मूर्खों की खोज : अकबर बीरबल की कहानी। Akbar Birbal stories in Hindi: एक दिन अकबर और बीरबल में विवाद हो गया। अकबर ने कहा, “अकलमंद को पहचानना आसान है, मगर मूर्खों को पहचानना कठिन है।” लेकिन बीरबल का कहना था कि मूर्खों को पहचानना आसान है। तब अकबर ने कहा, “अगर यह बात है, तो कल दोपहर के पहले आप आठ मूर्खों को ले आइए। अगर आप ला सके तो मैं उन सबको इनाम दूंगा। लगे हाथ आपको भी इनाम मिल जाएगा।” बीरबल अगले दिन सुबह ही मूर्खों की खोज में निकल पड़े। रास्ते में एक आदमी गधे पर सवार होकर जा रहा था। उसके सिर पर कपड़ों की एक गठरी बंधी थी।
मूर्खों की खोज : अकबर बीरबल की कहानी। Akbar Birbal stories in Hindi
एक दिन अकबर और बीरबल में विवाद हो गया। अकबर ने कहा, “अकलमंद को पहचानना आसान है, मगर मूर्खों को पहचानना कठिन है।” लेकिन बीरबल का कहना था कि मूर्खों को पहचानना आसान है। तब अकबर ने कहा, “अगर यह बात है, तो कल दोपहर के पहले आप आठ मूर्खों को ले आइए। अगर आप ला सके तो मैं उन सबको इनाम दूंगा। लगे हाथ आपको भी इनाम मिल जाएगा।”
बीरबल अगले दिन सुबह ही मूर्खों की खोज में निकल पड़े। रास्ते में एक आदमी गधे पर सवार होकर जा रहा था। उसके सिर पर कपड़ों की एक गठरी बंधी थी। बीरबल ने उससे पूछा, “तुमने इस गठरी का बोझ क्यों उठा रखा है ? गधे पर ही रख दो।” आदमी ने जवाब दिया, “साहब मेरा गधा बूढ़ा हो गया है, अब उसमें पहले जैसी ताकत भी नहीं है। उसका बोझ कम करने के लिए ही गठरी को अपने सिर पर लादकर ले जा रहा हूं।“ हंसते-हंसते बीरबल ने उससे कहा, “दोपहर को दरबार में आओ। राजा तुम्हें इनाम देंगे।”
बीरबल ने यात्रा जारी रखी। थोड़ी ही दूर पर एक किसान और उसका बेटा खेत में कुछ ढूंढ रहे थे। बीरबल ने उससे पूछा, ”आप यहां क्या ढूंढ रहे हो ?“ किसान ने कहा, “अपनी बचत के पैसे हमने इसी खेत में कहीं गाड़कर रखे थे। वही ढूंढ रहे हैं।” बीरबल ने उससे पूछा, “क्या उस जगह पर कोई निशानी नहीं रखी थी ?“ बेटे ने कहा, “हां रखी तो थी। उस दिन वहां पर एक मोर नाच रहा था। उसी के पास छिपाए थे।” बीरबल ने हंसते हुए उन्हें भी दरबार में आने को कहा।
फिर बीरबल थोड़ी और दूर गए। रास्ते में दो लोग लड़ रहे थे। बीरबल ने उन्हें अलग किया और पूछा, “मामला क्या है ?“ उनमें से एक ने कहा, “यह अपने बाघ से मेरे बैल को मरवाना चाहता है।” दूसरे ने कहा, “जरूर मार डालूँगा।” बीरबल ने इधर-उधर देखते हुए पूछा, “कहां है तुम्हारे बाघ और बैल ?“ पहले आदमी ने कहा, “हम भगवान से एक-एक वरदान मांगने वाले हैं। जब मैंने कहा कि मैं एक बैल मांगूंगा तो यह कहने लगा कि मैं एक बाघ मांगूंगा। अगर उसे बाघ मिल गया तो क्या वह मेरे बैल को मार नहीं डालेगा ?“ बीरबल ने उन दोनों को भी दरबार में बुलाया।
आगे चलकर बीरबल ने एक आदमी को कीचड़ में गिरा हुआ देखा। वह अपने हाथों को ऊपर की ओर फैला कर उठने की कोशिश कर रहा था। उसे उठाने के लिए बीरबल ने हाथ दिया। उस आदमी ने बीरबल से कहा पर भाई “मेरे हाथ को मत छूना। मैं जो अलमारी बनाने जा रहा हूं यह उसका नाप है। अगर आप मेरे हाथ पकड़ लेंगे तो मैं सही नाप को भूल जाऊंगा।“ बीरबल ने उसे भी दरबार में आने को कहा।
बीरबल ने जिन छह लोगों से मुलाकात की वह सब दोपहर तक दरबार में पहुंच गए। सारी बातें विस्तार से राजा को बताई गई। दरबारियों ने मूर्खों की बातों का मजा लेकर खूब कहकहे लगाए। आए हुए छह लोगों को कुछ भी समझ में नहीं आया। अकबर से इनाम पाकर वह खुशी-खुशी वापस चले गए।
अकबर ने बीरबल को देखकर यह कहा, “आपको इनाम नहीं मिलेगा। क्योंकि आप आठ नहीं, सिर्फ छह मूर्खों को ही लाए हैं।“ इस पर बीरबल ने कहा, “दिनभर मूर्खों की खोज में भटका इसलिए मैं सातवां मूर्ख हूं और आठवां मूर्ख......“ यह कहकर बीरबल रुक गए। अकबर को समझ में आ गया। हंसते हुए बोले, “ इस काम पर आप को भेजने वाला आठवां मूर्ख मैं ही हूँ न ?“ पूरा दरबार हंसी से गूंज उठा।
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