सोने का नेवला - Hindi Story : बात उस समय की है जब पांडव विजय उत्सव धूमधाम से मना रहे थे। धर्मराज ने सभी राजाओं को बुलाया था। इस अवसर पर वह अपनी प्रजा को अन्न दान दे रहे थे। अचानक एक नेवला वहां आया और जमीन पर लोटने लगा। वह इंसान की आवाज में जोर-जोर से हंसने लगा। सभी उसे आश्चर्य से देखने लगे। उसके शरीर का आधा हिस्सा सोने जैसा चमक रहा था। नेवला धर्मराज से बोला, :राजा यह उत्सव बहुत अद्भुत है, तुम अपनी धन-संपत्ति बड़ी ही उदारता से बांट रहे हो। फिर भी यह दान उस दान के बराबर नहीं जो मुझे एक गरीब ने दिया। धर्मराज ने पूछा क्यों ? यहां तुम्हें क्या कमी नजर आई ? पहले मेरा आधा शरीर सुनहरे होने की कहानी सुनिए कहकर नेवले ने अपनी कहानी सुनाना आरंभ किया।
सोने का नेवला - Hindi Story
बात उस समय की है जब पांडव विजय उत्सव धूमधाम से मना रहे थे। धर्मराज ने सभी राजाओं को बुलाया था। इस अवसर पर वह अपनी प्रजा को अन्न दान दे रहे थे। अचानक एक नेवला वहां आया और जमीन पर लोटने लगा। वह इंसान की आवाज में जोर-जोर से हंसने लगा। सभी उसे आश्चर्य से देखने लगे।
उसके शरीर का आधा हिस्सा सोने जैसा चमक रहा था। नेवला धर्मराज से बोला, :राजा यह उत्सव बहुत अद्भुत है, तुम अपनी धन-संपत्ति बड़ी ही उदारता से बांट रहे हो। फिर भी यह दान उस दान के बराबर नहीं जो मुझे एक गरीब ने दिया। धर्मराज ने पूछा क्यों ? यहां तुम्हें क्या कमी नजर आई ? पहले मेरा आधा शरीर सुनहरे होने की कहानी सुनिए कहकर नेवले ने अपनी कहानी सुनाना आरंभ किया।
एक गांव में एक गरीब आदमी था। वह रोज खेत में काम करके थोड़ा बहुत अनाज घर लाता था। उसे अपने परिवार वालों के साथ बैठ कर अपना पेट पालता। एक बार गांव में अकाल पड़ा, खाने के लिए कुछ नहीं मिला। तीन दिन तक भूखे रहने के बाद उस गरीब आदमी को कुछ अनाज के दाने मिले। उन्हें पीसकर उसने अपनी पत्नी बेटे और बहू के साथ बांट लिया। अचानक एक वृद्ध यात्री वहां आ पहुंचा।
उसने कहा मैं बहुत भूखा हूं। कृपया मुझे खाने के लिए कुछ दीजिए। उस गरीब आदमी ने अपने हिस्से का खाना उसे दे दिया। मगर वृद्ध फिर भी भूखा था उसने और भोजन मांगा। गरीब आदमी की पत्नी ने तुरंत अपना हिस्सा दे दिया लेकिन वृद्ध की भूख नहीं मिटी। यह देखकर गरीब आदमी के बेटे ने भी अपने हिस्से का भोजन उसे दे दिया। उसने उसे भी खा लिया फिर और भोजन मांगा। अंत में गरीब आदमी की बहू ने भी अपना हिस्सा उसे दे दिया तब जाकर वृद्धि की भूख मिटी।
उसने कहा आप सबने भूखे होते हुए भी अपने हिस्से का भोजन मुझे दिया। राजाओं द्वारा कराए गए यज्ञ और दान भी इसकी बराबरी नहीं कर सकते। उसने सभी को आशीर्वाद दिया और गायब हो गया। मैं यह सब छुप कर देख रहा था। जैसे ही मैं धीरे से बाहर आया, वहां जमीन पर बिखरा हुआ थोड़ा सा आटा मेरे शरीर के आधे हिस्से से चिपक गया। वह हिस्सा सुनहरे रंग में बदल गया। मेरे शरीर का एक हिस्सा वैसे का वैसा ही रह गया।
उस दिन से मैं जगह-जगह की यात्रा कर रहा हूं। लोट लोट कर दिखाता हूं कि मेरे शरीर का बाकी हिस्सा सोने का बनता है कि नहीं। अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ। आज आप के उत्सव में आया हूं। यहां पर भी लोट लोट कर देख लिया, लेकिन बाकी भाग सोने का नहीं बना इसलिए मैं कहता हूं कि यह भले ही एक शानदार उत्सव हो लेकिन उस गरीब आदमी के दान के बराबर नहीं। यह कहकर नेवला गायब हो गया। सभी लोग दंग रह गए।
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