अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर की समस्या इन हिंदी : भारतीय संघ में जम्मू-कश्मीर का विलय इस आधार पर किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत इस प्रदेश की स्वायत्तता की रक्षा की जाएगी, यह एकमात्र प्रदेश है जिसका अपना संविधान है, तथा जम्मू-कश्मीर राज्य का प्रशासन इस संविधान के उपबंधों के अनुसार चलता रहेगा। पं. नेहरू ने विलय से पूर्व अपने घनिष्ठ मित्र शेख अब्दुल्ला को सियासत का साझीदार बनाया, वही शेख अब्दूल्ला के ‘दो प्रधान, दो विधान और दो निशान’ को धारा 370 का प्रारूप पहनाया। वस्तुत: सेकुलर व्यवस्था में धारा 370 के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को संवैधानिक मान्यता दे रखी है। कश्मीर को विशेष प्रांत का दर्जा देने का बाबा भीमराव अंबेडकर ने घोर विरोध किया था। भारत के कानून मंत्री होने के नाते उन्हें यह कतई मंजूर नहीं था कि भारत पर कश्मीर के सारे हक तो हो, किंतु कश्मीर पर भारत का कोई अधिकार न हो।
अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर की समस्या इन हिंदी
- रक्षा
- संचार
- विदेशी मामले
अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर समस्या के कारण
- 26 अक्टूबर 1947 को कबिलाई के सहयोग से पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण किया गया।
- जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में विलय के साथ रक्षा की माँग की।
- विलय पत्र में विदेश, रक्षा तथा संचार भारत को दिया गया, शेष सभी अधिकार
राज्य के अधीन रखे गए।
- जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष व्यवस्था के साथ अनु. 370 जोड़ा गया जो कि विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करता है।
- जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान संविधान के अनु. 2 में सम्मिलित किया गया है।
- अजु. 370 की व्यवस्था में ‘अस्थाई संब्रमणकालीन विशेष उपबन्ध’ किया गया।
- 1951 में जम्मू–कश्मीर संविधान सभा गठन किया गया।
- 1951 में शेख अब्दुल्ला व पं. नेहरू के बीच
समझौता हुआ। जिसको दिल्ली समझौता के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें जम्मू-कश्मीर
की स्वायत्ताता पर हस्ताक्षर किया गया। जिसका अर्थ विदेश, रक्षा व संचार को छोड़कर शेष सभी अधिकार जम्मू-कश्मीर के पास रहेगे।
- 1953 में शेख अब्दुल्ला को देश चिरोधी गतिविधियों के कारण जेल जाना पड़ा।
- 1953 में शेख अब्दुल्ला की जगह बक्शी गुलाम मोहम्मद सत्तासीन हुए।
- जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने फरवरी 1954 में औपचारिक रूप से भारत में जम्मू-कश्मीर को विलय कर दिया।
- 1954 में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा द्वारा भारत में विलय की मंजूरी जिससे केंद्रीय कानून लागू हो गया।
- जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान 26 जनवरी 1957 को लागू किया गया।
- 1965 में सदर-ए-रियासत का नाम बदलकर राज्यपाल रख दिया गया जो अब राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति होगा (हम व्यवस्था जम्मू-कश्मीर संविधान के 6वाँ संविधान संशोधन द्वारा किया गया है।)
- राज्य की संवैधानिक तंत्र की विफलता में पहले 6
माह राज्यपाल शासन (धारा 92), इसके बाद राष्ट्रपति शासन
(अनु. 356) लागू होता है।
- राज्य की विधान सभा में दो महिला विधायकों की व्यवस्था जो राज्यपाल द्वारा मनोनीत होगी।
- राज्य की राजभाषा ‘उर्दू’ है।
- राज्य की विधान सभा का कार्यकाल 6 वर्ष होने के कारण मुख्यमंत्री का कार्यकाल 6 वर्ष का हो जाता है।
- अनु. 355 के तहत राज्य में सशस्त्र बल की तैनाती की जा सकती है।
- नियंत्रण रेखा पहले युद्ध विराम रेखा थी, जो 1 जनवरी 1949 को प्रभावी हुई और शिमला समझौता (1972) के बाद वह नियंत्रण रेखा में बदल गई।
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