मैं हूँ भाषा हिंदी निबंध - Mai Hu Bhasha Hindi Nibandh मैं भाषा हूँ, सदैव गतिशील और परिवर्तनशील। मैं नए शब्दों और मुहावरों को जन्म देती हूँ...
मैं हूँ भाषा हिंदी निबंध - Mai Hu Bhasha Hindi Nibandh
मैं भाषा हूँ, सदैव गतिशील और परिवर्तनशील। मैं नए शब्दों और मुहावरों को जन्म देती हूँ, और पुराने शब्दों को भुला देती हूँ। मैं मानव विचारों और भावनाओं का प्रतिबिंब हूँ। हर संस्कृति की अनूठी कहानी मेरी विभिन्न बोलियों में गूंजती है। सदियों से, मैंने मनुष्यों को एक दूसरे से जोड़ा है और विभिन्न संस्कृतियों के बीच सेतु का काम किया है। मैं हूँ भाषा हिंदी और संस्कृत की सुगंध लिए, फारसी की मिठास लिए मानव सभ्यता की आत्मा।
मैं भाषा हूँ, सदैव गतिशील और परिवर्तनशील। मेरा जन्म आदिम मानव समाजों में हुआ, जब उन्होंने गुफाओं की दीवारों पर चित्र बनाकर और ध्वनियों का उपयोग करके संवाद करने का प्रयास किया। धीरे-धीरे, भाषा विकसित हुई और शब्दों का जन्म हुआ। जो जटिल विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम थे। इस प्रकार मैं ध्वनियों और शब्दों का संग्रह हूँ, जो अर्थों और भावनाओं से परिपूर्ण है।
मैं भाषा हूँ, मैंने ज्ञान को पुस्तकों के पन्नों पर, पत्थर की शिलाओं पर, ताड़पत्रों पर - मैंने ज्ञान को संरक्षित किया है, इतिहास को अंकित किया है और समय की सीमाओं को लांघा है। कभी मैं लयबद्ध शब्दों और हावभावों के सहारे मौखिक माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी चली, तो कभी स्याही के स्पर्श से लिखित भाषा के रूप में मैंने ज्ञान को संजोया। हिंदी, अंग्रेजी, चीनी, फ्रेंच - ये सब मेरी ही संतानें हैं, जो भौगोलिक परिस्थितियों, सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक घटनाओं के प्रभाव से विभिन्न रूपों में विकसित हुई हैं।
मैं एक शक्तिशाली हथियार हूँ, जिसकी धार निर्माण और विनाश दोनों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। गलत हाथों में मैं हिंसा और घृणा फैलाने का हथियार बन सकती हूँ। परन्तु यदि मेरा सदुपयोग किया जाए तो मैं गीता के ज्ञान से विश्व को प्रकाशित कर सकती हूँ। यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वे मेरा उपयोग कैसे करते हैं।
आज, मैं डिजिटल युग में प्रवेश कर रही हूं। 1 और 0 की भाषा में कोडित होकर मैं तारों के रास्ते दुनिया भर में यात्रा करती हूँ। इंटरनेट के माध्यम से मैं एक नई पीढ़ी के लिए संवाद का साधन बन रही हूं।
भविष्य कैसा होगा, यह तो अनिश्चित है, पर एक बात निश्चित है - भाषा का विकास निरंतर जारी रहेगा। मैं अतीत का स्मरण, वर्तमान का वर्णन और भविष्य की कल्पना हूँ। मैं हूँ भाषा, शब्दों का अनंत जाल, विचारों और भावों का अनूठा संगम।
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