शारीरिक व्यायाम का शरीर के पेशीय तंत्र पर प्रभाव - Effect of Exercise on Muscular System in Hindi: शरीरिक व्यायाम / प्रशिक्षण काफी हद तक हमारे पेशीय
शारीरिक व्यायाम का शरीर के पेशीय तंत्र पर प्रभाव - Effect of Exercise on Muscular System in Hindi
शारीरिक व्यायाम का शरीर के पेशीय तंत्र पर प्रभाव: हमारे शरीर का लगभग आधा वजन पेशियों का होता है। वे हमारे शरीर को गति प्रदान करती हैं। हमारे शरीर में लगभग 650 पेशियाँ हैं। शरीरिक व्यायाम / प्रशिक्षण काफी हद तक हमारे पेशीय तंत्र को भार प्रशिक्षण अथवा खास तौर से प्रतिरोधी को प्रभावित करता है। प्रतिरोधी प्रशिक्षणों के पश्चात् पेशीय तंत्र के परिमापों में बहुत से परिवर्तन हो जाते हैं। जिनका विवरण निम्नवत् है -
1. पेशी की हाइपरट्रॉफी (Hypertrophy of the Muscles)
एकल पेशी तंतु की मोटाई में बढ़ोत्तरी हाइपरट्रॉफी कहलाती है। एकल पेशी तंतु के आकार पर ही आम तौर पर पेशी द्वारा प्राप्त की गई ताकत तथा उसकी सहनशीलता पर निर्भर करती है ।
पेशी की हाइपरट्रॉफी ( आकार में बढ़ोत्तरी) शारीरिक प्रशिक्षण और खास तौर से भार प्रशिक्षण निम्नलिखित प्रभाव पैदा करते हैं -
- प्रतिरोधी प्रशिक्षण से पेशी तंतुओं में वृद्धि होती है ।
- पेशीय वृद्धि के लिए आवश्यक मात्रा में प्रोटीन की बढोत्तरी होती है।
- सूक्ष्म नलिकाओं को प्रति तंतु घनत्व भी बढ़ जाता है। जिससे अधिक ऊर्जा पैदा होती है।
- जोड़ने वाले ऊतकों की मात्रा में वृद्धि होती है ।
- पेशियों में रक्त प्रदायता बढ़ जाती है ।
- पेशियों की हाइपरट्रॉफी के कारण पेशीय बल तथा पेशीय सहन-शक्ति बढ़ जाती है ।
2. पेशियों में जैव रासायनिक परिवर्तन :
एरोबिक परिवर्तन (Aerobic Changes) -
- मायोग्लोबिन संघटक बढ़ जाते है। मोयोग्लोबिन एक ऑक्सीजन बंधक यौगिक है। यह पेशीय ऊतकों में पाया जाता है। जिसका कार्य ऑक्सीजन का भंडारण तथा ऑक्सीजन के शरीर में फैलाने में होता है।
- यह कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा के ऑक्सीडेशन को बढ़ा देता है ।
- माइटोकॉण्ड्रिया संख्याओं में भी वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार पेशीय ऊर्जा अधिक पैदा हो जाती है।
- एन्जाइम की क्रियाओं की सघनता स्तर में बढ़ोत्तरी हो जाती है ।
- प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप ग्लाइकोजन भंडार की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो जाती है। पेशियों में ऊर्जा उत्पादन के लिए ग्लाइकोजन की आवश्यकता होती है।
एनारोबिक परिवर्तन (Anaerobic Changes)
- ए. टी. पी. + पी. सी. प्रणाली की क्षमता बढ़ जाने से ऊर्जा अधिक निकलती है। ए. टी. पी. (III) का अर्थ है, एडीनो ट्राय फॉस्फेट तथा पी. सी. (PC) का मतलब है, फॉस्फोक्रियेटिन। ए. टी. पी. पी. सी. प्रणाली एक एनारोबिक ऊर्जा प्रणाली है, जिसमें पी सी के विखण्डित हो जाने पर ए. टी. पी. का उत्पादन होता है।
- प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप ग्लाइकोलाइटिक धारकता भी बढ़ जाती है।
3. शारीरिक गठन में परिवर्तन (Changes in Body Composition)
- अधिकतर लोगों में भार अथवा प्रतिरोधक प्रशिक्षण कुल शरीर के भार में बहुत कम अथवा नहीं के बराबर परिवर्तन उत्पन्न करता है, परन्तु शारीरिक गठन में उल्लेखनीय बदलाव आता है।
- शरीर में तुलनात्मक तथा सम्पूर्ण वसा की उल्लेखनीय कमी हो सकती है।
- वसायुक्त भार अथवा पेशीय मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
- पेशियों तथा संघीय गति में भी परिवर्तन आ जाता है।
- प्रशिक्षण के पश्चात् शरीर में लोच बढ़ जाता है, जो शारीरिक क्रियाओं और खेल- कूद में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है तथा प्रदर्शन करने की क्षमता को बढ़ाते हुए गंभीर पेशीय चोटों को रोकता है।
4. शारीरिक व्यायाम पेशीय तंत्र का पर प्रभाव का सारांश
- पेशीय तंतुओं का आकार बढ़ जाता है।
- प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है।
- प्रति तंतु सूक्ष्म नलिकाओं का घनत्व बढ़ जाता है।
- संयोजक ऊतकों की मात्रा बढ़ जाता है।
- पेशियों में रक्त प्रदाय बढ़ जाता है।
- हीमाग्लोबिन अवयव बढ़ जाते हैं।
- कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसाओं का ऑक्सीकरण बढ़ जाता है ।
- माइटोकॉण्ड्रिया (कोशा का शक्ति ग्रह) संख्या में बढ़ जाती हैं।
- एन्जाइम की क्रिया करने का स्तर सघन हो जाता हैं और ग्लाइकोजन भंडार की मात्रा बढ़ जाती है।
- ATP और PC तथा ग्लाइकोलाइटिक धारकता बढ़ जाती है।
- तुलनात्मक तथा कुल मात्रा की शारीरिक वसा में कमी आ जाती है ।
- वसायुक्त भार बढ़ जाता है।
- लचीलापन बढ़ जाता है।
COMMENTS