भारत में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स का अनुसंधान एवं विकास पर निबंध

भारत में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स का अनुसंधान एवं विकास पर निबंध : सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की नैनो प्रौद्योगिकी पहल कार्यक्रम की शुरुआत 2004 में हुई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य सांस्‍थानिक क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास, आधारभूत सुविधाओं का विकास और नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में अनुसंधान और विकास पर जोर देना है। इस कार्यक्रम से उम्‍मीद की जाती है कि आने वाले समय में देश में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स क्षेत्र के विकास के लिए एक बेहतर माहौल बनेगा। नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स विकास कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए नैनो मेट्रोलाजी भी जरूरी है। सूक्ष्‍म से सूक्ष्‍म नैनो विनिर्माण में बढ़ते लघु रूपांतरण के सामान्‍य चलन ने न सिर्फ मापने की समस्‍या आई बल्कि इसमें नई भौतिकी से भी सामना हुआ।


भारत में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स का अनुसंधान एवं विकास पर निबंध

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सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की नैनो प्रौद्योगिकी पहल कार्यक्रम की शुरुआत 2004 में हुई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य सांस्‍थानिक क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास, आधारभूत सुविधाओं का विकास और नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में अनुसंधान और विकास पर जोर देना है। इस कार्यक्रम से उम्‍मीद की जाती है कि आने वाले समय में देश में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स क्षेत्र के विकास के लिए एक बेहतर माहौल बनेगा।

नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में उत्‍कृष्‍टता के केन्‍द्र : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान, मुम्‍बई और भारतीय विज्ञान संस्‍थान, बैगलूरू में दो नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स केन्‍द्र की स्‍थापना के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत से नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स की पहले चरण में वर्ष 2006 में एक संयुक्‍त परियोजना शुरू की गई। यह परियोजना अपनी तरह की पहली ऐसी परियोजना है जिसमें देश के दो शीर्ष संस्‍थान आपस में सहमति-पत्र पर हस्‍ताक्षर कर एक साथ आए ताकि इतनी बड़ी अनुसंधान और विकास परियोजना को पूरा किया जा सके। इन केन्‍द्रों की स्‍थापना का उद्देश्‍य:
  1. मटीरियल्‍स यंत्र और सेंसर सहित नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स के क्षेत्र में नैनो विकास और उनकी माडलिंग में अनुसंधान और विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देना।
  2. दूसरी एजेंसियों, संस्‍थानों, नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स के क्षेत्र में काम कर रही प्रयोगशालाओं एवं उद्योग और अनुसंधानकर्ताओं के लिए जरूरी सुविधाओं का निर्माण।
  3. नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में अनुसंधान, इं‍जीनियरिंग और निर्माण के लिए योग्‍य प्रशिक्षित मानव संसाधनों का सृजन।
  4. यह दिखाना कि निर्मित नैनो फैब सुविधाओं और सृजित मानव संसाधनों का इस्‍तेमाल नैनो संरचित मटीरियल्‍स एवं सिस्‍टम्‍स की मदद से सामाजिक रूप से उपयुक्‍त सिस्‍टम का विकास करने में किया जा सकता है।
  5. आईआईटी मुम्‍बई उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र में 100 नैनो मीटर सीएमओएस प्रक्रिया की स्‍थापना एवं विकास, स्‍वास्‍थ्‍य सेवा और पर्यावरण पर निगरानी के लिए नैनो सिस्‍टम का विकास, आर्गेनिक एवं बायोपोलिमर यंत्रों का विकास, जीएएन यंत्रों का विकास।
  6. आईआईएससी बैंगलूरू के उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्रमें एलसी रेजोनेटर के लिए मैगनेटिक मटीरियल्‍स, अकास्टिक सेंसर, फेरोटिक आरएएम के लिए फेरोइलेक्‍ट्रिक्‍स, एमओएस गेट डाइइलेक्‍ट्रिक्‍स के लिए दुर्लभ धातु आक्‍साइड का विकास।

नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में उत्‍कृष्‍टता के केन्‍द्र – पहला चरण
पहला चरण दो संस्‍थानों में अंर्राष्‍ट्रीय स्‍तर की महत्‍वपूर्ण नैनो फैब सुविधाएं स्‍थापित करने और नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स के क्षेत्र में महत्‍वाकांक्षी अनुसंधान पहलों के लिए उत्‍प्रेरक उपलब्‍ध कराने के साथ काफी सफल रहा। पांच साल की छोटी अवधि में ही नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में सर्वोत्तम सुविधाएं स्‍थापित की गईं और इंडियन नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स यूजर्स कार्यक्रम के तहत बड़ी संख्‍या में इन दो संस्‍थानों के प्राध्‍यापकों और छात्रों सहित अन्‍य संस्‍थानों के अनुसंधानकर्ताओं ने भी इन सुविधाओं का इस्‍तेमाल किया। इस परियोजना में तुलनात्‍मक रूप से काफी कम समय के ही दौरान महत्‍वपूर्ण अनुसंधान नतीजे और श्रमशक्‍ति को प्रशिक्षित किया गया। नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स के केन्‍द्रों ने इन संस्‍थानों की तरफ अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लोगों का ध्‍यान खींचा एवं प्राध्‍यापकों को आकर्षित किया और इस तरह ये नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में उत्‍क्रष्‍टता के केन्‍द्र के रूप में उभरे। इस परियोजना से यह विश्‍वास बढ़ा कि शैक्षणिक संस्‍थाना बड़ी अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को प्रभावी तरीके से पूरी कर सकते हैं और इस तरह बड़ी अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को दूसरे सरकारी विभागों एवं शैक्षिण संस्‍थानों में शैक्षिण संस्‍थानों में संगठनों द्वारा राशि उपलब्‍ध कराने के लिए एक आदर्श परियोजना बन गई है।
नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र : दूसरा चरण
पहले चरण की परियोजना से जुड़े अनुभव और उसकी सफलता के आधार पर 146.91 करोड़ रुपये की लागत वाली दूसरे चरण की परियोजना को 5 साल की अवधि में आईआईटी-बम्‍बई और आईआईएससी-बैंगलूरू द्वारा क्रियान्‍वित करने के लिए शुरू की गई। पहले चरण की परियोजना में जहां नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स अनुसंधान में आधारभूत सुविधाओं के निर्माण पर जोर दिया गया वहीं दूसरे चरण की परियोजना में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स के सीमांत क्षेत्र में अनुसंधान, तकनीकी सृजन, व्‍यावसायीकरण के लिए उद्योगों के साथ पारस्‍परिक संबंध बनाना और उच्‍च गुणवत्‍ता के अनुसंधान एवं विकास में श्रमशक्‍ति के सृजन पर जोर है।

आईआईटी-दिल्‍ली, आईआईटी मद्रास, चेन्‍नई और आईआईटी-खड़गपुर में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स केन्‍द्र
आईआईटी-बम्‍बई और आईआईएससी- बैंगलूरू में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स केन्‍द्रों की सफलता से प्रेरित होकर सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने आईआईटी,दिल्‍ली, आईआईटी-मद्रास (चेन्‍नई) और आईआईटी-खड़गपुर में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स के विभिन्‍न पहलुओं पर 3 नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स केन्‍द्र स्‍थापित करने का काम शुरू किया है।

अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं : नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स केन्‍द्रों की स्‍थापना के अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान दिल्‍ली, चेन्‍नई, मुम्‍बई, कानपुर, खड़गपूर और रुड़की, आईआईएससी बैंगलूरू, सीएमईटी पूणे, सीईईआरआई पिलानी, सीएसआईओ चंडीगढ़, जाधवपुर विश्‍वविद्यालय, कोलकाता, जामिया मिलिया इस्‍लामिया दिल्‍ली, विश्‍वेश्‍वरैया प्रौद्योगिकी संस्‍थान, नागपुर सहित देशभर के कई संस्‍थानों में नैनो मटीरियल्‍स, नैनो यंत्र, नैनो सबसिस्‍टम और नैनो सिस्‍टम के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए क्ष्‍ामता निर्माण पर कई छोटी और समझौता परियोजनाएं शुरू की गई हैं। अनुसंधान एवं विकास के महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में नैनो सिल्‍वर आक्‍साइड, नोबल एवं ट्रजीशन मेडल्‍स के नैनो पार्टिकल्‍स, मेटल/मेटल आक्‍साइड/मेटल नाइट्राइड्स के छोटे कण, नैनो क्रिस्‍टलाइन सिलिकन एमईएमएस प्रेशर सेंसर, क्‍वांटम संरचना के लिए तकनीकी, आर्गेनिक पतली किलम ट्राजिस्‍टर्स, क्‍वांटम इफ्रोरेड फोटो डिटेक्‍टर्स, लक्षित औषधि प्रसव के लिए कार्बन नैनो ट्डूब्‍स, गैस सेंसिंग के लिए टिन आक्‍साइड पाउडर एवं टिन आक्‍साइड पतली फिल्‍में, फील्‍ड एमीशन यंत्र के लिए सीएनटीज, नैनो स्‍केल मास्‍फेट्स की बनावट, एसआईसी आधारित क्‍वांटम संरचना, क्‍वांटम सेमीकंडक्‍टर-ग्‍लास-नैनो कंपोजिट्स एवं क्‍वांटम इंफार्मेटिक्‍स के लिए ऑक्‍साइड आधारित कार्यशील पतली फिल्‍म नैनो सरंचना, एलईडी के लिए जीएएन एवं आईजीएएन आधारित क्‍वांटम डाट्स, उच्‍च घनत्‍वमें संग्रहण यंत्र के लिए नैनो सिल्‍वर ऑक्‍साइड डोप्‍ट सोने एवं ताम्र का मिश्रण, 3/5 कम्‍पाउण्‍ड सेमीकंडक्‍टर आधारित क्‍वांटम डाट्स तननीकी, वाइड बैंड गैप सेमीकंडक्‍टर नैनो संरचित मटीरियल्‍स एवं यंत्र, सेमीकंडक्‍टिंग सिंगल वाल कार्बन नैनो ट्डूब्‍स (एसडब्‍ल्‍यूसीएनटी) और कैंसर के इलाज में सीएनटी आधारित गैस सेंसर और बहु-क्रियाशील चुंबकीय नैनो पार्टिकुलेट्स शामिल हैं।

नैनो मेट्रोलाजी : नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स विकास कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए नैनो मेट्रोलाजी भी जरूरी है। सूक्ष्‍म से सूक्ष्‍म नैनो विनिर्माण में बढ़ते लघु रूपांतरण के सामान्‍य चलन ने न सिर्फ मापने की समस्‍या आई बल्कि इसमें नई भौतिकी से भी सामना हुआ।
नैनो माप पद्धति की समस्‍या के समाधान के लिए नेशनल फिजिकॉम लेबोरेट्री, नई दिल्‍ली ने एक राष्‍ट्रीय नैनो माप पद्धति प्रयोगशाला स्‍थापित करने की परियोजना पूरी की। इस प्रयोगशाला में पंक्‍तियों की चौड़ाई, चरणों की ऊंचाई, सतह की बुनावट जैसे भौतिक आयामों के अंशशोधन एवं पहचान और नैनो वोल्‍टस में लो-वोल्‍टेज, पीको एंपियर्स में कम बिजली, फोटोकुलंबस में इलेक्‍ट्रिक चालें जैसे इलेक्‍ट्राकल्‍स मानकों को आंशशोधन की सुविधा मिलती है। इसकी स्‍थापना से उम्‍मीद की जाती है कि आटोमोटिव बायोमेडिकल्‍स और सेमीकंडक्‍टर प्रयोग सहित विभिन्‍न औद्योगिक अनुप्रयोगों में नैनो स्‍केल मापन में आसानी होगी।

भारतीय नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स यूजर कार्यक्रम : भारतीय नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स यूजर कार्यक्रम की कल्‍पना और इसकी शुरूआत सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने की है ताकि आईआईएससी बैंगलूरू और आईआईटी बम्‍बई में स्‍थापित नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्रों में उपलब्‍ध सुविधाओं के इस्‍तमेल एवं वहां शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़े लोगों, अनुसंधान एवं विकास और उद्योग की भागीदारी के जरिए भारत में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में विशेषज्ञता और ज्ञान को आगे बढ़ाने में मदद मिल सके। इस कार्यक्रम के लक्ष्‍य निम्‍नलिखित हैं:
देश में अन्‍य संस्‍थानोंके अनुसंधानकर्ताओं को नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में व्‍यावहारिक प्रशिक्षण मुहैया कराना। शैक्षणिक संस्‍थानों से जुड़े लोगों, अनुसंधानकर्ताओं और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास संस्‍थानों को इस परियोजना के जरिए 3 स्‍तरों पर प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • अनुसंधान गतिविधियों के नतीजों में प्रचार के लिए छोटी अवधि की कार्यशालाएं आयोजित करना। ऐसी कार्यशालाओं से जागरूकता भी फैलेगी।
  • चुनिंदा अनुसंधनकर्ताओं को व्‍यावहारिक प्रशिक्षण।
  • संरचना के लिए मदद और विशेषज्ञों को देखरेख उपलब्‍ध कराकर सहयोगपूर्ण अनुसंधान परियोजनाओं का क्रियान्‍वयन।
  • देश के विभिन्‍न संस्‍थानों में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में अनुसंधान की शुरूआत करने मे मदद करना।
  • विभिन्‍न भारतीय संगठनों में अनुसंधान दलों को सहयोग देना और नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में संयुक्‍त परियोजनाएं विकसित करना।
  • नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में अनुसंधानकर्ताओं को एक साथ आने का मंच उपलब्‍ध कराना।
  • विभिन्‍न स्‍तरों पर 750 से अधिक छोत्रों, व्‍यावसायिक वैज्ञानिकों और इंजीनियारों को तैयार करना और नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में लगभग 40 अनुसंधान परियोजनाएं शुरू करना।

भारतीय नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स यूजर कार्यक्रम का शैक्षणिक संस्‍थाओं, अनुसंधान एवं विकास संगठनों और उद्योग से जुड़े अनुसंधानकर्ताओं और इंजीनियारों द्वारा बेहतर इस्‍तेमाल किया गया। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 100 से अधिक बाहरी संगठनों द्वारा देशभर में 110 से अधिक अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं पूरी की गयीं। इसके तहत देशभर में 1150 अनुसंधानकर्ताओं और छात्रों को प्रशिक्षित किया गया।

पेटेंट, प्रकाशन : भारतीय नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स यूजर कार्यक्रम के तहत शुरू की गयी परियोजनाओं में 20 से अधिक पेटेंट दर्ज किए गए और 500 से अधिक लेख प्रकाशित हुए।

औद्योगिक भागीदारी और व्‍यावसायीकरण : नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में अनुसंधान एवं विकास के लिए सुविधाएं स्‍थापित कर लेनेके बाद कार्यक्रम का जोर अब तकनीकी हस्‍तांतरण, उत्‍पाद विकास और व्‍यावसायीकरण में तेजी लाने पर है। नैनोस्निफ नाम की कंपनी ने आईईटी बम्‍बई में उत्‍पाद विकास के लिए पहल की है। नई कंपनियों की सुविधा और तकनीक के व्‍यावसायीकरण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग अन्‍य संगठनों के सहयोग से एक तंत्र विकसित करने की प्रक्रिया में है।

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भारत में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स का अनुसंधान एवं विकास पर निबंध
भारत में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स का अनुसंधान एवं विकास पर निबंध : सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की नैनो प्रौद्योगिकी पहल कार्यक्रम की शुरुआत 2004 में हुई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य सांस्‍थानिक क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास, आधारभूत सुविधाओं का विकास और नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स में अनुसंधान और विकास पर जोर देना है। इस कार्यक्रम से उम्‍मीद की जाती है कि आने वाले समय में देश में नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स क्षेत्र के विकास के लिए एक बेहतर माहौल बनेगा। नैनो इलेक्‍ट्रानिक्‍स विकास कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए नैनो मेट्रोलाजी भी जरूरी है। सूक्ष्‍म से सूक्ष्‍म नैनो विनिर्माण में बढ़ते लघु रूपांतरण के सामान्‍य चलन ने न सिर्फ मापने की समस्‍या आई बल्कि इसमें नई भौतिकी से भी सामना हुआ।
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