लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 की जानकारी : संसद द्वारा पारित एंतिहासिक लोकपाल तथा लोकायुक्त विधेयक, 2011 (राज्यसभा द्वारा 17 दिसम्बर, 2013 तथा लोकसभा द्वारा 18 दिसम्बर, 2013 को पारित) ने केंन्द्र में लोकपाल तथा राज्यों में इस कानून के प्रभावी होने के एक वर्ष के अदंर राज्यों के विधान मंडलों द्वारा परित किये जाने पर लोकायुक्त संस्था के गठन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। संसद के दोनों सदनों द्वारा इस बिल को पारित किया जाना स्वयं में महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से कि अतीत में लोकपाल कानून बनाने के सभी प्रयास विफल रहे। लोकसभा पर आठ विधेयक पेश किये गये थे, लेकिन 1985 के विधेयक को छोड़कर विभिन्न लोकसभाओं के भंग होने के कारण ये विधेयक अधर में रह गये। वर्तमान विधेयक को सदन के दोनों सदनों से मिली मंजूरी कारगर भ्रष्टाचार विरोधी ढांचा बनाने के संसद तथा सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देती है।
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 की जानकारी UPSC
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- भारत के प्रधान न्यायाधीश या भारत के प्रधान न्यायाधीश द्वारा मनोनीत उच्चतम न्यायालय का वर्तमान न्यायाधीश
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा मानेनीत प्रख्यात न्यायविद
- प्रारंभिक जांच-तीन महीनों के भीतर, तीन महीनों तक विस्तार संभव।
- जांच 6 महीनों की अवधि में जिसे एक समय में 6 महीनों हेतु और बढ़ाया जा सकता है।
- सुनवाई एक साल में, सुनवाई अवधि का विस्तार एक साल और संभव। इसके लिए विशेष अदालतों का गठन
- सीबीआई के निदेशक के पूर्ण नियंत्रण में अभियोजन निदेशक के नेतृत्व में अभियोजन निदेशालय की स्थापना।
- केंद्रीय सतर्कता आयोग की अनुशंसा पर अभियोजन निदेशककी नियुक्ति।
- लोकपाल द्वारा निर्देशित मामलों के लिए लोकपाल की सहमति से सरकारी वकीलों के अलावा सीबीआई द्वारा अधिवक्ताओं का पैनल रखना।
- लोकपाल द्वारा प्रेषित मामलों में जांच करने वाले सीबीआई के अधिकारियों का स्थानांतरण लोकपाल की सहमति से।
- लोकपाल द्वारा सौंपे गए मामलों की जांच के लिए सीबीआई को पर्याप्त धन उपलब्ध कराने का प्रावधान।
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