घोड़े पर निबंध : घोडा एक चार पैरों वाला शाकाहारी जानवर है। यह अपनी खूबसूरती और शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। घोड़े प्राचीन काल से ही मनुष्य के साथी रहे हैं। इनका शरीर बेहद सुडौल और गठीला होता है। इनकी गर्दन ऊँची, खाल मखमली तथा पूँछ लम्बी व घनी होती है। प्राचीनकाल में जब यातायात की साधनों का आविष्कार नहीं हुआ था। तब गधा, ऊंट, हाथी, घोड़े आदि जानवरों को ही परिवहन के लिए प्रयोग किया जाता था ।
घोड़े पर निबंध। Essay on Horse in Hindi
घोडा एक चार पैरों वाला शाकाहारी जानवर है। यह अपनी खूबसूरती और शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। घोड़े प्राचीन काल से ही मनुष्य के साथी रहे हैं। इनका शरीर बेहद सुडौल और गठीला होता है। इनकी गर्दन ऊँची, खाल मखमली तथा पूँछ लम्बी व घनी होती है। इनकी उम्र 25 से 30 वर्ष तक की होती है। इनकी ऊंचाई 5 से 6 फ़ीट तक की होती हैं। यह सफ़ेद, भूरे और काले रंग के होते हैं। यह हरे घास के मैदानों में रहना पसंद करते हैं। घोड़े आमतौर पर झुण्ड में रहते हैं।
घोड़े से लाभ : प्राचीनकाल में जब यातायात की साधनों का आविष्कार नहीं हुआ था। तब गधा, ऊंट, हाथी, घोड़े आदि जानवरों को ही परिवहन के लिए प्रयोग किया जाता था । इन सबमें सबसे उपयोगी और महत्वपूर्ण था घोडा, जो एक पालतू पशु भी है। लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक घोड़ों के माध्यम से ही यात्रा करते थे क्योंकि ये उन दिनों यात्रा करने का सहज और सबसे तेज़ तरीका था। न केवल यात्रा के लिए बल्कि सामान इत्यादि को भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में इनका प्रयोग होता था। लेकिन रेगिस्तानी क्षेत्रों में ऊंट ही अधिक उपयोगी थे। इसके बावजूद, प्राचीन संस्कृति, समाज और अर्थव्यवस्था में घोड़े का बहुत महत्व था।
युद्धों में घोड़ों का बहुत महत्व था, सेना में अलग से घुड़सवारों की टुकड़ी होती थी। अगर किसी सेना के पास अधिक घोड़े होते थे तो युद्ध में उसकी जीत की संभावना भी अधिक होती थी। यह शक्ति का प्रतीक माना जाता था इसीलिए भारत में अश्वमेघ यज्ञ कराने की परम्परा रही है। लोगों ने दो देशों के बीच व्यापार के लिए सामान लाने और वापस ले जाने में घोड़े का इस्तेमाल किया।
वर्तमान में घोड़े का प्रयोग : वर्तमान में घोड़े के सीमित प्रयोग ही रह गए हैं। इनका प्रयोग सर्कस में करतब दिखाने की लिए किया जाता है। सेना में अब इनका प्रयोग उतना प्रचलित नहीं रहा। इनका प्रयोग घुड़सवारी के लिए किया जाता है। जगह-जगह घोड़ों की रेस का आयोजन किया जाता है। यूरोप और कई जगहों में इनका प्रयोग घुड़सवारी के साथ-साथ खेत जोतने में भी किया जाता है। भारत में घोड़ों द्वारा तांगा खींचा जाना एक आम बात है।
घोड़ों के प्रकार : घोड़े की कई नस्लें होती हैं जैसे पर्वतीय घोड़े, मध्य एशियाई घोड़े, अफ्रीकन घोड़े और अरबी घोड़े आदि। अरबी घोड़े अपनी ताकत, फुर्ती और तेजी के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। भारत के राजस्थान में पाए जाने वाले मेवाड़ी घोड़े भी अपनी शारीरिक बनावट, मजबूती और समझदारी के लिए प्रसिद्ध हैं। महाराणा प्रताप का प्रसिद्ध घोडा चेतक भी इसी नस्ल का था।
आदतें : घोडा अपने मालिक के प्रति बहुत वफादार होता है। इनका शरीर बहुत मजबूत और लचीला होता है। यह बहुत ही समझदार होते हैं। यह अपने मालिक को कभी नहीं भूलते हैं। इनके सूंघने और सुनने की क्षमता भी हमसे तेज होती है। यह एक निडर और साहसी जानवर है। यदि एक बार घोड़े हो प्रशिक्षित कर लिया जाए तो यह अपने मालिक की सभी आदेशों का पालन करता है। यह घास चरता है और अनाज भी खाता है परन्तु चने इनके प्रिय आहार हैं। जब इन्हे भूख लगती है तो ये अपने मालिक की ओर देखकर हिनहिनाना शुरू कर देते हैं।
उपसंहार : आज घोड़े पहले जैसे उपयोगी नहीं रह गए हैं। वाहनों के विकास के कारण यातायात में भी अब इनका प्रयोग नहीं होता है। इन्हे पालना भी काफी खर्चीला हो गया है। केवल शौक़ीन लोग ही घोड़े पालते हैं। परन्तु कुछ भी हो यह एक बेहद ही खूबसूरत जानवर है और तेजी से दौड़ते घोड़े को देखना आज भी उतना ही विस्मित करता है जितना की हजारों साल पहले करता होगा। प्रकृति में कुछ भी अनावश्यक नहीं है इसलिए घोड़े की कुछ न कुछ उपयोगिता तो होगी ही, हमारे लिए न सही तो किसी और के लिए ही सही।
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