शारीरिक व्यायाम का श्वसन तंत्र पर प्रभाव बताइए: शारीरिक व्यायाम अथवा प्रशिक्षण का श्वसन तंत्र पर प्रभाव की व्याख्या करने से पहले श्वसन प्रणाली को अवश्
शारीरिक व्यायाम का श्वसन तंत्र पर प्रभाव बताइए।
शारीरिक व्यायाम अथवा प्रशिक्षण का श्वसन तंत्र पर प्रभाव की व्याख्या करने से पहले श्वसन प्रणाली को अवश्य समझ लेना चाहिए। किसी भी काम को अथवा गतिविधि को करने के लिए पोषक तत्व ऊर्जा को जारी करते हैं। पोषक तत्वों द्वारा ऊर्जा को जारी करने की प्रक्रिया को श्वसन कहते हैं।
श्वसन तंत्र में ऑक्सीजन लेने के लिए तथा कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल वाष्प को छोड़ने के लिए अंग होते हैं। श्वसन के द्वारा पैदा होने वाला कार्बन डाइऑक्साइड एक व्यर्थ पदार्थ है। श्वसन तंत्र के प्रमुख अंगों में नासिका के मार्ग, वायु नली (ट्रेकया) ब्रोन्काई, फेफड़े तथा वायु कोष होते है। शारीरिक व्यायाम, प्रशिक्षण, मुख्यतया वायुवीय अथवा क्षमता बढ़ाने वाले प्रशिक्षणों से श्वसन तंत्र के बहुत से भाग प्रभावित होते हैं। ये प्रभाव निम्नलिखित हैं-
शारीरिक व्यायाम का श्वसन तंत्र पर प्रभाव
फेफड़े का आयतन (Lung Volume ) - सहनीय क्षमता वाले प्रशिक्षण से फेफड़े के आयतन तथा क्षमता में वृद्धि होती है। जीवन्त क्षमता, जो तेजी से आने वाली हवा के आयतन को अधिकतम बढ़ाती है, वह सहनीय प्रशिक्षण के पश्चात् वायु बाहर फेंके जाने के पश्चात् अधिकतम मात्रा में अन्दर की ओर खिंच जाती है। प्रशिक्षित खिलाड़ी में वायु ग्रहण क्षमता 5 से 6 लीटर तक हो जाती है, जबकि बिना प्रशिक्षित व्यक्तियों में यह क्षमता 3 से 4 लीटर होती है।
श्वसन दर अथवा ब्रीथिंग फ्रीक्वेंसी (Respiratory Rate or Breathing Frequency) - ब्रीथिंग फ्रीक्वेंसी प्रतिमिनट में श्वास लेने की संख्या है। प्रशिक्षण के पश्चात् श्वास लेने की फ्रीक्वेंसी अथवा श्वसन दर घट जाती है। एक सामान्य अप्रशिक्षित व्यक्ति में विश्रामिय श्वास लेने की फ्रीक्वेंसी लगभग 12 से 20 श्वास प्रति मिनट होती है, जबकि प्रशिक्षित खिलाड़ी अथवा व्यक्तियों में यह 7-8 श्वास प्रति मिनट तक हो जाती है। शारीरिक व्यायामों अथवा प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप श्वसन दर को घटाया जाना अधिकतम श्वसन क्षमता बढ़ाने में असर करता है।
सूक्ष्म कपाटों की बढ़ोत्तरी (Increase in Minute Ventilation) - सूक्ष्म पाटों से प्रति मिनट वायु की मात्रा अन्दर लेने और बाहर निकालने पर निर्भर करती है, प्रशिक्षण के पश्चात् सूक्ष्म कपाटों की संख्या अधिकतम हो जाती है। अप्रशिक्षित व्यक्ति में अधिकतम सूक्ष्म कपाट 100 लीटर होती है, जबकि प्रशिक्षित खिलाड़ी में बढ़कर यह 150-160 लीटर प्रति कपाट होती है। उच्च स्तर के सहनशीलता प्रशिक्षित खिलाड़ी जैसे- नाव खेने वालों में श्वसन कपाटों की अधिकतम दर 240 लीटर प्रति कपाट हो सकती है जो अप्रशिक्षित व्यक्ति से दोगुनी दर होती है।
टाइडल आयतन (Tidal Volume) - श्वास मात्रा के आयतन अर्थात् प्रति श्वास वायु को लेने और छोड़ने को श्वास मात्रिय आयतन कहते हैं, जोकि सहनशक्ति क्षमता के प्रशिक्षण के फलस्वरुप बढ़ जाता है। एक अप्रशिक्षित व्यक्ति का टाइडल आयतन लगभग 500 मिलिलीटर प्रति श्वास होता है, जबकि प्रशिक्षित व्यक्ति में यह 600-700 मिलीलीटर प्रति श्वास से अधिक होता है।
कपाटिय क्षमता (Ventilatory Efficiency) - शारीरिक व्यायामों / प्रशिक्षण विशेषकर सहन क्षमता से प्रशिक्षण के हमारी कपाटीय क्षमता बढ़ जाती है। सामान्यतः 1 लीटर ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए 15 लीटर वायु की आवश्यकता होती है । परन्तु प्रशिक्षित व्यक्ति के लिए 12 लीटर से भी कम वायु से 1 लीटर ऑक्सीजन प्राप्त हो जाती है। इस तरह से प्रशिक्षित व्यक्ति वायु की कम मात्रा से भी समान मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त कर सकता है।
फेफड़ों द्वारा प्रसरण (Pulmonary Diffusion) - फेफड़ों के छोटे वायु कोषों द्वारा आदान-प्रदान किये जाने को फेफड़ों का प्रसरण कहते हैं। व्यायाम के अधिकतम स्तर पर किये जाने के दौरान वायु कोष अधिक मात्रा में प्रसरण के लिए सक्रिय हो जाते हैं। इनका आकार भी बढ़ जाता है। जिससे ऑक्सीजन तथा कार्बन-डाइऑक्साइड जैसी गैसों के प्रसरण के लिए अधिक स्थान वायु कोषों के आकार के बढ़ जाने से उपबन्ध हो जाता है।
व्यायाम का श्वसन तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव का सारांश निम्नवत् है।
- जीवन्त कार्य क्षमता के बढ़ जाने के परिणामस्वरूप फेफड़ों के आयतन में वृद्धि हो जाती है।
- प्रशिक्षित व्यक्ति में श्वसन लेने की आवृत्ति घट जाती है।
- प्रशिक्षण के पश्चात् शोषण वायु प्रसार बढ़ जाती है।
- शारीरिक व्यायाम वायु कपाटों की कार्य क्षमता को बढ़ा देते है ।
- प्रसरण धारकता बढ़ जाती है।
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