हैं:
- तकनीकी को समझने एवं उपयोग करने के लिए विशेष भाषा एवं मानसिक समझ की आवश्यकता है। इसक सरल, स्थानीय भाषा में एवं आसानी से उपलब्ध कराकर ही इसका उपयोग संभव है। आम नागरिक तक आधारभूत सुविधाओं की पहुंच (सड़क, पानी, बिजली, आवास, भोजन) के बिना यह संभव नहीं है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कम्प्युटर, इंटरनेट आदि की उपलब्धता की समस्या है। जब सड़कें, विद्युत, पानी जैसी सुविधाओं से ही ग्रामीण जनता वंचित है, तो ई-गवर्नेंस की बात करना बेमानी होगी।
- ग्रामीण जनता में चेतना एवं जन-जागरूकता का अभाव है। वे अभी भी पटवारी, ग्रामसेवक, ग्राम सचिव आदि को घूस देकर ही काम निकालने में विश्वास करते हैं। ये प्राचीन परम्पराएं एवं रूढि़वादिता ग्रामीण विकास में ई-प्रशासन की अवधारणको समझना तो दूर, सुनना भी नहीं चाहते।
- ई-प्रशासन की अवधारणा को कार्मिक तंत्र, अधिकारी वर्ग एवं जन प्रतिनिधि भी कागजों तक सीमित रखना चाहते हैं और वे न तो इसकी जानकारी जनता तक पहुंचाते हैं और न ही प्रचार-प्रसार करते हैं, बल्कि इस ओर हुए कदमों को पीछे खींचने के प्रयास किए जाते हैं।
- ग्रामीण स्तर पर पारदर्शी ढांचे का अभाव है एवं प्रक्रिया जटिल और आम ग्रामीण जन की समझ से बाहर है।
- ग्रामीण विकास के आधार स्तर पर नागरिकों एवं प्रशासन से मध्य संबंध सौहार्द्रपूर्ण नहीं है, बल्कि नकारात्मक विचारधारा एवं भ्रष्टता को बढ़ावा देने वाले हैं।
- ग्रामीण विकास के आधारभूत स्तर पर प्रशिक्षित, कार्यकुशल, ईमानदार एवं दक्ष कार्मिक तंत्र का अभाव है।
- कार्मिक तंत्र एवं अधिकारी वर्ग में जवाबदेयता की कमी है।
ग्रामीण विकास ई-प्रशासन का फायदा आम जन तक
पहुंचे इसके लिए उपर्युक्त वर्णित समस्याओं पर गहनता से विचार करना होगा और इन
समस्याओं को दूर करने की दिशा में प्रयास करने होंगे, तभी ग्रामीण विकास के आधारभूत स्तर तक ई-प्रशासन की अवधारणा का औचित्य
एवं प्रासंगिकता साबित होगी।
ग्रामीण विकास में ई-प्रशासन सुझाव
आज हम 21वीं सदी में आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में हमें विकास को आधारभूत स्तर से उठाना होगा। इस हेतु निम्नलिखित
सुझाव दिए जा सकते हैं:
- सर्वप्रथम ग्रामीण जनता तक उनकी बुनियादी सुविधाएं (पानी बिजली, सड़क) की पहुंच होना चाहिए, क्योंकि इनके बिना ई-प्रशासन की कल्पना करना भी बेकार है।
- जनचेतना का विकास किया जाना चाहिए और कम्प्यूटर, इंटरनेटसे संबंधित ज्ञान जनता में कराया जाना चाहिए।
- प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर एक ग्राम सेवक यह सूचना अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए जोकि ग्राम पंचायत से संबंधित सभी सूचनाओं को कम्प्यूटर से संग्रहीत करे। वह ग्रामीणों द्वारा मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध कराए, साथ ही कम्प्यूटर, इंटरनेट के प्रयोग एवं उपयोगसे संबंधित जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
- ग्रामीण विकास संस्थाओं में प्रत्येक स्तर पर कम्प्यूटर, इंटरनेट का प्रयोग किया जाए एवं सभी आंकड़े, तथ्य, सूचनाएं एक-दूसरे स्तरों से जुड़ी होनी चाहिए ताकि ग्रामीण जनता के मांगने पर ग्राम पंचायत स्तर पर ही उपलब्ध कराई जा सके।
- सभी ग्रामीण विकास कार्यक्रमों एवं योजनाओं की जानकारी कम्प्यूटर के माध्यम से उपलब्ध कराई जानी चाहिए और उन कार्यक्रमों एवं योजनाओं का लाभ उठाने की प्रक्रिया, योग्यता आदि से संबंधित संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए, ताकि आम जनता तथा वास्तविक जरूरतमंद व्यक्ति इसका लाभ उठा सके।
- पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, सरल एवं शीघ्रता के लिए ई-प्रशासन एक अच्छा माध्यम है। इससे खुलापन, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा बढ़ेगी और भ्रष्टाचार, घूसखोरी, अनियमितता की अंत होगा।
- ई-प्रशासन की अवधारणा को व्यावहारिक रूप में अपनाने से सामाजिक अंकेक्षण आसान होगा और निरीक्षण एवं नियंत्रण भी बेहतर होगा। सभी तथ्य, आंकड़े एवं स्थिति का ज्ञान कार्यालय में बैठकर कम्प्यूटर के द्वारा शीघ्र हो सकेगा।
- प्रत्येक ग्राम पंचायत पर ग्रामीणों/किसानों से संबंधित सुचनाएं (जैसे-खाद, बीज, खाद्यान्न आदि के भाव) इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त कर निर्धारित स्थान पर लगा देनी चाहिए ताकि आम आदमी उसकी जानकारी प्राप्त कर सके।
ग्रामीण विकास की अवधारणा को ई-प्रशासन के माध्यमसे
साकार करने में अभी समय अवश्य लगेगा, पंरतु जिस दिन
आम जनता, प्रशासक एवं प्रतिनिधि वर्ग में जन सहयेाग, जन सहभागिता एवं दृढ़ इच्छा शक्ति का अवतरण हो जाऐगा, सपने साकार होने लगेंगे। आज सूचना प्रौद्योगिकी के युग में विभिन्न
वैज्ञानिक उपकरणों एवं तकनीकी का प्रयोग कर प्रशासन में पारदर्शिता, संवेदनशीलता, जवाबदेयता,
शीघ्रता एवं सरलता का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा।
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