Hindi Essay on Corruption, "भ्रष्टाचार पर निबंध" for Class 8, 9, 10 and 12. भ्रष्टाचार पर निबंध : भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट+आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या अ
Hindi Essay on Corruption, "भ्रष्टाचार पर निबंध" for Class 8, 9, 10 and 12
भ्रष्टाचार पर निबंध / Hindi Essay on Corruption
भ्रष्टाचार पर निबंध 500 शब्दों में
अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचार यानि जब एक व्यक्ति भ्रष्ट आचरण करता है तो इसे भ्रष्टाचार कहते हैं। भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।
आदिकाल से ही भ्रष्टाचार दुनियाभर में किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है। परन्तु आधुनिक भ्रष्टाचार की शुरुआत हमारे भ्रष्ट नेताओं से हुई जिन्होंने अपने फायदे के लिए देश को खोखला कर दिया है। ईमानदारी से अपना काम करने वाले लोग आधुनिक समाज में मूर्ख और हँसी का पात्र माने जाते हैं। भारत में भ्रष्टाचार को नौकरशाहों, राजनेताओं और अपराधियों के बीच संबंधों के रूप में पारिभाषित किया जा सकता है। इसके अलावा, भारत में भ्रष्टाचार कुछ सम्मानजनक बन गया है, क्योंकि इसमें सम्मानित लोग शामिल हैं। सामाजिक भ्रष्टाचार जैसे उत्पादों का कम वजन, खाद्य पदार्थों में मिलावट और विभिन्न प्रकार की रिश्वत समाज में लगातार व्याप्त है। पहले तो गलत काम करने के लिए रिश्वत दी जाती थी, लेकिन अब हालात ये है कि सही काम करवाने के लिए रिश्वत दी जाती है। उदाहरण के लिए पहले अयोग्य व्यक्ति घूस देकर सरकारी नौकरी पाते थे और अब योग्य व्यक्ति एग्जाम पास करके नौकरी पाने के लिए घूस देते है। ऐसा कोई भी सरकारी कार्यालय नहीं है जहाँ भ्रष्टाचार व्याप्त न हो।
प्रत्येक कार्यालय में या तो अधिकारीयों को घूस देनी पड़ती है या फिर काम करवाने के लिए जुगाड़ की व्यवस्था करनी पड़ती है। ये भ्रष्टाचार सरकारी विभाग तक ही नहीं बल्कि प्राइवेट कंपनियों में भी व्यापत है। रोज ऐसी खबरें आती है की किसी बड़े बैंक या कंपनी का मालिक या बड़ा अधिकारी हजारों करोड़ का घोटाला करके भाग गया। ऐसे भ्रष्टाचार के उदाहरणों में सरकार के अधिकारी भी लिप्त होते हैं। व्यापारी लोगों के स्वस्थ्य और जीवन से खुले आम खिलवाड़ करते हैं। शुद्धता के नाम पर मिलावटी खाद्य सामग्री बेचीं जा रही है। नकली सामानों से बाजार भरा पड़ा है। यह सब भ्रष्टाचार के उदाहरण नहीं है तो और क्या है। सामान्य जनता भी भ्रष्टाचार करने में कुछ पीछे नहीं है। चलिए अब कुछ आम नागरिक के भ्रष्टाचार देखते हैं। जनता द्वारा अपनी असली आमदनी छुपाना, इनकम टैक्स बचाने के लिए अधिकारीयों से सांठगांठ करना कुछ आम भ्रष्टाचार के उदाहरण है। किसी अधिकारी को अपना काम बनाने के लिए रिश्वत देना भी भ्रष्टाचार है। जिसमे सभी लोग लिप्त हैं। क्योंकि भ्रष्टाचार का साथ देने वाला भी भ्रष्टाचारी होता है।
भारत में राजनीतिक भ्रष्टाचार की समस्या सबसे अधिक व्यापक है। सरकार भ्रष्ट हो तो देश की प्रगति रुक जाती है। देश की पूंजी का रिसाव हो जाता है। भ्रष्ट अधिकारी और नेता धन को स्विट्जरलैण्ड भेज देते हैं। देश के नेता अमीरों के साथ मिलकर गरीबों का शोषण करने लगते हैं। राजनीतिक भ्रष्टाचार सरकारी नेताओं द्वारा नाजायज निजी लाभ के लिए शक्तियों का उपयोग है। राजनीतिक भ्रष्टाचार के रूप अलग-अलग होते हैं, इसमें रिश्वतखोरी, पैरवी, जबरन वसूली, भाई-भतीजावाद, अपराधियों को संरक्षण, पेडलिंग और गबन शामिल हो सकते हैं।
चिंता की बात यह है कि भ्रष्टाचार राजनीतिक निकाय को ध्वस्त कर रहा है। आजकल राजनीति सिर्फ अपराधियों और माफियाओं का खेल बनकर रह गयी है। अपराधियों का अंतिम लक्ष्य राजनीती में शामिल होकर नेता बनना ही होता है। ऐसा कोई नेता मुश्किल से ही मिलेगा जिस पर कोई पूर्व आपराधिक मुकदमा न दर्ज हो। ऐसे नेता मतदाताओं को डरा-धमकाकर या वोट खरीदकर सत्ता में आ जाते है और देश का बंटाधार करते हैं। यह स्पष्ट दिखता है कि कैसे राजनेता सिर्फ पैसे रुतबे और सत्ता के प्यासे होते हैं। इन्हे आम जनता के कल्याण से कोई मतलब नहीं हैं। कर चोरी भ्रष्टाचार के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक है। ज्यादातर सरकारी अधिकारी और नेता खुद काले धन के संचय में लिप्त हैं। भला आम के पास इतने संसाधन कहाँ की वह स्विस बैंक में खता खोले।
इसलिए भ्रष्टाचार से लड़ने की लिए अब जनता को ही आगे आना पड़ेगा। हमें ऐसे भ्रष्ट अधिकारीयों और नेताओं को नकारना होगा। तभी हम भ्रष्टाचार मुक्त बन सकेंगे।
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