पत्रलेखा का चरित्र चित्रण: पत्रलेखा कुलूत देश के राजा की पुत्री है। चन्द्रापीड को पत्रलेखा का परिचय युवराज महादेवी द्वारा दी गयी आज्ञा से प्राप्त होता
पत्रलेखा का चरित्र चित्रण (Patralekha Ka Charitra Chitran)
पत्रलेखा का चरित्र चित्रण: पत्रलेखा कुलूत देश के राजा की पुत्री है। चन्द्रापीड को पत्रलेखा का परिचय युवराज महादेवी द्वारा दी गयी आज्ञा से प्राप्त होता है- महाराज तारापीड ने कुलूत देश को जीतकर उस देश के राजा की पुत्री पत्रलेखा को कैदियों के साथ यहाँ लाकर रनिवास की सेविकाओं के बीच नियुक्त कर दिया था। उसे अनाथ राजपुत्री जानकर मेरे मन में उसके प्रति प्रेम हो गया। मैंने उसे अपनी पुत्री के समान पाल-पोसकर बड़ा किया है। ‘अब यह पानदान का डिब्बा लेकर चलने वाली तुम्हारी योग्य सेविका बने' - आयुष्मान् उसके प्रति साधारण सेविका की दृष्टि न रखें और अपनी भावनाओं के समान ही इसे भी चंचलता से रोकें। स्पष्ट है कि उज्जयिनी के राजा तारापीड की पत्नी महारानी विलासवती द्वारा पालित पुत्री पत्रलेखा की सामाजिक स्थिति विशिष्ट थी।
स्वस्थ एवं सौन्दर्यवती-लम्बी, स्वस्थ एवं सुगठित शरीरवाली पत्रलेखा रूपवती एवं आकर्षक व्यक्तित्व वाली थीं। गन्धर्व राजपुत्री कादम्बरी उसके सौन्दर्य को देखकर चकित रह गई थी। पत्रलेखा के सौन्दर्य के सम्बन्ध में कादम्बरी की यह युक्ति 'अहो ! मानुषीषु पक्षपातः प्रजापतेः' पूर्णतया सत्य प्रतीत होती है।
योग्य परिचारिका–चन्द्रापीड की ताम्बूल करङ्कवाहिनी पत्रलेखा सभी दृष्टिकोणों से सुयोग्य परिचारिका प्रमाणित होती है। वह अपने कर्त्तव्य का पूर्णरूप से निर्वाह करती है। सेवाकाल में वह सदैव चन्द्रापीड के साथ रहती हैं। जिस समय चन्द्रापीड दिग्विजय के लिए उज्जयिनी से निकलता है और वह सुवर्णपुर पहुँचता है, हर जगह वह चन्द्रापीड के साथ रहती है । चन्द्रापीड का सानिध्य पत्रलेखा को सुख की अनुभूति करता है।
कर्त्तव्यपरायण–पत्रलेखा अपने कर्तव्य के प्रति सदैव जागरूक रहती है। उज्जयिनी हो या सुवर्णपुर, दिग्विजय यात्रा हो या कादम्बरी का महल सब जगह, हर समय वह अपने कर्त्तव्य के प्रति तत्पर रहती है। वह चन्द्रापीड की सेविका भी, सलाहकार भी और सखी भी है।
विश्वासपात्र–पत्रलेखा विश्वासपात्र सेविका है। वह छाया सदृश चन्द्रापीड के साथ सदैव उपस्थित रहती है। विश्वासपात्र होने के कारण ही चन्द्रापीड अपने मनोभावों को उससे प्रकट कर देता है। वह उससे कादम्बरी के प्रति अपने हृदय को भी खोल देता है । पत्रलेखा अपनी विश्वसनीयता के कारण कादम्बरी का भी विश्वास भाजन है। कादम्बरी भी चन्द्रापीड के प्रति मनोभावों को पत्रलेखा के समक्ष प्रकट कर देती है।
स्पष्ट है कि महाकवि बाण ने पत्रलेखा को कर्तव्यपरायण, स्वामिभक्त, आदर्श सेविका के रूप चित्रित किया है।
संबंधित चरित्र चित्रण
COMMENTS