विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध। Annual day function essay in hindi : विद्यालय का वार्षिकोत्सव मेरा सर्वप्रिय उत्सव रहा है। मैँ बहुत दिनों पहले से ही इस उत्सव पर अपने कार्यक्रम को प्रस्तुत करने की तैयारी मेँ जुट जाता हूँ। यह उत्सव प्राय: जनवरी माह मेँ मनाया जाता है। सास्कृतिक कार्यक्रमों में प्रत्येक विद्यार्थी को अपने अन्दर छिपे कलाकार को प्रकट करने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही वार्षिकोत्सव मे विद्यालय की भावी प्रगति की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती है। इस वर्ष 4-5-6 जनवरी को विद्यालय का वार्षिकोत्सव होना निश्चित हुआ। प्रघानाचार्य द्वारा इसकी घोषणा से सभी विद्यार्थियो में आनंद की लहर दौड़ गयी। उत्सव प्रारम्भ होने में 20 दिन का समय शेष था। अब जोर-शोर से खेलकूद औरे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी शुरू हो गयी।
विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध। Annual day function essay in hindi
प्रस्तावना- मानव जीवन संघर्षों का जीवन है।
समय-समय पर आयोजित उत्सव उसके जीवन मेँ नवस्फूर्ति भर देते है। उसका हदय उल्लास से
भर जाता है और वह कठिनाइयो से जूझता हुआ जीवन-पथ पर आगे बढता चलता है। इसी पथ को
दृष्टि में रखकर विभिन्न विद्यालयों में अनेक उत्सवों का आयोजन` किया जात्ता है।
हमारे विद्यालय में भी प्रति वर्ष खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया
जाता है। यही वार्षिकोत्सव कहलाता है। यह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
विद्यालय का वार्षिकोत्सव मेरा सर्वप्रिय उत्सव रहा है। मैँ बहुत दिनों पहले से ही
इस उत्सव पर अपने कार्यक्रम को प्रस्तुत करने की तैयारी मेँ जुट जाता हूँ। यह उत्सव प्राय:
जनवरी माह मेँ मनाया जाता है। सास्कृतिक कार्यक्रमों में प्रत्येक
विद्यार्थी को अपने अन्दर छिपे कलाकार को प्रकट करने का अवसर मिलता है। इसके साथ
ही वार्षिकोत्सव मे विद्यालय की भावी प्रगति की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती है।
उत्सव की तैयारी- इस वर्ष 4-5-6 जनवरी को
विद्यालय का वार्षिकोत्सव होना निश्चित हुआ। प्रघानाचार्य द्वारा इसकी घोषणा से
सभी विद्यार्थियो में आनंद की लहर दौड़ गयी। उत्सव प्रारम्भ होने में 20 दिन का समय शेष
था। अब जोर-शोर से खेलकूद औरे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी शुरू हो गयी। कुछ छात्र लम्बी
कूद, ऊंची कूद , भाला फेंक, गोला फेंक में
जुटे हुए थे तो कुछ वाद-विवाद¸ अन्त्याक्षरी, गीतों, नाटक आदि के पूर्वाभ्यास में। इन तैयारियों के
लिए प्रधानाचार्य महोदय ने कुछ समय निर्धारित कर दिया ओर शेष समय मे पढ़ाई नियमित रूप से जारी रखने का निर्देश दिया। सभी छात्रों में नया उत्साह और नया जोश था। विद्यालय की सफाई और धुलाई भी शुरू हो गयी थी।
मुख्य अतिधि का आगमन
और उत्सव का आरम्भ : न जाने कब प्रतीक्षा
के दिन समाप्त हुए और जनवरी आ गयी, पता ही नहीं चला। इस दिन खेल कूद की प्रतियोगिता का आयोजन था। मैदान हरा भरा
था। चूने की सफेदी से बनी रेखाएँ और रंग-बिरंगी झण्डियॉ मेदान की शोभा को और बढ़ा रही थीं। जिला विद्यालय
निरीक्षक हमारे खेल-कूद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। हमारे प्रधानाचार्यं और गणमान्य
अतिथि खेल के मैदान पर पहुंचे। सभी ने खडे होकर त्तालियो
की गड़गडाहट के साथ उनका अभिवादन किया। इसके बाद क्या खेलकूद प्रतियोगिता आरम्भ हुई।
रोचक कार्यक्रम- खेलों की शुरुआच ने मैदान
में हलचल मचा दी। भिन्न भिन्न प्रकार के खेलों के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित थे। दिनभर खेल प्रतियोगिताएँ चलती रहीं। मैने
भी ऊंची कूद में भाग लिया और नया कीर्तिमान स्थापित कर खुशी से फूला न समाया। सभी
कार्यक्रम बहुत सुव्यवस्थित एवं आकर्षक ढंग से सम्पादित होते रहे।
अगले दिन शाम चार
बजे से विद्यालय प्रागण में बने भव्य
पण्डाल में अन्तयाक्षरी कार्यक्रम का आरम्भ हुआ। कार्यक्रम बहुत रोचक
रहा। इसके बाद वादविवाद की प्रतियोगिता शुरू हुई, जिसका विषय था-आज की शिक्षा-नीति का देश की
प्रगति में योगदान। इसके पक्ष-विपक्ष में वक्ताओं ने अपने –अपने विचार रखे और
जोरदार तर्क प्रस्तुत किये। विद्यालय के 12वीं कक्षा के छात्र पंकज गुप्ता ने प्रथम और निर्मल जैन ने द्वितीय स्थान
प्राप्त किया। इसके बाद 'कवि सम्मेलन' का आयोजन किया गया था। कवियों के भावपूर्ण कविता-पाठ श्रोता भाव-विभोर हो उठे। रात्रि
के आठ बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा
गया था। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गीत, नाटक, एकाकी, पैरोडी, समूह-गान आदि का आयोजन किया गया था। रात्रि के लगभग 12 बजे कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
तीसरे दिन का उत्सव प्रदर्शनी और पुरूस्कार-वितरण के लिए
निश्चित था। विद्यालय के बड़े हॉल में छात्रों द्वारा बनाये गये चित्र¸मूर्तियों
और हस्तनिर्मित अनेक कलात्मक कृतियों की प्रदर्शनी सजी हुई थी। सभी कदर्शकों ने
छात्रों के सुन्दर व कलात्मक प्रयासों की बहुत सराहना की। इसके बाद तीनों दिनों के
कार्यक्रमों के विजेताओं और श्रेष्ठ कलाकारों को पुरस्कार वितरित किये गए।
पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि हमारे क्षेत्र के माननीय उपशिक्षा निदेशक महोदय
थे।
उत्सव का समापन और मुख्य
अतिथि का सन्देश- पुरस्कार वितरण के बाद हमारे प्रधानाचार्य ने विद्यालय को वर्ष भर की प्रगति का
विवरण प्रस्तुत किया और वार्षिकोत्सव की सफलता के लिए सम्बन्धित सभी अध्यापकों और
विद्यार्थियों का आभार प्रकट किया। आगामी वार्षिकोत्सव के ऐसे ही सफल आयोजन की कामना के साथ
उन्होंने अतिथि महोदय से
दो शब्द कहने के लिए निवेदन किया।
मुख्य अतिथि ने अपने सन्देश में सर्वप्रथम अपने हार्दिक स्वागत पर आभार प्रकट किया और विद्यालय की प्रगति तथा वार्षिकोत्सव के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने
विजताओं और श्रेष्ठ कलाकारों को बधाई दी और अन्य छात्रों को भी आगामी वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
उपसंहार- हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव बहुत सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस उत्सव पर सभी
छात्रों का ह्रदय आनन्द-विभोर हो गया। प्रत्येक कार्यक्रम बहुत रोचक और आकर्षक था। विद्यालय का वार्षिकोत्सव मेरा सबसे प्रिय उत्सव
रहा है। सचमुच ऐसे उत्सवों से छात्रों की बहुमुखी प्रतिभा प्रकट होती है ओंर उनके व्यक्तित्व के
विकास में सहायता मिलती है। इसलिए इस प्रकार के उत्सवों का आयोजन प्रत्येक
विद्यालय में किया जाना चाहिए।
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