ब्रिटेन के जापान की ओर झुकने के कारण बताइये: यूरोप में ट्रिपल एलांयस तथा रूस एवं फ्रांस के मध्य मित्रता स्थापित हो चुकी थी। ब्रिटेन इस नितान्त अकेलेपन
ब्रिटेन के जापान की ओर झुकने के कारण बताइये।
ब्रिटेन के जापान की ओर झुकने के निम्न कारण थे-
- यूरोप में ट्रिपल एलांयस तथा रूस एवं फ्रांस के मध्य मित्रता स्थापित हो चुकी थी। ब्रिटेन इस नितान्त अकेलेपन की नीति से बाहर आना चाहता था।
- सुदूर पूर्व में अपने प्रतिद्वन्द्वी रूस, जर्मनी, फ्रांस से मुकाबला करने के लिये इंग्लैण्ड ने जापान की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया।
- इंग्लैण्ड को अपनी जल सेना अटलाण्टिक तथा प्रशान्त दोनों महासागरों में रखनी पड़ती थी। जापान से सुलह होने पर इंग्लैण्ड प्रशान्त महासागर से अपनी जल सेना हटा सकता था।
1868 ई. तक जापान मध्ययुगीन देश बना रहा। मेईजी पुनर्स्थापना के पश्चात् जापान ने यूरोपीय देशों के समकक्ष आने का प्रयास किया। इंग्लैण्ड की ओर उसने निम्नलिखित कारणों से मित्रता का हाथ बढ़ाया-
- जापान ने चीन को परास्त कर शिमोनेस्की सन्धि से जो प्रदेश प्राप्त किये थे, उसे वे रूस, जर्मनी, फ्रांस के विरोध के कारण 1895 ई. में त्यागना पड़ा। जापान इसके लिये मुख्यत: रूस को दोषी मानता था और अपने अपमान का बदला लेने के लिये इंग्लैण्ड का सहयोग चाहता था।
- जापान के राजनयन का उद्देश्य रूस को मित्र - हीन बनाना था ।
- जापान कोरिया तथा मंचूरिया में रूसी प्रभाव को बढ़ने देना नहीं चाहता था। इस प्रश्न पर रूस के साथ संघर्ष की सम्भावना थी । अतएव इस कार्य की पूर्ति हेतु इंग्लैण्ड का वरदहस्त आवश्यक था।
परिणामतः अन्ततोगत्वा 30 जनवरी, 1902 ई. को इंग्लैण्ड - जापान सन्धि हुई ।
- दोनों देशों ने सुदूर पूर्व में सार्वजनिक शान्ति और यथास्थिति बनाये रखने का निश्चय किया।
- दोनों राज्यों ने चीन और कोरिया की स्वतन्त्रता को मान्यता दी और अपने-अपने हितों की रक्षा के लिये एक-दूसरे को हस्तक्षेप का अधिकार दिया ।
- यदि अपने हितों की रक्षा के लिये दोनों पक्षों में किसी एक पक्ष को युद्ध में फँसना पड़ा तो दूसरा तटस्थ रहेगा।
- यदि दोनों में से किसी एक पक्ष को एक साथ 2 शक्तियों से युद्ध करना पड़े तो दूसरा साथी अपने मित्र की मदद करेगा।
- यह सन्धि 5 वर्ष हेतु की गयी।
एन्टी कमिन्टर्न पैक्ट एवं रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी (Anti-Commintern Pact & Rome-Berlin-Tokyo Axis)
25 नवम्बर, 1936 ई. को जर्मनी व जापान के बीच एन्टी कमिन्टर्न पैक्ट हुआ । इसका उद्देश्य रूसी साम्यवाद के प्रसार को रोकना था। 6 नवम्बर, 1937 ई. को इटली भी इनसे जुड़ गया और रोम - बर्लिन - टोकियो धुरी का निर्माण हुआ। इस प्रकार विश्व की तीन तानाशाही शक्तियाँ एक हो गयीं जिन्होंने सम्मिलित रूप से समस्त विश्व के सम्मुख चुनौती प्रस्तुत की ।
जापान, जर्मनी एवं इटली ने रूसी साम्यवाद को रोकने का लालच देकर पूँजीवादी देशों— ब्रिटेन, फ्रांस एवं अमेरिका को अपने प्रति तुष्टीकरण की नीति अपनाने पर बाध्य किया। जापान निरन्तर पूर्वी एशिया में अपनी साम्राज्यवादी भूख शान्त करता रहा और उसका उद्देश्य साम्यवादी रूस के प्रभाव को रोकना बताया। इस प्रकार जापानी साम्राज्यवाद समस्त पूर्वी एशिया के लिये एक चुनौती बन गया। जापान ने दक्षिण-पूर्वी एशिया के अधिकांश क्षेत्र को अपने नियन्त्रण में ले लिया।
COMMENTS