कार्बन व्यापार से लाभ तथा हानि पर निबंध Carbon Trading Essay in Hindi
पर्यावरण का संरक्षण कर
स्थायी विकास (sustainable
development) के लक्ष्य को प्राप्त
करना आज के विश्व का प्रमुख लक्ष्य है। इस दिशा में एक प्रमुख उपाय है हरित गृह
गैसों का उत्सर्जन कम करना। इसी प्रयास के तहत कार्बन व्यापार एक अभिनव संकल्पना
है, जो वर्तमान में काफी चर्चित है। ‘अंतरा-परिवर्तन
कार्बन व्यापार’ एक भ्रामक शब्द है,
जिसे तहत देश वैसी प्रौद्योगिकी या इकाइयों का व्यापार करते हैं,
जिसके तहत हरित गैसों के उत्सर्जन में निश्चित समयांतराल में कमी लायी जा सकती
है। Carbon trading नामकरण के पीछे तर्क है कि CO2 प्रमुख हरित गैस है और अन्य हरित गृह गैसों को CO2 के समतुल्य मापा जाता है। यह व्यापार क्योटो प्रोटोकॉल
तथा अन्य समझौतों के तहत किया जाता है, जिसके अनुसार विभिन्न देशों का उत्सर्जन कोटा
तय किया गया है। इसके तहत वैसे देश जो तय मानक से अधिक उत्सर्जन करते हैं वे तय
कोटे से कम उत्सर्जन करने वाले दशों से कार्बन प्रमाण पत्र खरीदते हैं तथा बदले
में उन्हें धन तथा पर्यावरण मित्र स्वच्छ प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराते हैं।
कार्बन व्यापार में एक
साथ कई चीजें शामिल हैं। यथा-प्रदूषण पर नियंत्रण कर स्थायी विकास की दिशा में
बढ़ने की जद्दोजहद, विकसित देशों की चालाकी और विकासशील तथा पिछड़े
देशों की विवशता। विकसित देशों की चालाकी इस अर्थ में कि कार्बन व्यापार को
अपनाकर वे उत्सर्जन संबंधी अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं अर्थात धन के बल
पर वे अपने विकास की गति पर किसी भी अंकुश से मुक्त हो जाते हैं। दूसरी ओर विकासशील/पिछड़े
देश धन की जरूरत के चलते अपने विकास से समझौता करने को विवश हो जाते है।
लाभ/महत्व
कार्बन व्यापार से
हरित गृह गैसों के उत्सर्जन/नियंत्रण की दिशा में प्रभावी सफलता मिलेगी,
जिससे वैश्विक तापन और जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाया जा सकेगा। इससे गरीब व
विकासशील देशों को धन तथा स्वच्छ प्रौद्योगिकी मिलेगी,
जिससे वे स्थायी विकास की ओर बढ़ सकेंगे। विकसित देश वनरोपण आदि के लिए धन प्रदान
कर सकते हैं क्योंकि पेड़-पौधे हरित गृह गैसों को सोख लेते हैं। भारत,
चीन जैसे देशों में वनरोपण की असीम संभावनाएं हैं। इससे स्वच्छ जंगल का विकास,
जंगली जनवरों को प्राकृतिक आवास तथा भोजन, वनोत्पाद तथा ईंधन की प्राप्ति होगी। कार्बन
व्यापार में व्यापक संभावनाएं है तथा यह तेजी से विकसित होने वाला क्षेत्र है।
अनुमान है कि 2012 तक इससे प्राय: 150 अरब डॉलर कमाए जा सकेंगे।
भारत की स्थिति
कार्बन व्यापार भारत
में भी प्रचलित हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम के अनुसार भारतके 12
फर्मों को कार्बन व्यापार की अनुमति दी गयी है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के
अनुसार वैश्विक कार्बन व्यापार में भारत का हिस्सा 10 प्रतिशत तक संभावित है,
जिससे प्रतिवर्ष 100 मिलिचन डॉलर की प्राप्ति होगी। इसी तरह वनरोपण के मामले में
भारत खाली पड़े 15 लाख हेक्टेयर भूमि पर वन लगाकर काफी कमाई कर सकता है।
कार्बन व्यापार से
हानि/आशंका
कार्बन व्यापार विकसित
देशों को उत्सर्जन पर रोक लगाने के संबंध मे जिम्मेदारी से मुक्ति प्रदान कर
सकता है। विकासशील देश विकसित देशों के चंगुल मे फंस सकते हैं। डॉलर का लालच उनकी
विकास गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है। अंतरा-परिवर्तन अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध
के तहत विकाशील देश अपनी भूमि पर स्थित उन वनों को हाथ नहीं लगा पाएंगे,
जिन्हें विकसित देशों ने खरीदा हो।
स्पष्ट है कि कार्बन
व्यापार पर सतर्कतापूर्वक आगे बढ़ने की आवश्यकता है अन्यथा,
विकसित और विकासशील देशों के बीच की खाई निरंतर बनी ही रहेगी।
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