सड़क की आत्मकथा हिंदी निबंध, "Sadak ki Atmakatha Essay in Hindi", "मैं सड़क बोल रही हूं निबंध लेखन" मैं सड़क हूं, आप सभी मुझसे भलीभांति परिचित होंगे।
सड़क की आत्मकथा हिंदी निबंध, "Sadak ki Atmakatha Essay in Hindi", "मैं सड़क बोल रही हूं निबंध लेखन"
सड़क की आत्मकथा हिंदी निबंध
मैं सड़क हूं, आप सभी मुझसे भलीभांति परिचित होंगे। पर क्या आप मेरी जन्म की कहानी जानते हैं? चलिए आज मैं आपको अपनी (सड़क की) आत्मकथा सुनाऊँगी। मेरा निर्माण तारकोल और कंक्रीट से किया जाता है। वास्तव में मैं भूमि में बना हुआ एक मार्ग हूँ। मुझ पर गाड़ियां जैसे कार, ट्रक और मोटरसाइकिल आदि वाहन चलते हैं। पैदल चल रहे व्यक्तियों की सुविधा के लिए अक्सर मेरे यानि सड़कों के साथ-साथ फ़ुटपाथ भी बनाए जाते हैं।
मैं हमेशा अपने कार्य में व्यस्त रहती हूँ। अगर मैं (सड़क) न होऊं तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ठप्प हो जाएगी।लोगों के लिए यात्रा करना मुश्किल हो जायेगा। किसी भी सामान को एक स्थान से दुसरे स्थान न पहुँचाया जा सकेगा। मैं खुद नहीं चलती लेकिन मैं हर जगह जाती हूँ। मेरा आकर बहुत विशाल है। आपका सोचते होंगे की सड़कें अपना जीवन अकेले बिताती होंगी लेकिन ऐसा नहीं है। मुझे दूसरी सडकों से चौराहे या तिराहे पर मिलना बहुत पसंद है।
कभी-कभी सड़कों को भी चोट लगती है। समय के साथ सड़कें भी टूट जाती हैं। ऐसी सडकों को इंजीनियर और श्रमिकों की मदद से दोबारा बनाया जाता है। मेरी भी दो बार मरम्मत की जा चुकी है। भगवान् की मेहरबानी से अब मैं बिल्कुल भली चंगी हूँ।
मै हमेशा सभी के काम आती हूँ। परन्तु फिर भी कुछ लोग मुझ पर थूकते हैं। वे चलती गाडी से कूड़ा-कचरा सडक पर फेंकते हैं। कुछ लोग तो मुझ पर कांच और प्लास्टिक की बोतलें भी फेंक देते हैं जिससे कइयों की दुर्घटना से जान चली जाती है। मेरा ऐसे लोगों से यही निवेदन है कि कृपया ऐसे कार्य न करें जिसकी कीमत दूसरों को जान देकर चुकानी पड़े।
अंत में, मैं बस यही कहना चाहती हूं कि मैं सच में बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मैं आजीवन दूसरों के काम आती हूँ। मैं गाँवों, नगरों, और देशों को परस्पर जोड़कर उनमें भाईचारे का भाव पैदा करती हूँ। मेरा एक ही लक्ष्य है लोगो को उनकी मंजिल तक पहुंचना|
मैं सड़क बोल रही हूं निबंध लेखन
मैं सड़क बोल रही हूं , मेरा काम सभी लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचाना है। मेरा यानि सड़क का जन्म एक पगडण्डी के रूप में हुआ था। फिर मै एक कच्ची सड़क बनीं और अब मैं एक पक्की सड़क के रूप में विकसित हो चुकी हूँ। पहले मेरे ऊपर सिर्फ पैदल यात्री गुजरते थे लेकिन अब मोटरसाइकिल, कार, ट्रक और बस आदि नहीं मेरे ऊपर तेजी से दौड़ते हैं।
मुझमे भी जीवित प्राणियों की तरह जान है। जब कोई वाहन मुझ पर से गुजरता है तो मुझे भी एहसास होता है ऐसा लगता है मानो मैं किसी के भी चलने के या दौड़ने को महसूस कर सकती हूं। कभी कभी जब लोग मुझ पर चलते हैं तो काफी खुशी का अनुभव करते हैं मैं उनके चलने के अंदाज से उन्हें पहचान लेती हूं। कभी कोई छोटा बच्चा मुझ पर चलता है तो वह जिस तरह से अपने नन्हें नन्हें पैर रखता है मैं उससे समझ जाती हूं कि एक प्यारा सा नन्ना बच्चा है।
मैं प्रत्येक व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुंचाती हूं। दुनिया में ऐसा को शहर न होगा जहाँ मैं जाती न होऊं। मैंने दुनिया एक सभी स्थानों को एक-दूसरे के करीब ला दिया है। पहले ग्रामीण इलाके में पक्की सड़क कम ही देखने को मिलती थी लेकिन आज गांव से लेकर शहरों तक पक्की सड़क देखने को मिलती है। मुझे देखकर कई लोग तारीफ करते नहीं थकते लेकिन कभी-कभी मेरी स्थिति खराब भी हो जाती है। मुझमें गद्दे से दिखने लगते हैं जिस वजह से लोग मेरी बुराई करते हैं।
यदि मुझे अच्छे से बनाया जाये और समय-समय पर मरम्मत की जाए तो लोग मुझपर यात्रा करके आनंद का अनुभव करते हैं। सुविधा पूर्वक अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं। कई लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों से मिलने के लिए मुझ पर से होकर गुजरते हैं। इंसान तो मेरे ऊपर से चलते ही हैं साथ में कई गाय, भैंस, बकरी जैसे जानवर भी मेरे ऊपर से चलते हैं वास्तव में वह काफी खुशी का अनुभव करते हैं। कभी-कभी यह जानवर मेरे ऊपर कई घंटों तक बैठे रहते हैं जिस वजह से यात्रियों को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
Sadak ki Atmakatha Essay in Hindi
नमस्ते मित्रों मैं सड़क बोल रही हूं। मैं हमेशा से ऐसी नहीं थी जैसी आज जैसी में दिख रही हूं। मेरी जन्म की कहानी यानी कि मेरी आत्मकथा बहुत ही रोचक है। क्या आप सड़क की आत्मकथा सुनोगे ? आपको मेरी आत्मकथा सुनने में बहुत ही आनंद आएगा।
बहुत सालों पहले जब मैं एक पतली सी लंबी संकरी पगडंडी हुआ करती थी। मुझ पर से सिर्फ पैदल लोग ही गुजरा करते थे। इसलिए मैं बहुत दुखी थीं। एक दिन गांव के कुछ युवा लोगों ने योजना बनायीं की इस पगडंडी को अब हमें चौड़ा करना चाहिए। फिर गांव के बहुत से लोग मेरा रूप बदलने के काम में जुट गए। कुछ ही दिनों में मैं एक संकरी पगडंडी से चौड़ी सड़क बन गई।
अब तो मैं बहुत ही खुश हो गई थी क्योंकि अब मुझ पर से बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी दौड़ने लगी थी। सुबह शाम लोग मुझ पर से आने-जाने लगे। कुछ दिनों बाद गांव के एक प्रमुख व्यक्ति ने जिला कार्यालय के अधिकारियों से मुलाकात कर मुझ पर अच्छे से कंकड़ डलवाए और इसके कारण मुझ में थोडी मजबूती आई।
इस वर्ष चुनाव होने वाले थे। मेरा इस्तेमाल करने वाले कुछ लोगों ने मेरी दुरावस्था की ओर नेता महोदय का ध्यान आकर्षित कर दिया। नेता जी ने भी लोगों को मेरे अच्छे निर्माण का आश्वासन दिया। कुछ ही दिनों में मैं कच्ची सड़क से पक्की सड़क बन गई। अब तो मेरा रुप पूर्ण स्वरूप से बदल गया है। इस विभाग में लोगों का आना जाना बहुत बढ़ गया है। बड़े बड़े वाहन मुझ पर से गति से दौड़ते हैं। मेरे दोनों तरफ बहुत से पक्के मकान और कहीं दुकाने बन गई है।
दुकानों और घरों के कारण मेरे ऊपर चलने वाले लोगों की भीड़ भी बहुत बढ़ गई है। कुछ निसर्ग प्रेमियों ने मेरे दोनों किनारों पर सुंदर पेड़ लगाकर हरियाली भी कर दी है। हरियाली के कारण मेरी धूप से भी रक्षा होती है। पेड़ों पर लगने वाले फूल और फूलों के कारण मेरी सुंदरता और भी बढ़ गई है। फूलों की सुगंध से मैं बहुत ही खुश हो जाती हूं।
मेरे कारण दूसरे गांव में जाने के लिए अब लोगों को तकलीफ नहीं होती। उनका समय भी बच जाता है। मुझे एक बात देख कर बहुत अच्छा लगता है कि ,मैं तो अपने जगह पर ही हूं लेकिन मेरे कारण लोग जिंदगी में बहुत आगे बढ़ रहे हैं।
मेरे दोनों किनारों पर सुंदर जगमगाती लाइट्स लगीं है। इस कारण रात्रि में भी लोग निडर होकर यात्रा कर सकते हैं। यहां आगे नजदीकी ही एक रेलवे स्टेशन है। पहले रात्रि में जब कोई मुसाफिर आते थे तब उन्हें स्टेशन पर ही रात बितानी पड़ती थी। लेकिन अब मेरे अच्छे निर्माण के कारण वह रात्रि में भी अपने घर बड़े आसानी से रिक्शा से पहुंच जाते हैं। मेरे किनारे पर ही एक पुलिस चौकी भी बनाई गई है इसके कारण महिलाएं भी सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुंच जाती है।
एक सड़क की हैसियत से आप सभी को बस यही आशीर्वाद देती हूं कि जिंदगी आप बहुत आगे बढ़ो। दूसरों की भलाई करो और दूसरे को अधिकाधिक सुख देने का प्रयास करो। तब तुम जिंदगी में खुद भी बहुत ही प्रगति कर सकोगे।
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