जनशक्ति नियोजन का अर्थ तथा सीमाएं (Meaning and Limitations of Manpower Planning in Hindi) एच०एस० पानेस के शब्दों में, “इस्पात का कारखाना उस समय तक अर्
जनशक्ति नियोजन का अर्थ तथा सीमाएं (Meaning and Limitations of Manpower Planning in Hindi)
जनशक्ति नियोजन का अर्थ: एच०एस० पानेस के शब्दों में, “इस्पात का कारखाना उस समय तक अर्थहीन है, जब तक उसके लिए आवश्यक वैज्ञानिक, इंजीनियर, तकनीशियन, कुशलता प्राप्त श्रमिक, प्रबन्ध आदि का प्रावधान न किया जाये।” स्पष्ट है कि आर्थिक विकास का उत्पादन के मानवीय साधनों से घनिष्ठ सम्बन्ध है। देश की शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जिससे देश की उत्पादन आवश्यकता के अनुसार योग्य एवं प्रशिक्षित कार्यकर्त्ता उपलब्ध हो सकें। भविष्य में देश के आर्थिक विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कितनी जनशक्ति / मानव-शक्ति की आवश्यकता होगी, शैक्षिक निर्णय इसी तथ्य के अनुरूप होने चाहिए। दीर्घकालीन मानव-शक्ति सम्बन्धी पूर्ण अनुमान तथा नियोजन इसीलिए आवश्यक है।
शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त व्यक्ति किसी उपयुक्त व्यवसाय को अपनाना चाहता है। इसलिए जनशक्ति / मानव-शक्ति सम्बन्धी दृष्टिकोण शैक्षिक नियोजन का आवश्यक अंग माना जाता है। दूसरे शब्दों में, शैक्षिक नियोजन हेतु यह जानना आवश्यक है कि सामाजिक एवं आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु कौन-कौन से व्यवसायों में रोजगार प्राप्ति के अवसर प्राप्त होंगे और उनके लिए किस स्तर की एवं किस प्रकार की शिक्षा आवश्यक है ? इसी आधार पर शैक्षिक योजना में प्रावधान किया जाना चाहिए तथा शिक्षा के विभिन्न भागों, शाखाओं एवं स्तरों पर व्यय का विभाजन भी उसी आधार पर किया जाना चाहिए।
जनशक्ति की आवश्यकताओं के अनुसार शैक्षिक नियोजन किया जाता है। जनशक्ति की आवश्यकताओं के अनुसार शैक्षिक नियोजन के लिए निम्नलिखित निर्णय लेने पड़ते है -
- अर्थ-व्यवस्था के विभिन्न व्यवसायों के लिए काफी लम्बे समय के लिए अपेक्षित जनशक्ति का पूर्व अनुमान लगाना।
- विभिन्न व्यवसायों के लिए विभिन्न स्तर और विभिन्न प्रकार की शिक्षा का प्रावधान करना।
- प्रस्तावित व्यावसायिक शिक्षा के लिए शिक्षा पद्धति में अपेक्षित परिवर्तन करना।
जनशक्ति का उपयोग तथा उच्च शिक्षा (Use of man power and Higher education)
व्यक्ति जब किसी व्यवसाय, रोजगार या उद्योग में लगाये जाने योग्य होते है तभी उनकी उपयोगिता होती है। इसके लिए विश्वविद्यालयों द्वारा अपने पाठ्यक्रमों में इस प्रकार के विषय शामिल किये जायें जो छात्रों को रोजगार के नये-नये अवसर प्रदान कर सकें।
जनशक्ति नियोजन की सीमायें (Limitations of Manpower Planning in Hindi)
यद्यपि शिक्षा-पद्धति, रोजगार तथा जनशक्ति नियोजन में पारस्परिक सम्बन्ध है लेकिन इसमें कभी-कभी कुछ कठिनाइयाँ भी आती है, जो कि निम्नलिखित है-
1. जनशक्ति नियोजन अनेक परिस्थितियों तथा कारकों पर निर्भर होता है। किसी भी एक कारक के बदल जाने से जनशक्ति के पूर्व अनुमान में गलती हो सकती है।
2. जनशक्ति की माँग तथा पूर्ति में असन्तुलन हो सकते हैं। इस असन्तुलन का एक मुख्य कारण यह है कि कुछ राज्य अपनी नीति के अनुसार अपने ही राज्य के मूल नागरिकों को रोजगार प्रदान करते हैं।
3. जब हम यह कहते हैं कि अपेक्षित मात्रा और अपेक्षित किस्म की जनशक्ति का उत्पादन किया जायेगा, तब इसका अर्थ यह नहीं होता कि माँग और पूर्ति में उपयुक्त सन्तुलन स्थापित किया जा सकता है। भारत जैसे विशाल देश में जहाँ आर्थिक, सामाजिक तथा क्षेत्रीय विभिन्नतायें बहुत अधिक हैं, व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्तियों की माँग और उनकी पूर्ति में सन्तुलन नहीं लाया जा सकता।
4. यद्यपि शिक्षा का रोजगार से घनिष्ठ सम्बन्ध है। लेकिन शिक्षा प्रणाली रोजगार के अवसर नहीं बढ़ा सकती। किसी व्यवसाय में कितने लोग लगाये जा सकेंगे, इसका निर्धारण शिक्षा पद्धति नहीं कर सकती, क्योंकि शिक्षा व्यक्ति को सेवा-योग्य बनाती है। अतः कुछ सीमा तक ही वह रोजगार के क्षेत्र बढ़ा सकती है।
5. शिक्षा का उद्देश्य केवल जनशक्ति का उत्पादन ही नहीं है वरन् शिक्षा के अन्य बहुत से महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
ये सब कठिनाइयाँ होने के बावजूद भी हम कह सकते है कि मानव-शक्ति और आर्थिक विकास में सुन्दर सम्बन्ध है। विभिन्न देशों के आर्थिक विकास में शिक्षा का प्रमुख हाथ रहा है।
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