शैक्षिक नियोजन का अर्थ और सिद्धांत (Meaning and Principles of Education Planning in Hindi) शैक्षिक नियोजन के द्वारा, वस्तुतः व्यक्ति के सामाजिक एवं आर
शैक्षिक नियोजन का अर्थ और सिद्धांत (Meaning and Principles of Education Planning in Hindi)
शिक्षा द्वारा व्यक्ति का न केवल सामाजिक व सांस्कृतिक विकास होता है, वरन् वह आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बी भी बनता है तथा राष्ट्रीय उत्पादन एवं समृद्धि के विकास में सहायक भी सिद्ध होता है। शैक्षिक नियोजन के द्वारा, वस्तुतः व्यक्ति के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के मध्य सामन्जस्य स्थापित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, देश की परम्परा एवं संस्कृति की रक्षा करते हुये सामाजिक तथा प्राविधिक नेतृत्व तथा अपेक्षित जनशक्ति उत्पन्न करना शैक्षिक नियोजन का मुख्य दायित्व है। शैक्षिक नियोजन के द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए शिक्षा- विकास की एक यथार्थवादी रूप-रेखा प्रस्तुत की जा सकती है। स्पष्ट है कि शैक्षिक नियोजन एक संयोजन शक्ति के रूप में शिक्षा-प्रणाली के विभिन्न अंगों के विकास को समायोजित करता है तथा राष्ट्रीय विकास योजना की पृष्ठभूमि में दीर्घकालीन उद्देश्यों की प्राप्ति निश्चित करता है।
शैक्षिक नियोजन के सिद्धान्त (Principles of Education Planning)
- शैक्षिक नियोजन शैक्षिक उद्देश्यों पर आधारित होना चाहिए
- आवश्यक सूचनाओं का संकलन
- प्राथमिकता क्रम स्थापित करना
- विकल्पों का निर्धारण
- योजना का सामाजिक मूल्यांकन तथा लचीलापन
- योजना निर्माण एवं कार्यान्विति में कार्यकर्त्ताओं का सहयोग
- योजना सम्बन्धी उपयुक्त विज्ञप्ति
- शिक्षा सम्बन्धी आँकड़ों का संकलन एवं अनुसंधान हेतु सांख्यिकी तथा अनुसंधान विभाग की स्थापना
2. आवश्यक सूचनाओं का संकलन (Collection of necessary information) - शैक्षिक नियोजन हेतु निम्नलिखित सूचनाओं एवं आँकड़ों का संकलन किया जाता है। साक्षरता ‘स्थिति’, शिक्षक छात्र अनुपात, शैक्षिक सुविधाओं एवं साधनों की स्थिति, विभिन्न शैक्षिक स्तरों पर अपव्यय एवं अवरोध, शिक्षा हेतु उपलब्ध आर्थिक साधन, वर्तमान राष्ट्रीय आय तथा उसका अनुमानित भावी वृद्धि-क्रम, राष्ट्र की आर्थिक विकास गति, मानव-शक्ति की वर्तमान स्थिति एवं उसकी भावी आवश्यकता आदि। इन सभी सूचनाओं के आधार पर ही शैक्षिक नियोजन सम्भव हो पाता है।
3. प्राथमिकता क्रम स्थापित करना (Establishing order of priority) - शैक्षिक नियोजन के अन्तर्गत शैक्षिक उद्देश्यों तथा उपलब्ध आर्थिक एवं मानवीय साधनों के आधार पर शिक्षा के विभिन्न स्तरों एवं अंगों के विस्तार और आवश्यक परिवर्तनों का प्रावधान करना पड़ता है। शैक्षिक नियोजन के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि शैक्षिक विस्तार तथा गुणात्मक उन्नति के कई विकल्पों के मध्य तथा विभिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में प्राथमिकता क्रम स्थापित करें।
4. विकल्पों का निर्धारण (Decisions regarding various Options) - शैक्षिक नियोजन के अन्तर्गत विकल्पों में से चयन करना आवश्यक होता है। विभिन्न समस्याओं के विकल्प इस प्रकार हो सकते हैं - शिक्षा के मात्रात्मक विस्तार को अधिक महत्त्व दिया जाए अथवा गुणात्मक स्तर को कला-सम्बन्धी विषयों को प्रधानता दी जाए या विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा को राष्ट्रीय आय का कितना-कितना भाग शिक्षा की विभिन्न शाखाओं एवं स्तरों पर व्यय करना उचित है, वर्ष कितने शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए, आदि ।
5. योजना का सामाजिक मूल्यांकन तथा लचीलापन ( Periodic Evaluation of Planning and Elasticity in Planning) - योजना की सफलता के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि इसकी प्रगति का मूल्यांकन समय-समय पर किया जाए, जिससे इसकी कठिनाइयाँ दूर की जा सकें। इस मूल्यांकन के आधार पर परिवर्तन किये जा सकते हैं। जैसे- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर अनावश्यक अपव्यय एवं अवरोधों का उन्मूलन करना, शैक्षिक विस्तार का उपलब्ध रोजगार- अवसरों से समायोजन करना, शिक्षण विधियों में सुधार करना आदि।
6. योजना निर्माण एवं कार्यान्विति में कार्यकर्त्ताओं का सहयोग (Cooperation) - योजना के सफल निर्माण एवं कार्यान्वयन हेतु यह आवश्यक है कि शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर कार्य करने वाले सभी व्यक्तियों का इसमें योगदान हो । किसी भी योजना निर्माण में शिक्षाशास्त्री, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, समाज-मनोवैज्ञानिक, राजनीतिशास्त्री आदि के अतिरिक्त शिक्षक, अभिभावक, प्रशासक व जननेता आदि सभी का परामर्श प्राप्त किया जाए। इससे योजना का स्वरूप भी यथार्थ बन सकेगा तथा इसकी कार्यान्विति में भी सभी सम्बन्धित व्यक्तियों का हार्दिक सहयोग भी प्राप्त होगा।
7. योजना सम्बन्धी उपयुक्त विज्ञप्ति (Information regarding Planning) - वस्तुतः योजना भी सफल हो सकती है, जब इसके सभी कार्यकर्त्ता परस्पर सहयोग करें। यह सहयोग तभी सम्भव है जब शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वालों तथा अन्य सम्बन्धित सभी व्यक्तियों एवं जनसाधारण को राष्ट्रीय विकास योजना के सन्दर्भ में शैक्षिक योजना के उद्देश्यों तथा कार्यक्रमों का उचित ज्ञान हो। इसलिए यह आवश्यक है कि योजना सम्बन्धी विभिन्न स्तरों के मध्य आवश्यक संचार- व्यवस्था के साथ-साथ शैक्षिक योजना तथा उसकी प्रगति आदि के विषय में पर्याप्त विज्ञप्ति प्रचारित एवं प्रसारित हो ।
8. शिक्षा सम्बन्धी आँकड़ों का संकलन एवं अनुसंधान हेतु सांख्यिकी तथा अनुसंधान विभाग की स्थापना: सफल नियोजन हेतु यह अत्यन्त आवश्यक है कि सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति सम्बन्धी सही आँकड़े उपलब्ध हों। इस कार्य के निमित्त राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरों पर तथा शिक्षा विभाग के अन्तर्गत सांख्यिकी एवं अनुसंधान विभाग स्थापित किये जाने चाहिए। इससे शिक्षा सम्बन्धी सही सूचनाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
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